Bhagirath Choudhary: कौन हैं अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी जो हैं मोदी 3.0 कैबिनेट का नया चेहरा
PM Modi 3.O Cabinet: देश में एक बार फिर एनडीए सरकार का गठन हो गया है जहां नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर नेहरू की बराबरी कर ली है। वहीं पीएम के अलावा उनकी टीम से राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया है। इधर मोदी 3.0 कैबिनेट में राजस्थान का कद बढ़ा हुआ दिखाई दिया जहां मंत्री बने चार सांसदों में से 2 भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत ने कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल को एक बार फिर स्वतंत्र प्रभार मिला है।
वहीं पहली बार मंत्री बनने जा रहे अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में 3 चेहरों को रिपीट किया गया है लेकिन अजमेर से भागीरथ चौधरी को मोदी ने टीम में शामिल कर हर किसी को हैरान कर दिया है।
भागीरथ चौधरी दूसरी बार के सांसद हैं और मोदी कैबिनेट में पहली बार शामिल किए जा रहे हैं। इससे पहले पिछले साल भागीरथ किशनगढ़ से विधानसभा चुनाव हार गए थे जिसके बाद उन्हें अजमेर से लोकसभा का टिकट मिला और अब वो केंद्र में मंत्री बनने जा रहे हैं। भागीरथ जाट समाज का एक बड़ा चेहरा है और संगठन में कई पदों पर रहे हैं।
2024 में 3 लाख की लीड से जीत
बता दें कि भागीरथ चौधरी 2019 की जीत के बाद एक बार फिर 2024 में अजमेर की जनता के सामने चुनावी मैदान में थे जहां उन्होंने 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की। चौधरी ने लगभग 7 लाख से ज्यादा (747462) वोट हासिल किए और अजमेर में चौधरी बनाम चौधरी की लड़ाई में उनके सामने कांग्रेस के रामचंद्र चौधरी को 4 लाख से ज्यादा (417471) वोट मिले।
2003 में बने पहली बार विधायक
69 वर्षीय भागीरथ चौधरी का जन्म 01- जून-1954 में अजमेर के मानपुरा में हुआ था जहां वह 2003 में पहली बार विधायक बने जिसके बाद 2013 में उन्हें फिर से विधायक चुना गया था. इसके बाद 2015-16 और 2016 से 2017 तक उन्हें पर्यावरण समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भागीरथ चौधरी ने कांग्रेस के रिजू झुनझुनवाला को हराया था। हालांकि साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से हार गए थे।
मुकद्दर के सिकंदर बने भागीरथ
दरअसल राजनीति किस्मत का खेल है और यह लाइन भागीरथ चौधरी पर एकदम फिट बैठती है जहां भागीरथ चौधरी 2019 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे और करीब 6 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हे किशनगढ़ विधानसभा सीट से टिकट थमा दिया जहां से वे पहले विधायक रह चुके हैं।
इधर भागीरथ को टिकट मिलने पर 2018 के चुनाव में हारे कांग्रेस प्रत्याशी विकास चौधरी ने बगावत कर दी, विकास भाजपा छोड़ कांग्रेस में चले गए और कांग्रेस के टिकट पर विकास चौधरी ने किशनगढ़ विधायक और निर्दलीय उम्मीदवर सुरेश टांक को हराया जबकि अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी तीसरे नंबर पर रहे...ऐसे में सांसद होकर विधायक का चुनाव नहीं जीत पाने पर भागीरथ चौधरी की भारी किरकिरी हुई, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जाट चेहरे के कारण दिल्ली में जगह!
गौरतलब है कि बीजेपी को राजस्थान में जातिगत समीकरणों के फेल होने के चलते ही हार मिली है जहां जाट और एससी-एसटी वोटर्स काफी शिफ्ट हो गया। ऐसे में आऩे वाले समय में हरियाणा चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने भागीरथ चौधरी पर दांव लगाया है। वहीं इससे पहले भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को अजमेर से जाट प्रत्याशी की जरूरत थी और पार्टी को भागीरथ चौधरी से ज्यादा मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला और पार्टी के अंदरूनी सर्वे में भी उनकी जीत की संभावना जताई गई थी।
इसके अलावा मंत्री पद का रास्ता तब साफ हुआ जब बाड़मेर जैसलमेर से केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी चुनाव हार गए। उस पर राजस्थान में भाजपा के दूसरे जाट प्रत्याशी सीकर से सुमेधानंद सरस्वती, झुंझुनू से शुभकरण चौधरी और चूरू से देवेंद्र झाझड़िया भी चुनाव हार गए। जाटों की नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी को किसी सांसद को मंत्री बनाने की मजबूरी थी। भाजपा के पास भागीरथ चौधरी के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था।
इसके इधर राजस्थान में बीजेपी इस बार जातिगत गणित में ही उलझी जिसकी अब समय के साथ समीक्षा और मंथन की जाएगी लेकिन इस बीच अजमेर से दूसरी बार के सांसद भागीरथ चौधरी की आज लॉटरी खुल गई. भागीरथ जातिगत समीकरण के अलावा वो सांसद हैं जब बाड़मेर-जैसलमेर से केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, सीकर से सुमेधानंद सरस्वती, झुंझुनू से शुभकरण चौधरी और चूरू से देवेंद्र झाझड़िया जैसे चेहरे चुनाव हार गए.
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