• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष! 44 साल में 16 नेताओं ने संभाली कमान, ब्राह्मणों का दबदबा बरकरार, जानिए पूरा राजनीतिक सफर

 राजस्थान की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से अहम भूमिका निभाते रहे हैं, खासकर जब बात सत्ता और संगठन की आती है।
featured-img

Rajasthan BJP President History: राजस्थान की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से अहम भूमिका निभाते रहे हैं, खासकर जब बात सत्ता और संगठन की आती है। भाजपा को अक्सर ‘सभी समाजों की पार्टी’ बताने का दावा किया जाता है, लेकिन अगर प्रदेशाध्यक्ष पद के इतिहास पर नजर डालें तो एक अलग ही तस्वीर सामने आती है।

राजस्थान भाजपा के गठन के 44 वर्षों में 16 नेताओं ने प्रदेशाध्यक्ष पद संभाला, लेकिन इनमें से ज्यादातर एक ही जाति से आते हैं। यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या पार्टी नेतृत्व के लिए सिर्फ एक वर्ग को ही प्राथमिकता दी जाती रही है? या फिर यह सिर्फ एक संयोग मात्र है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसी भी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के पीछे गहरी रणनीति होती है, जिसमें जातीय संतुलन और चुनावी गणित सबसे बड़ा फैक्टर होता है। भाजपा ने समय-समय पर अलग-अलग जातियों को साधने की कोशिश की है, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष पद पर कुछ खास वर्गों की ही पकड़ बनी रही है।

भाजपा के 44 वर्षों का सफर

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के बाद से राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष पद पर ब्राह्मण नेताओं का प्रभाव काफी मजबूत रहा है। 6 अप्रैल 1980 को बनी भाजपा ने अब तक प्रदेश में पांच बार सरकार बनाई, जबकि एक बार जनसंघ ने 1977-80 तक गठबंधन की सरकार चलाई थी। पार्टी के इस 44 साल के सफर में मदन राठौड़ सोलहवें प्रदेशाध्यक्ष बने हैं।

भाजपा प्रदेशाध्यक्षों में जातीय समीकरण

राजस्थान भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष पद पर ब्राह्मण समाज का खासा प्रभाव रहा है। पार्टी ने 44 वर्षों में 16 प्रदेशाध्यक्ष बनाए, जिनमें से 7 ब्राह्मण नेता इस पद पर रहे और लगभग 24 वर्षों तक इस पद को संभाला। अन्य जातीय समीकरणों की बात करें तो दो कायस्थ, दो राजपूत, दो वैश्य, एक जाट और अन्य जातियों के नेताओं को भी यह जिम्मेदारी दी गई।

भाजपा के ब्राह्मण प्रदेशाध्यक्षों की सूची

हरिशंकर भाभड़ा (1981-86),  ललित किशोर चतुर्वेदी (1988-89, 2003-06),  भंवरलाल शर्मा (1986-88, 2000-02), डॉ महेश चंद शर्मा (2006-08), रघुवीर सिंह कौशल (1997-99), अरुण चतुर्वेदी (2009-13), डॉ सीपी जोशी (2023-24),

भैरोंसिंह शेखावत... कभी प्रदेशाध्यक्ष नहीं बने

राजस्थान भाजपा के सबसे दिग्गज नेता और तीन बार मुख्यमंत्री रहे भैरोंसिंह शेखावत प्रदेशाध्यक्ष पद पर कभी नहीं बैठे। 1977-80, 1990-92 और 1993-98 तक उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन संगठन में उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं दी गई।

वसुंधरा राजे...दो बार मुख्यमंत्री, दो बार प्रदेशाध्यक्ष

वसुंधरा राजे राजस्थान भाजपा की पहली और एकमात्र नेता हैं, जो दो बार मुख्यमंत्री बनने के साथ-साथ दो बार प्रदेशाध्यक्ष भी रहीं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने दोनों बार भारी बहुमत से जीत हासिल की।

राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्षों की सूची

जगदीश प्रसाद माथुर (1980-81), हरिशंकर भाभड़ा (1981-86), भंवरलाल शर्मा (1986-88, 2000-02), ललित किशोर चतुर्वेदी (1988-89, 2003-06), रामदास अग्रवाल (1990-97), रघुवीर सिंह कौशल (1997-99), गुलाबचंद कटारिया (1999-2000), वसुंधरा राजे (2002-03, 2013-14), डॉ महेश चंद शर्मा (2006-08), ओमप्रकाश माथुर (2008-09), अरुण चतुर्वेदी (2009-13), अशोक परनामी (2014-18),
मदनलाल सैनी (2018-19), डॉ सतीश पूनिया (2019-23), डॉ सीपी जोशी (2023-24), मदन राठौड़ (2024-वर्तमान)

राजस्थान भाजपा के मुख्यमंत्री

भैरोंसिंह शेखावत (1977-80, 1990-92, 1993-98)

वसुंधरा राजे (2003-08, 2013-18)

भजनलाल शर्मा (2023 से वर्तमान)

भाजपा में जातीय समीकरण...आगे की राजनीति

राजस्थान भाजपा में जातीय समीकरण हमेशा से प्रभावशाली रहे हैं। पार्टी का नेतृत्व अधिकांश समय ब्राह्मण नेताओं के हाथों में रहा, लेकिन अब देखना होगा कि भविष्य में पार्टी इस ट्रेंड को जारी रखेगी या नए समीकरणों को अपनाएगी।

यह भी पढ़ें: क्या कारपेट भी राजनीति कर रहा है? कांग्रेस विधायकों को एलर्जी, राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों की टीम तैनात!

यह भी पढ़ें: आपकी दादी’ पर बवाल! विधानसभा में हंगामा, प्रभारी राधामोहन दास बोले…पारसी में क्या कहते हैं, पता करूंगा!

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो