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Rajasthan: राजस्थान उपचुनाव में गहलोत, राजे और पायलट का न होना! क्या है इसके पीछे की कहानी?

Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों (Rajasthan By-Election 2024)की राजनीतिक बिसात पर इस बार कुछ अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। दौसा, झुंझुनूं, खींवसर, चौरासी, देवली उनियारा, रामगढ़ और सलूंबर जैसी प्रमुख विधानसभा सीटों पर...
06:22 PM Oct 28, 2024 IST | Rajesh Singhal
Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों (Rajasthan By-Election 2024)की राजनीतिक बिसात पर इस बार कुछ अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। दौसा, झुंझुनूं, खींवसर, चौरासी, देवली उनियारा, रामगढ़ और सलूंबर जैसी प्रमुख विधानसभा सीटों पर...

Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों (Rajasthan By-Election 2024)की राजनीतिक बिसात पर इस बार कुछ अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। दौसा, झुंझुनूं, खींवसर, चौरासी, देवली उनियारा, रामगढ़ और सलूंबर जैसी प्रमुख विधानसभा सीटों पर हो रहे इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के तीन दिग्गज नेता-पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट-अब तक पूरी तरह से अनुपस्थित रहे हैं। यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।

क्या यह गहलोत और पायलट के बीच चल रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का संकेत है, या फिर राजे के असंतोष की छाया इन चुनावों पर पड़ रही है? इन तीनों नेताओं का न होना न केवल चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राजस्थान की राजनीति में भी हलचल पैदा कर रहा है। अब देखना यह है कि क्या यह चुप्पी आगामी चुनावों में किसी बड़े उलटफेर का कारण बनेगी।

गहलोत और पायलट महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्त हैं

अशोक गहलोतकांग्रेस ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को महाराष्ट्र के चुनावों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। इन दोनों नेताओं ने पहले हरियाणा चुनावों में भाग लिया और अब महाराष्ट्र की चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। हालांकि, इस उपचुनाव में उनकी अनुपस्थिति को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पष्ट किया कि दोनों के पास बड़ी जिम्मेदारियां हैं और उनकी गैरमौजूदगी से उपचुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उपचुनावों पर प्रभाव का प्रश्न

डोटासरा का दावा है कि गहलोत और पायलट उपचुनावों के दौरान भी पर्याप्त समय देंगे, लेकिन अब तक उनकी चुनावी गतिविधियों का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। इससे पार्टी के भीतर और बाहर यह चर्चा चल रही है कि क्या उनकी गैरमौजूदगी का चुनाव परिणाम पर असर पड़ेगा।

चुनाव मैदान में राजे की सक्रियता भी नहीं है

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुनाव मैदान में अनुपस्थिति भी राजनीतिक पंडितों और आमजन के लिए चिंता का विषय बन गई है। उनकी गैरमौजूदगी पर कई चर्चाएं चल रही हैं, जिससे ऐसा लगता है कि भाजपा में चुनाव की रणनीति में राजे की भूमिका कम हो गई है।

बीजेपी का नेतृत्व

भाजपा की चुनावी कमान प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और सीएम भजनलाल शर्मा ने संभाल रखी है। हालांकि, राजे के संदर्भ में बीजेपी राजस्थान प्रभारी राधा मोहनदास अग्रवाल ने हाल ही में एक बयान में कहा कि राजे लंबे समय तक राजस्थान की राजनीति का केंद्र बनी रहेंगी, लेकिन वे अपनी वरिष्ठ सलाहकार की भूमिका से संतुष्ट हैं।

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