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Naresh Meena: कौन है राजस्थान का 'छोटा किरोड़ी' जिसने ला दिया है राजस्थान की सियासत में भूचाल

Naresh Meena: राजस्थान में आगामी उपचुनावों की हलचल के बीच, नरेश मीणा की राजनीतिक रणनीतियां एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। चुनावी बिसात बिछ चुकी है, और मीणा की चौंकाने वाली चालें उन्हें राजनीति के खेल में एक बार...
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Naresh Meena: राजस्थान में आगामी उपचुनावों की हलचल के बीच, नरेश मीणा की राजनीतिक रणनीतियां एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। चुनावी बिसात बिछ चुकी है, और मीणा की चौंकाने वाली चालें उन्हें राजनीति के खेल में एक बार फिर से एक प्रमुख खिलाड़ी बना रही हैं। राजस्थान की राजनीति में नरेश मीणा (Naresh Meena) का नाम अब फिर से चर्चा में है, और इस बार उनकी रणनीति ने सभी को चौंका दिया है। उपचुनावों के संदर्भ में, उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ खुला बगावत करने का साहसिक निर्णय लिया है। यह कदम केवल उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को ही नहीं, बल्कि राजस्थान की राजनीति के पूरे परिदृश्य को भी बदलने की क्षमता रखता है।

कांग्रेस के 'छोटा किरोड़ी' के नाम से मशहूर नरेश मीणा की बगावत ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनकी इस बगावत ने न केवल कांग्रेस के भीतर, बल्कि समग्र सियासी समीकरणों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। नरेश मीणा, जो पहले से ही एक प्रभावशाली नेता हैं, अब अपनी नई राजनीतिक रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। क्या उनकी बगावत से चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव आएगा? आइए जानते हैं कि नरेश मीणा कौन हैं और उनकी इस बगावत के पीछे की कहानी क्या है।

क्यों किया कांग्रेस ने नरेश मीणा को निष्कासित?

नरेश मीणा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में छबड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मांगा था। हालांकि, कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर करण सिंह को दिया। इस निर्णय से नाराज होकर नरेश ने बगावत का रास्ता अपनाया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।

नरेश को लगभग 43,000 वोट मिले, जिसने सीधे तौर पर बीजेपी के प्रताप सिंह को जीतने में मदद की, जो वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। कांग्रेस ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हुए नरेश को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।

कौन हैं नरेश मीणा?

नरेश मीणा, राजस्थान के बारां जिले की अटरू तहसील के नयागांव के निवासी हैं। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी में NSUI के महासचिव पद पर भी कार्य किया है। नरेश का राजनीतिक सफर उनके परिवार से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, कल्याण सिंह मीणा, 30 साल तक गांव के सरपंच रहे, जबकि अब उनकी मां इस पद पर हैं। नरेश की पत्नी जिला परिषद सदस्य हैं और उनके भाई की पत्नी पंचायत समिति की सदस्य हैं। मीणा समाज के युवाओं में नरेश की गहरी पैठ है, जिससे उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।

बागी होकर भी बढ़ती लोकप्रियता

हालांकि नरेश को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया, उनकी लोकप्रियता और मीणा समाज में प्रभाव कम नहीं हुआ है। उनकी बगावत और निर्दलीय चुनाव में मिली वोट संख्या ने उन्हें राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बागी नेता बना दिया है।

क्यों कहा जाता है नरेश मीणा को ‘छोटा किरोड़ी’?

नरेश मीणा, राजस्थान यूनिवर्सिटी में एक प्रमुख छात्र नेता रहे हैं, और उनका राजनीतिक सफर काफी हद तक किरोड़ी लाल मीणा के जैसा रहा है। नरेश का राजनीतिक स्टाइल भावुक और जनता के प्रति समर्पित है, जो उन्हें किरोड़ी लाल की छवि से जोड़ता है। जैसे किरोड़ी लाल मीणा जन आंदोलन और सड़कों पर संघर्ष करते रहे हैं, वैसे ही नरेश भी स्थानीय मुद्दों पर आंदोलन करने से पीछे नहीं हटते। उनकी यह सक्रियता और जनहित के लिए संघर्ष करने वाली छवि ने उन्हें 'छोटा किरोड़ी' का खिताब दिलाया है।

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