गोवर्धन परिक्रमा का अहम पड़ाव 'पूंछरी का लौठा', गिर्राज जी आने वालों की लौठा जी लगाते हैं हाजरी!
Bharatpur Punchari Ka Lautha: बृज क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और अवतार का साक्षात प्रमाण है जहां भगवान गिरिराज की परिक्रमा का 21 किलोमीटर का मार्ग साढ़े 19 किमी उत्तर प्रदेश में और डेढ़ किलोमीटर मार्ग राजस्थान के डीग में पड़ता है. इसी डेढ़ किमी मार्ग में पूंछरी का लौठा स्थित है.
वहीं राजस्थान सरकार के बजट 2023-24 में भी वित्तमंत्री ने आगामी वर्ष में मंदिरों और आस्था केंद्रों के विकास के लिए 300 करोड़ रुपए की घोषणा की है जिसमें खासतौर पर 'पूंछरी के लौठा' का भी जिक्र किया था लेकिन ये पूंछरी का लौठा कहां है, इसका क्या महत्व है, और यहां बने श्रीनाथ जी मंदिर का क्या इतिहास जो करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है..आइए जानते हैं.
पूछ री पूछ..से बना पूंछरी का लौठा
बता दें कि श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला प्रकृति पूजा का अद्भुत उदाहरण है जहां श्रीकृष्ण ने एक पर्वत की मदद से देवताओं के राजा इंद्र के दंभ को तोड़ने का काम किया था तभी से ब्रजवासियों ने गोवर्धन पहाड़ की परिक्रमा कर दी थी और इस रास्ते का अहम पड़ाव है ‘पूंछरी का लौठा’.
मान्यता है कि ब्रज छोड़कर जा रहे कृष्ण के पीछे दौड़ती-भागती गोपिकाएं यहां आकर रुकी और रथ के ओझल होने पर उन्होंने गांव वालों से डगर पूछने के लिए आपस में कहा कि-‘पूछ री पूछ’और फिर दुखी मन से वापस नंदगांव लौट गई जिसके बाद ‘पूछ री लौठा’ नाम अस्तित्व में आया.
भगवान श्रीकृष्ण के सखा थे लौठा जी
अब बात लौठा जी कि एक किवदंती है कि लौठा जी श्रीकृष्ण के मित्र थे जो ब्रज से उनके जाने के बाद भी आजीवन उनका इंतजार करते रहे. वहीं अपने सखा को श्रीकृष्ण ने आशीर्वाद दिया था कि वे बिना खाए-पिए भी जीवित रह सकेंगे इसलिए कहा गया कि ‘ना अन्न खावै ना पानी पीवै, कैसो पड़ौ है सिलौटा’.
वहीं गांव का नाम तो पूंछरी था ही जहां लौठा जी के स्थापित हो जाने की वजह से इसका नाम पूंछरी का लौठा पड़ गया. ऐसा कहा जाता है कि लौठा जी यहां बैठे-बैठे गिर्राज जी परिक्रमा करने आने वालों की हाजिरी लगाते हैं इसलिए यहां आए बिना परिक्रमा अनुष्ठान पूर्ण नहीं माना जाता.
मन मोह लेता है श्रीनाथ जी मंदिर
वहीं यहां बना श्रीनाथ जी मंदिर राजस्थान के भरतपुर संभाग के डीग जिले का एक ऐसा पवित्र स्थल माना जाता है जो जन-जन की आस्था का केंद्र है. श्रीनाथजी मंदिर का महत्त्व और इसकी धार्मिक आस्था ना केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के भक्तों को यहां खींच लाती है. श्रीनाथ जी मंदिर के मुख्य महंत चंदू मुखिया के मुताबिक वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य ने श्रीनाथजी की पूजा की परंपरा की शुरुआत की थी.
श्रीनाथजी मंदिर में विशेष आकर्षण का केंद्र है भगवान की भव्य मूर्ति और उनका दिव्य श्रृंगार. मंदिर में दर्शन के दौरान भगवान को भव्य पोशाक, आभूषण और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है. वहीं श्रीनाथजी मंदिर में साल भर कई बड़े उत्सव और मेलों का आयोजन होता है जहां विशेष रूप से होली, जन्माष्टमी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के दौरान यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है.
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