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राजस्थान में लव जिहाद कानून! हिंदुत्व एजेंडे की ओर एक कदम, जानें और किन राज्यों में हैं ऐसे कानून

Anti-Conversion Law: उत्तरप्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी संघ के हिंदुत्व एजेंडे को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। राज्य में बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लव जिहाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था,...
05:07 PM Dec 02, 2024 IST | Rajesh Singhal

Anti-Conversion Law: उत्तरप्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी संघ के हिंदुत्व एजेंडे को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। राज्य में बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लव जिहाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, (Anti-Conversion Law) और हाल ही में मथुरा में संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे विवादास्पद मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। राजस्थान की सरकार अब लव जिहाद के खिलाफ नया कानून लाने का ऐलान कर चुकी है, जिससे प्रदेश में इस मुद्दे पर संघ की विचारधारा को और भी मजबूत किया जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा है, या फिर हिंदुत्व के एजेंडे को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक गंभीर प्रयास?

राजस्थान में लव जिहाद कानून: एक नई पहल

राजस्थान की भजनलाल सरकार आगामी विधानसभा सत्र में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ प्रोविजन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन बिल-2024 लाने जा रही है। कैबिनेट की बैठक में इस बिल के मसौदे को मंजूरी मिल चुकी है, जो प्रदेश में संघ के हिंदुत्व एजेंडे को और धार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शनिवार को कैबिनेट द्वारा इस बिल का ऐलान किया गया, और रविवार को राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया। तिवाड़ी का संघ से संबंध इस घोषणा को और भी महत्वपूर्ण बनाता है, क्योंकि यह कानून संघ के एजेंडे के तहत हो सकता है।

वसुंधरा सरकार का धर्म स्वातंत्र्य विधेयक

राजस्थान में यह पहली बार नहीं हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार ने भी 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पेश किया था, लेकिन दोनों बार इसे राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिली। पिछले 16 वर्षों से यह विधेयक राष्ट्रपति भवन में अटका रहा, और बिना अनुमति के यह कानून नहीं बन पाया। अब भजनलाल सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया है।

अन्य राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून

राजस्थान से पहले कई अन्य राज्यों ने धर्म के गैरकानूनी रूपांतरण को रोकने के लिए कानून बनाए हैं। 2020 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस उद्देश्य से एक अध्यादेश जारी किया था, और मध्यप्रदेश ने 2021 में अपना धर्म की स्वतंत्रता कानून लागू किया। इसके अतिरिक्त, हरियाणा ने भी 2022 में धर्म परिवर्तन निवारण कानून बनाया। ये कानून राज्यों में धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए पेश किए गए हैं और समाज में इस पर चर्चा जारी है।

संसद में प्राइवेट बिल और केंद्रीय कानून की स्थिति

देश में धर्म परिवर्तन के खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन कई बार संसद में प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत किए गए हैं। हालांकि, ये कभी पारित नहीं हो पाए। 2015 में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा था कि संसद के पास धर्मांतरण विरोधी कानून पारित करने की विधायी क्षमता नहीं है। इसके बावजूद कई राज्यों ने बल, धोखाधड़ी या प्रलोभन से किए गए धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने के लिए 'धर्म की स्वतंत्रता' कानून बनाए हैं।

धर्मांतरण विरोधी कानूनों की तुलना

इन धर्मांतरण विरोधी कानूनों की तुलना करते हुए, यह देखा जा सकता है कि राज्यों ने धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं बनाई हैं। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में धर्मांतरण के लिए पूर्व सूचना देना अनिवार्य है, और अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है कि धर्मांतरण जबरन या लालच में तो नहीं हुआ। इन कानूनों के उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है, जो धर्मांतरण को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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