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नीमकाथाना जिला खत्म करने का खेल? हाईकोर्ट में कांग्रेस का बड़ा आरोप, क्या होगा अगला कदम?

Neemkathana District Status Challenge: राजस्थान में भजनलाल सरकार द्वारा 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का विवाद अब कानूनी मोड़ पर पहुंच गया है। गंगापुरसिटी के बाद अब नीमकाथाना से जिले का दर्जा वापस लेने के फैसले को...
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Neemkathana District Status Challenge: राजस्थान में भजनलाल सरकार द्वारा 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का विवाद अब कानूनी मोड़ पर पहुंच गया है। गंगापुरसिटी के बाद अब नीमकाथाना से जिले का दर्जा वापस लेने के फैसले को शनिवार को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस के पूर्व विधायक रमेश चंद्र खंडेलवाल ने इस फैसले को (Neemkathana District Status Challenge) राजनीतिक दृष्टिकोण से गलत बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर 2024 को जारी की गई अधिसूचना के तहत नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीन लिया गया है, जो वर्षों से जिले का दर्जा प्राप्त करने की मांग कर रहे लोगों के लिए एक बड़ा झटका है।

नीमकाथाना जिले का मामला

नीमकाथाना जिले से जिले का दर्जा वापस लेने का फैसला राजनीति से प्रेरित है या प्रशासनिक जरूरतों का परिणाम, यह सवाल अब अदालत में उठने लगा है। याचिकाकर्ता कांग्रेस के पूर्व विधायक रमेश चंद्र खंडेलवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए इसे पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से लिया गया कदम बताया है। उनका कहना है कि पिछले कई दशकों से नीमकाथाना जिले की मांग की जा रही थी, और अब इसे अचानक समाप्त कर दिया गया है, जिसका कोई उचित कारण नहीं है।

राजनीति में शक्तियों के बंटवारे पर सवाल

नीमकाथाना जिले का मामला केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक लिहाज से भी अहम है। भजनलाल सरकार द्वारा प्रदेश में किए गए जिला विभाजन में कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी राजनीतिक बहस हो रही है। कांग्रेस सरकार का आरोप है कि बीजेपी अपने राजनीतिक स्वार्थ के तहत यह कदम उठा रही है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि गहलोत सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए यह फैसला लिया था, जिसका कोई तार्किक आधार नहीं था।

भजनलाल सरकार का निर्णय और विवाद

भजनलाल सरकार द्वारा 28 दिसंबर 2024 को किए गए फैसले के तहत, 9 जिलों और 3 संभागों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। इसके तहत नीमकाथाना सहित कई अन्य जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया गया। इस कदम को लेकर विपक्ष ने यह आरोप लगाया है कि यह फैसले केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत लिए गए थे, न कि क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर।

गहलोत सरकार की प्रतिक्रिया....बीजेपी के आरोप

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार ने अपने निर्दलीय समर्थकों को खुश करने के लिए अनावश्यक रूप से जिले बनाए थे। उनके अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक थी, जिसमें गहलोत और पायलट के बीच आपसी टकराव और सत्ता बचाने की कोशिशें थीं। वहीं, गहलोत सरकार ने इसे प्रशासनिक समीक्षा और संसाधनों के प्रभावी उपयोग के रूप में प्रस्तुत किया है।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी द्वारा किए गए इस फैसले के पीछे राजनीतिक द्वेष छिपा हुआ है, क्योंकि गंगापुर सिटी और नीमकाथाना जैसे जिलों में कांग्रेस समर्थकों का दबदबा था। वहीं, बीजेपी इसे प्रशासनिक और वित्तीय दृष्टिकोण से सही मानती है, यह कहते हुए कि गहलोत सरकार ने अपनी राजनीति के लिए इन जिलों का गठन किया था।

आगे क्या होगा?

राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है, और इस पर अंतिम निर्णय राजनीति और प्रशासन दोनों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण हो सकता है। राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर, यह मामला राजनीति का नया मोड़ लेकर आ सकता है, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विपक्षी दलों के बीच सियासी संघर्ष बढ़ने की संभावना है।

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