सवाईमाधोपुर को कोटा संभाग में वापस लाने की मांग, क्या बनेगा नया सियासी मोड़?
Sawai Madhopur-Kota Connection: राजस्थान के MLA Kirori Lal Meena ने सवाईमाधोपुर को फिर से कोटा संभाग में शामिल करने की गूंज उठाई है। उनके अनुसार, Sawai Madhopur और कोटा के बीच की भौगोलिक और सांस्कृतिक समानताएँ इसे एक बेहतर विकल्प बनाती हैं।
भौगोलिक दूरी की समस्या: भरतपुर से 200 किमी दूर!
मीणा ने 18 सितंबर को मुख्यमंत्री को भेजे गए नोटशीट में स्पष्ट किया कि सवाईमाधोपुर, भरतपुर से 200 किलोमीटर दूर है। जबकि कोटा केवल 130 किलोमीटर की दूरी पर है, जिससे वहां जाने में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
संस्कृति का संगम: शिक्षा और जुड़ाव
सवाईमाधोपुर के शिक्षा संस्थान कोटा विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। यहां के लोग अक्सर कोटा के अस्पतालों में उपचार के लिए जाते हैं। मीणा ने बताया कि सवाईमाधोपुर की भाषा और संस्कृति कोटा से काफी मेल खाती है, जो स्थानीय लोगों के लिए कोटा को पहली पसंद बनाता है।
गहलोत सरकार का जिला पुनर्गठन: कोटा क्यों रहा अछूता?
गहलोत सरकार द्वारा प्रदेश में 19 नए जिलों और 3 नए संभागों का गठन किया गया, लेकिन कोटा संभाग में कोई बदलाव नहीं हुआ। अगर सवाईमाधोपुर को फिर से कोटा में शामिल किया जाता है, तो हाड़ौती संभाग में 5 जिले हो जाएंगे। इससे लोगों की उम्मीदें जागी हैं कि उनकी पहचान फिर से कोटा से जुड़ेगी।
केंद्र सरकार के विभागों का नियंत्रण: प्रशासनिक जटिलताएं
सवाईमाधोपुर, 19 साल पहले कोटा से हटने के बावजूद, कई केंद्र सरकार के विभागों के प्रशासनिक नियंत्रण में है। रेलवे मंडल कोटा है, और वहां के कॉलेज कोटा विश्वविद्यालयों से संबंधित हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सवाईमाधोपुर का कोटा से गहरा नाता है।
छोटा जिला, बड़ी समस्याएं: तहसीलें घट गईं
सवाईमाधोपुर अब केवल 6 तहसीलें रह गई हैं, क्योंकि दौसा, करौली और गंगापुरसिटी को जिला बनाए जाने के बाद इसकी तहसीलें कम हो गई हैं। मंत्री मीणा ने स्थानीय लोगों की मांग को लेकर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध किया है। क्या सवाईमाधोपुर की यह ऐतिहासिक वापसी संभव होगी?
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