Banswara : 'देश के 49 जिलों को मिलाकर बनाएं भील प्रदेश' राजस्थान, गुजरात, MP के आदिवासी समाज ने मानगढ़ धाम से की मांग
Banswara Mangarh Dham Adivasi Rally : बांसवाड़ा। देश में अब भील प्रदेश की मांग उठ रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग को लेकर राजस्थान के बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में सांस्कृतिक महारैली का आयोजन किया गया। जिसमें राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी समाज के लाखों लोग शामिल हुए।
‘आदिवासी हिंदू नहीं, बहकावे में ना आएं’
बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पर सांस्कृतिक महारैली में आदिवासी समाज के वक्ता डूंगरपुर के पवन कुमार ने कहा कि आदिवासी पंडितों के बहकावे न आएं। वो हमें उल्टा सिखाते हैं। आदिवासी परिवार की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने कहा कि आदिवासी सिंदूर नहीं लगाते। मंगलसूत्र नहीं पहनते। व्रत-उपवास बंद कर दें। अन्य वक्ताओं ने भी कहा कि हमारा धर्म हिंदू नहीं है। आदिवासियों का अलग धर्म है।
'भील प्रदेश की मांग लोकतांत्रिक'
सांस्कृतिक महारैली में भंवरलाल ने कहा कि मानगढ़ पर गोविंद गुरु ने बड़ा आंदोलन शुरू किया था। भक्ति के माध्यम से समाज को जोडऩे का प्रयास किया था। समाज को जोडऩे की प्रक्रिया पूर्वजों के जमाने से अधूरी है। धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी। बराबरी का हक मिले। महारैली में विभिन्न राज्यों से लोग आए हैं। भील प्रदेश की मांग भी समय पर पूरी होगी। इसमें न जाति की बात आती है और न ही भाषा की बात आती है। हमारी मांग लोकतांत्रिक है। इस दौरान वक्ताओं ने स्थानीय स्तर पर जनजाति उपयोजना क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची लागू करने और जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी समाज को आरक्षण देने की मांग भी उठाई।
3 राज्यों से जुटे लाखों लोग, कड़ी सुरक्षा रही
आदिवासी सांस्कृतिक महारैली में सांसद राजकुमार रोत, विधायक जयकृष्ण पटेल, रविन्द्र बरजोड़, हीरालाल दामा, अशोक अड़ भी पहुंचे। इनके अलावा राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, पाली, सिरोही, उदयपुर, सलूम्बर के साथ गुजरात के दाहोद, झालोद, गोधरा, संतरामपुर, अरवल्ली, महीसागर और मध्यप्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर, उदयगढ़ के हजारों लोग भी महारैली में शामिल हुए। इसे देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए। इंटरनेट भी बंद रहा।(Banswara Mangarh Dham Adivasi Rally)
भील प्रांत की मांग इतिहासकारों ने दबा दी- रोत
सभा में सांसद राजकुमार रोत कहा कि राजनीतिक दल यही चाहते हैं कि अधिकार और जल-जंगल-जमीन की बात आदिवासी नहीं करें। आदिवासियों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। इसका माध्यम भक्ति था और उद्देश्य भील प्रांत था। भील प्रांत की मांग को इतिहासकारों ने दबा दिया। हमारा इतिहास बदल दिया। चार राज्य बना दिए। वहीं बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल ने कहा कि मुस्लिम ने आवाज उठाई तो आतंकवादी और आदिवासी ने आवाज उठाई तो नक्सलवादी कहा गया। आज चार विधायक और एक सांसद है। आने वाले समय में देखना कि संसद में कितने लोग बैठेंगे।
जाति के आधार पर प्रदेश नहीं, धर्मांतरण पर आरक्षण नहीं- मंत्री
आदिवासी समाज की ओर से भील प्रदेश की मांग को जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जाति के अधार पर राज्य नहीं बन सकता। राज्य सरकार इस संबंध में केंद्र को कोई प्रस्ताव नहीं भेजेगी। उन्होंने धर्म बदलने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं देने की भी पैरवी की। वहीं सांसद राजकुमार रोत का कहना है कि भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। भारत आदिवासी पार्टी पुरजोर तरीके से इस मांग को महारैली के बाद राष्ट्रति व प्रधानमंत्री के सामने रखेगी।
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