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PM Modi 3.O Cabinet: मोदी ने फिर चौंकाया, BJP का सपना टूटा....पर चमकी कईयों किस्मत, 4 MP को दिल्ली में कुर्सी

PM Modi 3.O Cabinet: केंद्र में एनडीए की गठबंधन सरकार मजबूरी और राजस्थान में 11 सीटें हारने के बावजूद मोदी सरकार में राजस्थान को पिछली बार से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के तीनों मंत्रियों...
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PM Modi 3.O Cabinet: केंद्र में एनडीए की गठबंधन सरकार मजबूरी और राजस्थान में 11 सीटें हारने के बावजूद मोदी सरकार में राजस्थान को पिछली बार से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के तीनों मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और भूपेंद्र यादव को फिर मौका दिया है जबकि अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी राज्य़ से नया चेहरा जिनको मंत्रिमंडल में जगह मिली है, जिन्हें बाड़मेर-जैसलमेर से चुनाव हारे कैलाश चौधरी का रिप्लेसेंट समझा जा रहा है।

राजस्थान से इस बार पिछली सरकार के मुकाबले ज्यादा हिस्सेदारी देखी जा रही है जहां अलवर से पहली बार लोकसभा चुनाव जीते भूपेंद्र यादव, अजमेर से दूसरी बार जीते भागीरथ चौधरी, जोधपुर से तीसरी बार जीते गजेंद्र सिंह शेखावत और बीकानेर से चौथी बार जीते सांसद अर्जुनराम मेघवाल के मोदी सरकार में शामिल होने से राजस्थान की बल्ले-बल्ले हो गई है।

भूपेंद्र यादव पहले भी मंत्री थे लेकिन वे राज्यसभा के सदस्य हैं। वे पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे। पार्टी ने उन्हे अलवर से टिकट दिया था जहां वे कांग्रेस विधायक ललित यादव को हरा कर सांसद बनें। इस तरह राजस्थान से मंत्रियों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो गई।

मुकद्दर के सिकंदर भागीरथ चौधरी

राजनीति किस्मत का खेल है, यह भागीरथ चौधरी के मंत्री बनने से समझ में आता है। भागीरथ चौधरी 2019 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे। करीब 6 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हे किशनगढ़ विधानसभा सीट से टिकट थमा दिया। वे इस सीट से पहले विधायक रह चुके हैं। भागीरथ को टिकट मिलने पर 2018 के चुनाव में हारे कांग्रेस प्रत्याशी विकास चौधरी ने बगावत कर दी। विकास भाजपा छोड़ कांग्रेस में चले गए।

कांग्रेस के टिकट पर विकास चौधरी ने किशनगढ़ विधायक और निर्दलीय उम्मीदवर सुरेश टांक को हराया, जबकि अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी तीसरे नंबर पर रहे। सांसद होकर विधायक का चुनाव नहीं जीत पाने पर भागीरथ चौधरी की भारी किरकिरी हुई, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

भागीरथ के सहारे जाटों की भागीदारी

लोकसभा चुनाव में भाजपा को अजमेर से जाट प्रत्याशी की जरूरत थी। पार्टी को भागीरथ चौधरी से ज्याद मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला और पार्टी के अंदरूनी सर्वे में भी उनकी जीत की संभावना जताई गई। लिहाजा भागीरथ चौधरी को फिर लोकसभा का टिकट मिल गया और वे चुनाव जीत गए।

मंत्री पद का रास्ता तब साफ हुआ जब बाड़मेर जैसलमेर से केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी चुनाव हार गए। उस पर राजस्थान में भाजपा के दूसरे जाट प्रत्याशी सीकर से सुमेधानंद सरस्वती, झुंझुनू से शुभकरण चौधरी और चूरू से देवेंद्र झाझड़िया भी चुनाव हार गए। जाटों की नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी को किसी सांसद को मंत्री बनाने की मजबूरी थी। भाजपा के पास भागीरथ चौधरी के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था।

दलित चेहरे के तौर पर अर्जुन मेघवाल को फिर मौका

जाटों के अलावा एक और वर्ग इस बार कांग्रेस के साथ नजर आया, यह है दलित वर्ग। ऐसे में अर्जुनराम मेघवाल भी मोदी सरकार की जरूरत बन गए। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बीकानेर रिजर्व सीट से चौथी बार जीते मेघवाल राजस्थान में भाजपा का बड़ा दलित चेहरा हैं। उत्तरी राजस्थान से वे इकलौते भाजपा सांसद भी हैं। पास की गंगानगर, नागौर और चूरू सीट पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा अर्जुनराम मेघवाल ने सरकार में अपने प्रदर्शन के आधार पर भी अपनी जगह बरकरार रखी। पिछली सरकार में उनके पास संसदीय मामलों के अलावा कानून और संस्कृति मंत्रालय की जिम्मेदारी भी थी।

पशिचमी राजस्थान से गजेंद्र सिंह शेखावत का फिर मौका

जोधपुर से तीसरी बार जीते गजेंद्र सिंह शेखावत एक बार फिर पश्चिमी राजस्थान का और राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करेंगे। संघ से अच्छे संबंध और जोधपुर में पूव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके घर में चुनौती देने वाले शेखावत की अहमियत भाजपा आलाकमान की नजर में कम नहीं हुई है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के उनके कामकाज की प्रधानमंत्री भी प्रशंसा कर चुके हैं।

भाजपा आलाकमान की पसंद भूपेंद्र यादव

अलवर से जीते भूपेंद्र यादव पूर्वी राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे। ओबीसी से आने वाले यादव भाजपा आलाकामान से अच्छे संबंध, अपने संगठन कौशल और वन और पर्यावरण मंत्री के रूप में बेहतर कामकाज के लिए जाने जाते हैं। वे झारखंड के चुनाव सहप्रभारी, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं। वे हाल ही में हुए उड़ीसा विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के प्रभारी थे, जहां भाजपा ने बीजद से सत्ता छीनते हुए राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल करने के साथ 21 में से 20 लोकसभा सीटें भी जीती हैं।

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