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सीएम की कुर्सी पर सवाल! कांग्रेस नेता ने भजनलाल शर्मा को लेकर दिया बड़ा बयान, जाने क्या बोले गए

हाल ही में विधानसभा में मंत्री अविनाश गहलोत की इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है।
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Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान में राजनीतिक संघर्ष लगातार तेज होता जा रहा है। हाल ही में विधानसभा में मंत्री अविनाश गहलोत की इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है। विपक्ष इस बयान को पूर्व प्रधानमंत्री के अपमान से जोड़ते हुए सरकार पर हमला बोल रहा है,(Rajasthan Assembly Budget Session 2025 ) जबकि सत्ता पक्ष कांग्रेस पर अनावश्यक हंगामा खड़ा करने का आरोप लगा रहा है। इस विवाद के चलते सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ और छह कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद कांग्रेस ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन छेड़ दिया।

संयम लोढ़ा का विवादित बयान

इस राजनीतिक घमासान के बीच पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेकर विवादित बयान दिया। उनका कहना था कि, "राजस्थान की जनता के साथ कैसी दुर्घटना हो गई! यह वैसा ही है जैसे फिल्मों का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड राखी सावंत को दे दिया जाए।" उन्होंने मुख्यमंत्री के अनुभव और प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो व्यक्ति कभी भाजपा के कार्यकाल में चाय की पर्चियां बनाता था, उसे रातों-रात मुख्यमंत्री बना दिया गया। लोढ़ा का यह बयान भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक हमला साबित हुआ है, जिससे राज्य में सियासी तापमान और बढ़ गया है।

 दिया कुमारी के फैसलों पर सवाल

पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम दिया कुमारी पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सदन की मर्यादा बनाए रखना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होती है, लेकिन उन्होंने अपने मंत्री के विवादित बयान के बाद भी कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया।

खाचरियावास ने उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी पर तंज कसते हुए कहा, "राजस्थान की डिप्टी सीएम ने कमाल कर दिया, इनके बाप-दादा ने गोविंद देव जी मंदिर बनवाया, जिसे हमारी सरकार ने 100 करोड़ रुपए दिए। लेकिन दिया कुमारी ने आईफा अवॉर्ड में नाच-गाने के लिए 100 करोड़ रुपए दे दिए, धन्य है!" उनकी इस टिप्पणी ने सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

कैसे शुरू हुआ यह राजनीतिक संकट?

इस विवाद की शुरुआत सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत के बयान से हुई। विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि "कांग्रेस अपनी दादी इंदिरा गांधी के नाम पर योजनाओं का नाम रखती है।" यह बयान कांग्रेस को नागवार गुजरा, और पार्टी के विधायक भड़क उठे। गहलोत के बयान को इंदिरा गांधी का अपमान बताते हुए कांग्रेस विधायक सदन के वेल में पहुंच गए और मंत्री से माफी की मांग करने लगे। सत्ता पक्ष ने इस विरोध को सदन की कार्यवाही बाधित करने का प्रयास बताते हुए कांग्रेस के छह विधायकों को निलंबित कर दिया। इस निलंबन के बाद कांग्रेस ने न सिर्फ विधानसभा का घेराव किया, बल्कि राज्यभर में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया।

राजस्थान की सियासत में नया मोड़

इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी इस पूरे विवाद को जनता के बीच ले जाकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में है। दूसरी ओर, भाजपा इसे कांग्रेस का सुनियोजित ड्रामा करार दे रही है और अपने फैसलों को सही ठहराने में जुटी है। यह साफ है कि यह राजनीतिक संघर्ष अभी और तेज होगा। कांग्रेस सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है, वहीं भाजपा अपने बचाव में पूरी तरह सक्रिय हो गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह सियासी लड़ाई कौन सी नई दिशा लेती है।

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