Banswara: बांसवाड़ा में जीती बाजी हार गई भाजपा ! बहुमत के बावजूद एक वोट से कौन जीता चुनाव ?
Banswara News Rajasthan: बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ में नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त खानी पड़ी है। (Banswara News Rajasthan) यहां बहुमत होने के बावजूद भाजपा अपना अध्यक्ष नहीं बना पाई। एक वोट से निर्दलीय प्रत्याशी जितेंद्र अहारी चुनाव जीत गए और भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। जितेंद्र पांच महीने कार्यवाहक अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
बहुमत के बावजूद चुनाव हार गई भाजपा
कुशलगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष के लिए कुल 20 पार्षदों में से 19 पार्षदों ने मतदान किया। इसके बाद मतगणना हुई, जिसमें निर्दलीय जितेंद्र अहारी ने 11 मत हासिल किए। वहीं भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी प्रमिला को 10 वोट ही मिले। जबकि कुशलगढ़ नगर पालिका में कुल 20 वार्ड हैं। इनमें 15 वार्डों में भाजपा के पार्षद हैं। दो वार्डों में कांग्रेस और तीन वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। मगर इसके बावजूद अब निर्दलीय जितेंद्र अहारी यहां अध्यक्ष चुने गए हैं।
डेढ़ साल पहले क्यों खाली हुआ था पद?
कुशलगढ़ नगर पालिका में पिछले चुनाव के बाद बबलू मईड़ा को अध्यक्ष बनाया गया था। करीब डेढ़ साल पहले वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा। राज्य सरकार ने जांच के बाद उन्हें पद के लिए अयोग्य घोषित कर छह साल के लिए चुनाव लडने पर भी रोक लगा दी थी। इसके बाद वार्ड 17 का पद खाली हो गया, यहां भाजपा ने बबलू की पत्नी प्रमिला को टिकट दिया। उन्होंने वार्ड में एकतरफा जीत भी दर्ज की।
एक वोट से जीती बाजी हार गई भाजपा !
भाजपा की प्रमिला पार्षद का चुनाव तो जीत गईं, मगर अध्यक्ष के लिए पेंच फंस गया। क्योंकि, अध्यक्ष का पद जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। कुछ पार्षद भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे व्यक्ति की पत्नी को ही प्रत्याशी बनाने से भी असंतुष्ट थे। जिसे देखते हुए पहले चार महीने तक कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले जितेंद्र अहारी ने बगावती तेवर दिखाते हुए अपना पर्चा दाखिल कर दिया। भाजपा ने प्रमिला को प्रत्याशी बनाया। मगर वो एक वोट से चुनाव हार गईं।
क्या अति आत्मविश्वास भी हार की वजह !
कुशलगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जितेंद्र अहारी की जीत के बाद भाजपा के हाथ से पालिका चली गई है। भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रमिला की जीत को एकतरफा मान रही थी। इसके चलते जितेंद्र को मनाने के लिए ज्यादा जतन नहीं किए। अति आत्मविश्वास में पार्टी अपने पार्षदों का साथ मिलने की उम्मीद में थी, मगर भाजपा के बागी को निर्दलीयों का भी साथ मिला और उसने अपने प्रतिद्वंदी को पटकनी दे दी।
(बांसवाड़ा से मृदुल पुरोहित का इनपुट)
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