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वनरक्षक भर्ती घोटाला! 8 लाख में बिके सवाल, इंदौर से मास्टरमाइंड गिरफ्तार, बड़े नेटवर्क का खुलासा

राजस्थान की वनरक्षक भर्ती-2020 परीक्षा भी इसी भ्रष्ट तंत्र का शिकार बनी, जहां कैंडिडेट्स से लाखों रुपये लेकर उन्हें परीक्षा से पहले ही उत्तर रटवा दिए गए।
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Banswara News: सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में धांधली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। राजस्थान की वनरक्षक भर्ती-2020 परीक्षा भी इसी भ्रष्ट तंत्र का शिकार बनी, जहां कैंडिडेट्स से लाखों रुपये लेकर उन्हें परीक्षा से पहले ही उत्तर रटवा दिए गए। महीनों से फरार इस घोटाले के मास्टरमाइंड को आखिरकार पकड़ लिया गया है, लेकिन क्या इस गिरफ्तारी से पूरे रैकेट का खुलासा होगा?

राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने वनरक्षक भर्ती-2020 के बहुचर्चित पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड हरीश सहारण उर्फ हीराराम को इंदौर से धर दबोचा है। (Banswara News) बाड़मेर निवासी हरीश बीते 8 महीने से फरार था, और इस पर बांसवाड़ा पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था। जांच में सामने आया कि परीक्षा की दोनों पारियों से ठीक 2 घंटे पहले अलग-अलग जगहों पर अभ्यर्थियों को उत्तर रटवाए गए थे। इस पूरे खेल में डूंगरपुर के चीखली गांव का JEN अभिमन्युसिंह चौहान भी शामिल था। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।

कैसे बिक रही थी सरकारी नौकरियां?

सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धांधली कोई नई बात नहीं, लेकिन राजस्थान की वनरक्षक भर्ती-2020 में हुआ खुलासा चौंकाने वाला है। महज 8 लाख रुपये में सरकारी नौकरी का सौदा हो रहा था, जिसमें मास्टरमाइंड हरीश सहारण के साथ कई अन्य लोग भी शामिल थे। परीक्षा से पहले ही अभ्यर्थियों को उत्तर रटवाए गए, जिनमें से कुछ को नौकरी भी मिल चुकी थी। अब SOG की गिरफ्त में आए मास्टरमाइंड से बड़े खुलासों की उम्मीद की जा रही है।

कैसे हुआ पेपर लीक?

13 नवंबर 2022 को आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 दो पारियों में हुई थी। मास्टरमाइंड हरीश सहारण बाड़मेर से पेपर लाकर अभ्यर्थियों को पहले से ही हल करा रहा था। पहली पारी का पेपर बांसवाड़ा के होटल ब्लू मून, जबकि दूसरी पारी का पेपर शास्त्रीनगर स्थित एक घर में हल करवाया गया। प्रत्येक अभ्यर्थी से 8-8 लाख रुपये वसूले गए, ताकि वे परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी हासिल कर सकें।

इस मामले की पोल 28 जून 2024 को तब खुली, जब बांसवाड़ा के शास्त्रीनगर निवासी प्रवीण मालवीया को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि VDO सकन खड़िया ने हरीश सहारण और JEN अभिमन्यु सिंह चौहान के साथ मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया था।

कैसे रची गई साजिश?

हरीश सहारण और अभिमन्यु ने मिलकर एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया। पहली पारी का पेपर होटल ब्लू मून में अभ्यर्थियों से हल करवाया गया।
दूसरी पारी का पेपर बांसवाड़ा के शास्त्रीनगर स्थित एक घर में अभ्यर्थियों को रटाया गया। VDO सकन खड़िया इस पूरे रैकेट का कोऑर्डिनेटर था, जो पेपर लीक कराने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।

किसे मिली नौकरी?

इस लीक के जरिए 5 अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पाने में सफल रहे, जिनमें एक दंपती भी शामिल है...सुभाष डिंडोर, सुखराम डामोर, निरमा डामोर (सुखराम की पत्नी) दो अन्य अभ्यर्थी सभी ने 8-8 लाख रुपये की भारी रकम चुकाकर यह नौकरी खरीदी थी।

1 जुलाई 2024 को एडिशनल एसपी धनफूल मीणा ने सज्जनगढ़ थाने में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इसमें वनरक्षक, एजेंट, दंपती और शिक्षक शामिल हैं। अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि अन्य की तलाश जारी है।

SOG की गिरफ्त में मास्टरमाइंड

हरीश सहारण को पकड़ने के बाद SOG अब उससे बांसवाड़ा में गहन पूछताछ करेगी। इस दौरान अन्य बड़े नामों के खुलासे की भी संभावना जताई जा रही है। पुलिस यह जांच भी कर रही है कि इस नेटवर्क में कितने और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत थी और कितने अभ्यर्थियों को इस लीक से फायदा मिला।

सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में इस तरह की धांधली ना सिर्फ प्रतिभाशाली युवाओं के सपनों को तोड़ती है, बल्कि पूरे भर्ती सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर देती है।

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