23 में छात्रसंघ अध्यक्ष, फिर सरपंच से अब विधायकी का टिकट, कौन है चौरासी से कांग्रेस प्रत्याशी महेश रोत?
Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में उपचुनावों को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है जहां बीजेपी और कांग्रेस ने सातों सीट पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. प्रदेश की 7 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होनी है जिसके लिए 25 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तारीख है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर 29 साल के युवा चेहरे महेश रोत पर चुनावी दांव खेला है. चौरासी से BAP से गठबंधन नहीं होने के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है.
बता दें कि युवा महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच है और इससे पहले वह उदयपुर कॉलेज में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और यूथ कांग्रेस के नेता रहे हैं. दरअसल विधायक राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद चौरासी सीट खाली हो गई थी. इससे पहले भारत आदिवासी पार्टी ने सबसे पहले अनिल कटारा को चौरासी से अपना प्रत्याशी बनाया था. महेश रोत की चौरासी क्षेत्र में युवा वर्ग के अच्छी खासी पकड़ है.
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— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) October 24, 2024
छात्रसंघ अध्यक्ष से शुरू किया सफर
बता दें कि महेश रोत सांसरपुर पंचायत के कजड़िया फला के रहने वाले हैं जहां उनके पिता अमृतलाल रोत भी 1995-2000 में जिला परिषद सदस्य रहे हैं. महेस ने राजनीति विज्ञान से MA किया और कॉलेज के दौरान ही वह कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े और छात्र मुद्दों पर राजनीति करने लगे. इसके बाद वह कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े और 2017-18 में उदयपुर मोहनलाल सुखाड़िया कला महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे. वहीं 2018 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में एनएसयूआई से केंद्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी भी रह चुके हैं. वहीं 2022 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
चौरासी में ST वोटर्स का दबदबा!
राजस्थान के दक्षिणांचल में आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा में एसटी वोटबैंक ही हार जीत का फैसला करता है यहां 70% आबादी ST वोटर्स हैं जबकि 10% OBC और 20% जनरल, अल्पसंख्यक और SC वोटर्स की तादाद है. इस सीट का चुनावी इतिहास देखें तो 1967 से लेकर आज तक 12 बार चुनाव हुए जिसमें 6 बार कांग्रेस जीतने में कामयाब रही हालांकि पिछले 2 चुनावों से यहां बाप का दबदबा है. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) आने से कांग्रेस और बीजेपी का यहां से सफाया हो गया. इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत आदिवासी पार्टी ही होगी.
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