राजस्थान उपचुनाव में 'भाइयों की जोड़ी' की जोरदार चर्चा! बेनीवाल से लेकर किरोड़ीलाल तक, कहीं गिले-कहीं शिकवे
Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में उपचुनावों को लेकर सियासी बिसात बिछ चुकी है जहां बीजेपी और कांग्रेस ने सभी सातों सीट पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. वहीं BAP, RLP और निर्दलीय चेहरों ने भी कई सीटों खेल बिगाड़ने के लिए कमर कस ली है. प्रदेश की 7 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होनी है जिसके लिए 25 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तारीख है. इस बीच सूबे के सियासी गलियारों में इस बार उपचुनावों से पहले परिवारवाद, वंशवाद और प्रतिष्ठा का सवाल जैसी चर्चाएं हो रही है.
हालांकि देखा जाए तो ये उपचुनाव दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं जहां सीएम भजनलाल को खुद को साबित करना है क्योंकि उनके चेहरे पर प्रदेश में पहला चुनाव लड़ा जा रहा है. इधर विपक्ष के तौर पर कांग्रेस के नेताओं को खुद को स्थापित करने के साथ ही प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.
दरअसल इस बार उपचुनाव में परिवारवाद की चर्चा वैसे बेमानी सी भी लग रही है क्योंकि बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर आरएलपी हर किसी ने अपने परिवार की चुनावी विरासत को बचाने या बढ़ाने के लिए टिकटों का खेल किया है लेकिन इस उपचुनाव में भाइयों की जोड़ी की खासी चर्चा है जहां हनुमान बेनीवाल के भाई से लेकर किरोड़ीलाल मीणा के भाई और हरीश मीणा के भाई लगातार सुर्खियों में रहे.
दौसा से चुनावी मैदान में किरोड़ीलाल के भाई
दौसा विधानसभा सीट से मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा पर बीजेपी ने दांव खेला है जहां उन्हें कांग्रेस के डीसी बैरवा के सामने उतारा गया है. जगमोहन मीणा को टिकट मिलने के बाद चर्चा होने लगी कि किरोड़ीलाल मीणा ने अपना काम कर दिया है. हालांकि भाई को टिकट मिलने के बाद बाबा ने कहा कि जगमोहन मीणा को उनकी काबिलियत के चलते टिकट मिला है. किरोड़ीलाल मीणा ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जगमोहन के लिए टिकट पैरवी भी की थी लेकिन पार्टी ने उचित नहीं समझा तो अब उपचुनाव में दौसा से प्रत्याशी बनाया है. मीणा ने कहा कि हमारा परिवार पिछले 40 सालों से बीजेपी की विचारधारा के लिए काम कर रहा है.
वहीं टिकट मिलने पर जगमोहन मीणा ने कहा कि मैंने 2014 में सरकारी सेवा से राजनीति क्षेत्र में आने के लिए वीआरएस लिया था और कई सालों से प्रयास कर रहा हूं लेकिन कई बार परिस्थितियां बन जाती है पर टिकट नहीं मिलता है. जगमोहन ने कहा कि मुझे उम्मीद और पार्टी से विधानसभा या लोकसभा का टिकट मिलने की अपेक्षा थी लेकिन किसी कारणवश मुझे मौका नहीं दिया गया था.
भाई का भाई के साथ धोखा!
वहीं इधर देवली-उनियारा सीट पर भाई-भाई के खटास भरे रिश्तों की बातें होती रही जहां सांसद बने हरीश मीणा के भाई का टिकट से पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ जिसमें उनके भाई पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा देवली-उनियारा से टिकट की मांग करते हुए नरेश मीणा से बात रहे हैं. इस दौरान नमोनारायण कहते हैं कि मैंने भी लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मांगा था लेकिन मुझे भी नहीं दिया वरना मैं इस बार में जीत जाता. नमोनारायण मीणा ने आगे कहा कि मेरे भाई ने मेरे साथ धोखा किया. इधर कांग्रेस ने फिर देवली-उनियारा सीट से केसी मीणा को टिकट दिया.
हनुमान ने अपने भाई को बचाया!
खींवसर से लंबी चली पशोपेश के बाद आखिरकार नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने आरएलपी से अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उतारा है. खींवसर सीट पर इस बार आरएलपी का कांग्रेस से गठबंधन नहीं हुआ है ऐसे में बेनीवाल के लिए वहां मामला फंसा हुआ है. खींवसर की जंग में कनिका के लिए इतनी आसान नहीं रहने वाली है क्योंकि कांग्रेस से रतन चौधरी भी वहां मजबूत दावेदार मानी जा रही है. ऐसे में महिला प्रत्याशी के सामने बेनीवाल ने भी यहां महिला कार्ड चला है. बता दें कि इससे पहले बेनीवाल की पार्टी से नारायण बेनीवाल का नाम चल रहा था लेकिन बाद में उनका चांस नहीं लगा.
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