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Loksabha Election 2024 : दिल्ली की दौड़ में कौन अव्वल, बांसवाड़ा- डूंगरपुर सीट जीतेगी बाप या खिलेगा कमल ?

Loksabha Election 2024 Banswara Dungarpur : बांसवाड़ा। लोकसभा चुनाव 2024 के छह चरणों की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। अब एक जून को सातवें चरण का मतदान होगा। इसके बाद 4 जून को इस बात का फैसला हो जाएगा कि...
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Loksabha Election 2024 Banswara Dungarpur : बांसवाड़ा। लोकसभा चुनाव 2024 के छह चरणों की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। अब एक जून को सातवें चरण का मतदान होगा। इसके बाद 4 जून को इस बात का फैसला हो जाएगा कि दिल्ली की दौड़ में कौन अव्वल रहा। इस बीच राजस्थान में सबसे ज्यादा चर्चा बांसवाड़ा- डूंगरपुर सीट को लेकर है। 4 जून को यहां कौन बाजी मारेगा, यह जानने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्सुकता है।

चुनावी बिसात पर राजनीतिक दांव

बांसवाड़ा- डूंगरपुर लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। इस सीट को जीतने के लिए चुनावी बिसात पर पहला दांव बीजेपी ने चला। भाजपा ने वागड़ में कांग्रेस के आधार स्तंभ समझे जाने वाले आदिवासी नेता महेंद्रजीत मालवीया को ही अपने खेमे में मिला लिया और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। चुनावी बिसात पर भाजपा की इस चाल की काट के लिए कांग्रेस ने भी ऐतिहासिक फैसला लिया। इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने यहां खुद चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया और इस सीट पर आदिवासी पार्टी बीएपी के गठबंधन प्रत्याशी राजकुमार रोत को समर्थन दे दिया।

कांग्रेस को खुद से ज्यादा बीएपी पर भरोसा क्यों?

बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में विधानसभा की 8 में से चार सीटें कांग्रेस के पास हैं। इसके बावजूद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में यहां खुद से ज्यादा बीएपी पर भरोसा क्यों जताया ? इस पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का मकसद भाजपा के मालवीया को रोकना है। कांग्रेस ने पहले अरविंद डामोर को प्रत्याशी बनाया था। मगर फिर कांग्रेस को लगा कि त्रिकोणीय मुकाबले से बीजेपी को फायदा हो सकता है, तो फिर कांग्रेस ने रणनीति बदली और खुद चुनाव ना लड़कर गठबंधन प्रत्याशी बीएपी के राजकुमार रोत को समर्थन दे दिया।

दिल्ली की दौड़ में कौन रहेगा अव्वल ?

बांसवाड़ा- डूंगरपुर सीट पर मतदान संपन्न हो चुका है, अब इस सीट से बाप प्रत्याशी राजकुमार रोत दिल्ली जाएंगे या तीसरी बार यहां भाजपा का कमल खिलेगा? इसका फैसला 4 जून को होगा। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में यहां किसकी जीत होगी यह कहना काफी मुश्किल है। भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) की आदिवासी वोटर्स में मजबूत पैठ है। इसके साथ मुस्लिम वोटर्स का भी समर्थन मिला। तो भाजपा भी सामान्य और ओबीसी वोटर्स के साथ आदिवासी वोट मिलने का दावा कर रही है।

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चुनावी डगर पर भीतरघात का डर

बांसवाड़ा- डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के महेंद्रजीत मालवीया और बाप के प्रत्याशी राजकुमार रोत दोनों को ही दिल्ली जाने वाली इस चुनावी डगर पर भीतरघात का डर है। राजनीतिक विश्लेषकों की राय में  महेंद्रजीत मालवीया को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता सहज नहीं हैं।  ऐसे में मालवीया को भीतरघात का डर है, शायद इसीलिए चुनाव की कमान भी मालवीया ने ही संभाली।

इसके अलावा बीएपी का आदिवासी समाज के नाम पर चुनाव लड़ना भी मालवीया के लिए चुनौतीपूर्ण है। दूसरी तरफ बीएपी के राजकुमार रोत के सामने भी कई चुनौतियां हैं। रोत के सामने लोकसभा क्षेत्र में स्वयं की पहचान का संकट, सामान्य और ओबीसी वर्ग की नाराजगी, कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी का चुनाव मैदान में रहना मुसीबत खड़ी कर सकता है।

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