Rajasthan: राजस्थान में IAS अफसरों का 'टोटा', क्या भजनलाल सरकार इस संकट से उबर पाएगी?
Shortage of IAS Officers: राजस्थान में आईएएस अफसरों की कमी (Shortage of IAS Officers )एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो सरकार की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है। आईएएस अफसरों की कमी के चलते राजस्थान की सरकार की कार्यशैली ठप होती जा रही है। लगभग चार दर्जन आईएएस अधिकारियों पर अतिरिक्त कार्यभार का बोझ लाद दिया गया है, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर गंभीर असर पड़ रहा है। यहां तक कि राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत को भी पांच विभागों का जिम्मा संभालना पड़ रहा है, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
कामकाज पर प्रभाव: आईएएस अधिकारियों की कमी का कड़वा सच
राजस्थान में 313 आईएएस पदों के मुकाबले केवल 263 अधिकारी तैनात हैं, और यह स्थिति न केवल उनके अपने विभागों, बल्कि समग्र सरकारी कार्य को भी प्रभावित कर रही है। आईएएस अफसरों की कमी का असर हर स्तर पर महसूस किया जा रहा है। राज्य में 18 आईएएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, और एक अधिकारी जम्मू-कश्मीर में तैनात है, जिससे स्थिति और भी विकट हो गई है।
अतिरिक्त कार्यभार: अधिकारियों पर दबाव का पहाड़
आईएएस अधिकारियों की कमी के चलते कार्यभार का दारोमदार उन अधिकारियों पर है, जो पहले से ही कई जिम्मेदारियों से लद चुके हैं। जोधपुर संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह पाली संभाग की जिम्मेदारी संभाल रही हैं, जबकि जयपुर कलेक्टर जितेंद्र सोनी को जयपुर ग्रामीण और दूदू के कलेक्टर का अतिरिक्त कार्यभार भी निभाना पड़ रहा है। कोटा कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी और जोधपुर कलेक्टर गौरव अग्रवाल भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं।
मुख्य सचिव: जद्दोजहद की कहानी
मुख्य सचिव सुधांशु पंत भी इस बोझ से अछूते नहीं हैं। उनके पास खान अध्यक्ष, खनिज लिमिटेड उदयपुर, और कई अन्य विभागों की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता और गृह विभाग के एसीएस आनंद कुमार भी विभिन्न विभागों का अतिरिक्त कार्यभार संभालने में व्यस्त हैं। यह स्थिति प्रशासनिक कार्यों में स्थिरता की कमी को उजागर करती है।
जुलाई में केंद्र सरकार द्वारा आईएएस कैडर रिव्यू में राजस्थान को तगड़ा झटका लगा। 52 आईएएस अधिकारियों की डिमांड के मुकाबले केवल 19 पद स्वीकृत किए गए। यह स्थिति आईएएस अफसरों की कमी के समाधान में बाधा उत्पन्न कर रही है।
नए जिलों की तैनाती: चुनौतिया बरकरार
गहलोत सरकार ने चुनावी वर्ष में 17 नए जिलों और तीन नए संभागीय आयुक्त कार्यालय खोले हैं, जिससे अब जिलों की संख्या 50 और संभागीय आयुक्त कार्यालयों की संख्या 10 हो गई है। लेकिन केंद्र सरकार ने इन नए पदों के लिए कोई अतिरिक्त पद स्वीकृत नहीं किए, जिससे प्रशासनिक तंत्र में और भी तनाव बढ़ गया है
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