पति गया, नौकरी छोड़ी, ससुराल ने अपनाने से इंकार किया....फिर भी मजबूत इरादों से बढ़ती रहीं!
Baran News: कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहां से आगे बढ़ना आसान नहीं होता। लेकिन कुछ लोग हर मुश्किल को मात देकर अपनी काबिलियत साबित करते हैं। आज हम आपको शाहबाद आदिवासी क्षेत्र के समरानिया कस्बे में जन्मी सेवानिवृत्त महिला पर्यवेक्षक कुसुमलता जैन की प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं। (Baran News)उन्होंने न केवल अपने संघर्षों से लड़कर एक मुकाम हासिल किया, बल्कि अपने अधिकारों और आत्मसम्मान के लिए भी डटकर खड़ी रहीं।
गांव की सीमाओं से निकलकर बनाई नई राह
कुसुमलता जैन की शिक्षा की शुरुआत गांव से हुई। आठवीं तक की पढ़ाई गांव में करने के बाद, उन्होंने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1982 में उन्हें सरकारी नौकरी मिली, जिससे उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया।
1986 में उनके पति का अचानक देहांत हो गया, उस समय उनका बेटा मात्र 5 साल का था। चार जिलों की दूरी पर, अकेले नए शहर में रहकर, उन्होंने भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में ग्राम सेवक की नौकरी शुरू की। लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आईं।
संघर्षों के बीच मिली नई पहचान
गांव लौटने के बाद, उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया। उनकी ईमानदारी और मेहनत को देखते हुए, उन्हें महिला पर्यवेक्षक के पद पर पदोन्नति मिल गई। यह उनकी लगन और संघर्ष का ही परिणाम था कि उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई।
पति के निधन के बाद, उनके ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कानूनी लड़ाई लड़ी। तमाम संघर्षों के बावजूद, उन्होंने स्वयं का मकान बनाया और आज उनका बेटा और बहू उनके साथ खुशी से रहते हैं।
बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल...
अपनी इस संघर्ष और सफलता की कहानी का श्रेय वह अपनी दिवंगत मां को देती हैं, जिन्होंने उन्हें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने का हौसला दिया। कुसुमलता जैन की कहानी यह साबित करती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती!
कुसुमलता जैन सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक मिसाल हैं। उन्होंने न सिर्फ अपने पारिवारिक दायित्वों को बखूबी निभाया, बल्कि सरकारी सेवा में रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का भी पूरी निष्ठा से निर्वहन किया। उनकी कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखती हैं।
( बारां से हर्षिल सक्सेना की रिपोर्ट)
यह भी पढ़ें: विधानसभा में ‘पाकिस्तान बवाल’! बयानबाजी के बीच नारेबाजी, स्पीकर ने कार्यवाही रोकने का दिया आदेश
यह भी पढ़ें: IIFA Jaipur 2025: 25वीं वर्षगांठ पर जयपुर में भव्य आयोजन, यह है कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल
.