"आजादी के बाद से आदिवासियों के साथ हुआ छलावा..." राजकुमार रोत बोले- आरक्षण अब आदिवासी MLA-MP तय करेंगे
Adivasi Reservation Demand Rally: (मृदुल पुरोहित) अनुसूचित क्षेत्र आरक्षण मोर्चा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले अनुसार राजस्थान में आरक्षण उप वर्गीकरण अनुसूचित क्षेत्र, टीएसपी में रोस्टर प्रणाली को खत्म कर आरक्षण व्यवस्था लागू करने, रेगिस्तान क्षेत्र, बनास चंबल क्षेत्र, मत्स्य क्षेत्र में अलग-अलग अधिसूचित करने, बांध व तालाबों के पानी पर जल आरक्षण सहित विभिन्न मांगों को लेकर रविवार को जिला मुख्यालय पर सभा की गई। इसके बाद रैली निकालकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया गया।
अनुसूचित क्षेत्र आरक्षण मोर्चा के बैनर तले एसजीजी काॅलेज मैदान में रैली से पहले आयोजित सभा में संबोधित करते हुए सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि आदिवासी इलाके में आजादी के बाद से अब तक आरक्षण को लेकर हमेशा भ्रम पैदा किया गया। समय-समय पर अधिसूचना लाई गई। आदिवासी के खिलाफ नीतियां बनाई गई और आदिवासियों से ही तालियां बजवाई गई।
2013 की अधिसूचना आदिवासियों के लिए काला कानून
2013 में अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई, उसमें बताया कि यह आदिवासियों के लाभ के लिए है। अशिक्षित लोग समझे कि उनके बच्चे सरकारी नौकरी प्राप्त करेंगे। 2013 से 2025 का डाटा देखें तो कुछ लोग पुलिस भर्ती में आदिवासी का प्रमाण पत्र लगाकर पुलिस कर्मचारी अधिकारी बनते हैं और बाद में खुद को तीसमारखां समझते हैं। अनुसूचित क्षेत्र में 939 पद आए।
अधिसूचना के अनुसार 423 पद मिलने चाहिए थे, किंतु 414 पद मिले। अधिसूचना में 50 प्रतिषत अनारक्षित का प्रावधान था। 2013 की भर्ती में 50 प्रतिशत के अनुसार 470 पद आए, उसमें से एसटी के 8 बच्चे जा पाए। शिडयूल एरिया में विशेष अधिकार होने के बावजूद अन्याय किया गया। अन्य विभागों की भर्तियों में भी आदिवासियों को 2013 की अधिसूचना के कारण चार से पांच हजार युवा नौकरी नहीं लग पाए। यह अधिसूचना आदिवासी क्षेत्र के लिए काला कानून है।
क्षेत्रीय आधार पर हो वर्गीकरण
सांसद ने कहा कि अभी आरक्षण में आरक्षण की बात कही जा रही है, किंतु जिन्होंने आरक्षण बेचने का काम किया, 2013 की अधिसूचना लागू की, वहीं आज आरक्षण की बात कर रहे हैं। जो लाभ गरीब परिवार को नहीं मिला, उसे मिलना चाहिए। कैसे मिलेगा, वह हम तय करेंगे, जन प्रतिनिधि तय करेंगे।
जनजाति परामर्शदात्री परिषद में तय करेंगे। परिषद राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजेंगे। इसके बाद अधिसूचना तरीके से लागू होगी। यदि वर्गीकरण करना है तो क्षेत्रीय आधार पर कर दो। न लड़ाई होगी, न जातियांें में बांटा जाएगा। आरक्षण हमारा अधिकार है। शिडयूल एरिया में जो लोग आरक्षण के नाम पर राजनीति करना चाहते हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।
संभाग का दर्जा हटाने पर मौन
उन्होंने कहा कि बांसवाड़ा से संभाग का दर्जा हटाया गया। जो लोग संभाग के नाम पर माला पहन रहे थे, वह अब मौन हैं। इससे बड़ा नुकसान हुआ है। यहां की जागरूकता की कमी का लाभ सरकार ने उठाया है। 9 फरवरी को डूंगरपुर में और उसके बाद प्रतापगढ़ और आने वाले समय में संभाग स्तरीय रैली व सम्मेलन किया जाएगा।
वहीं बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल ने कहा कि 2013 में अनुसूचित क्षेत्र में जो अधिसूचना लागू हुई, वह आदिवासियों के हितों के खिलाफ है। युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला। इसके तहत अन्य मांगों को लेकर हम सड़क पर उतरे हैं।
सैलाना से विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि हम भील कौम के हैं। हमारे वहां धरना-आंदोलन में एसपी-कलेक्टर आ जाते हैं, यहां वाले कहां गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि भील इस देश के असली मालिक हैं। जब भी मालिक वर्ग सड़क पर आए तो उसे चना-पानी पूछना चाहिए।
राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
सभा के बाद काॅलेज मैदान से लिंक रोड, महाराणा प्रताप चौराहा, विद्युत नगर, हेमू कालानी चौराहा, माही काॅलोनी, मोहन काॅलोनी होते हुए रैली कलेक्ट्री चैराहा पहुंची। यहां रैली में सम्मिलित मोर्चा समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद सांसद के नेतृत्व में सभी विधायकों और मोर्चा पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया।
.