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राजनीति में मास्टरस्ट्रोक! मदन राठौड़ की ताजपोशी से बीजेपी में जश्न, कांग्रेस में मचा हड़कंप!

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने अनुभवी नेता मदन राठौड़ पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है।
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Madan Rathore: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने अनुभवी नेता मदन राठौड़ पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है। उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया, जिससे राज्य की सियासी हलचल और तेज हो गई है।

शनिवार सुबह 11 बजे उनकी नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा की गई। खास बात यह रही कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी अन्य ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। पार्टी नेतृत्व ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया था, जिनकी मौजूदगी में प्रदेश भाजपा कार्यालय में यह प्रक्रिया संपन्न हुई। (Madan Rathore)शुक्रवार को 5 प्रस्तावकों ने मदन राठौड़ के समर्थन में नामांकन प्रस्तुत किया, जिससे यह तय हो गया कि पार्टी उन्हें दोबारा नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपने जा रही है।

मदन राठौड़ की यह नियुक्ति राजस्थान में आगामी चुनावी रणनीतियों और पार्टी की मजबूती की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। उनकी कार्यशैली, संगठन पर पकड़ और राजनीतिक अनुभव ने एक बार फिर उन्हें शीर्ष पद तक पहुंचा दिया है। अब देखना यह होगा कि उनकी अगुवाई में भाजपा राजस्थान में किस तरह अपनी पकड़ और मजबूत करती है।

सीएम भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे की सहमति

मदन राठौड़ के नामांकन के प्रस्तावकों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और अन्य बड़े नेता शामिल रहे। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि राजस्थान भाजपा में हाईकमान सभी धड़ों को साधने की कोशिश में है। खासतौर पर भजनलाल और वसुंधरा राजे के समर्थकों के बीच तालमेल बैठाने की दिशा में यह कदम अहम माना जा रहा है।

मदन राठौड़ को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे भाजपा की 2024 की लोकसभा चुनाव की रणनीति भी जुड़ी हुई है। पार्टी राजस्थान में सभी 25 सीटों को बरकरार रखना चाहती है, और इसके लिए जमीनी स्तर पर मजबूत संगठनात्मक नेतृत्व की जरूरत थी। राठौड़ की अगुवाई में भाजपा ने हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे हाईकमान ने उन्हें फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला किया।

वसुंधरा राजे की भूमिका बनी रह पाएगी...

भाजपा में लंबे समय से वसुंधरा राजे को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। पार्टी आलाकमान अब नए नेतृत्व को स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन राजे का कद और उनके समर्थकों की संख्या को नजरअंदाज करना संभव नहीं है। ऐसे में मदन राठौड़ का कार्यकाल इस समीकरण को किस तरह प्रभावित करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

मदन राठौड़ की नियुक्ति के पीछे भाजपा का एक बड़ा उद्देश्य जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाना भी है। राजस्थान में राजपूत, जाट और ओबीसी समुदायों के बीच संतुलन बनाना पार्टी के लिए अहम चुनौती रही है। राठौड़ के नेतृत्व में भाजपा इस चुनौती को किस तरह हल करती है, यह आने वाले चुनावों में साफ होगा।

क्या कांग्रेस के लिए बढ़ेगी मुश्किल?

प्रदेश में भाजपा संगठन को मजबूत कर रही है, जबकि कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में भाजपा की मजबूत रणनीति कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है।

भाजपा के इस फैसले का सियासी असर आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा, लेकिन एक बात तय है कि राजस्थान की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

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