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Bundi: बस्ती के 300 बच्चों की पढ़ाई पर संकट! पानी का बहाव ले गया स्कूल पहुंचाने वाली एकमात्र नाव

Bundi News: बून्दी की तालेड़ा पंचायत समिति के बरुधन गांव में पुलिया का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों और स्कूल में पढ़ने जाने वाले बच्चों को नाव और ट्यूब के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ रही...
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Bundi News: बून्दी की तालेड़ा पंचायत समिति के बरुधन गांव में पुलिया का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों और स्कूल में पढ़ने जाने वाले बच्चों को नाव और ट्यूब के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ रही है. ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र की यह समस्या के लिए 25 सालों से संघर्ष करना पड़ा था जहां लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने नदी पर 1.26 करोड़ की लागत से पुलिया निर्माण की स्वीकृति जारी की थी। हालांकि वर्तमान में पुलिया निर्माण कर रहे संवेदक को समय पर भुगतान नहीं होने से उसने काम बंद किया हुआ है। ऐसे में लोगों को आस थी कि पुलिया बनने से बड़ी राहत लेकिन अब ग्रामीणों की यह आस धुंधली नजर आने लगी है.

इधर जिलेभर में 1 जुलाई से स्कूल शुरू हो गए जिसके बाद बरुंधन में घोड़ापछाड़ नदी पार कर बैरवा बस्ती के 300 बच्चे 4 दिन बाद भी पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. नदी पर बनने वाला ब्रिज तैयार नहीं हुआ है और बच्चों को ले जाने वाली नाव बारिश के पानी के बहाव में डूब चुकी है। ऐसे में चाहकर भी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है। मामला गंभीर व बच्चों की पढ़ाई से जुड़ा होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिया बन जाती तो बच्चों और ग्रामीणों को परेशानी नहीं होती है.

पुलिया निर्माण कार्य 2 महीने से बंद

इस नदी पर 1.26 करोड़ की लागत से बन रही पुलिया का भी 2 माह से काम बंद है। ग्रमीणों का कहना है कि अगर संवेदक काम छोड़कर नहीं जाता तो जून में ही निर्माण पूरा हो जाता और स्कूली बच्चे पढ़ने जा सकते थे। अब स्थिति यह है कि नदी पार के ग्रामीणों को बरुंधन आने के लिए नमाना होते हुए 15 किलोमीटर का फेरा लगाना पड़ रहा है। संसाधन नहीं होने से बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के लोगो के 25 साल के संघर्ष के बाद प्रशासनिक स्तर पर बजट की व्यवस्था हुई और पुल का निर्माण शुरू हुआ था। उस समय दावा किया गया था कि जून में इसे पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन ठेकेदार का भुगतान नहीं होने से 70 प्रतिशत काम करने के बाद उसने निर्माण कार्य बंद कर दिया। पिछले 2 महीने से सरपंच भारती शर्मा काम चालू करने के लिए कलेक्टर, जिला परिषद, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन किसी ने समाधान नहीं किया।

कलेक्टर से मिले ग्रामीण, लेकिन आश्वसन ही मिला

नदी पर बंद पड़े ब्रिज के काम को शुरू करने और 300 स्कूली बच्चों की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग को लेकर ग्रामीण कलेक्टर से मिले। इस दौरान कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि जो भुगतान अटका हुआ है, उसे जल्द स्वीकृत करेंगे, बच्चों को परेशानी नहीं हो, इसके लिए अधिकारियों से बात कर समाधान कराएंगे। ग्रामीणों ने बताया कि नदी पार बैरवा बस्ती में 1600 से अधिक आबादी रहती है। स्कूल आने-जाने के लिए टूटी फूटी नाव में नदी पार कर कर ही आना पड़ता है। बारिश में नदी में पानी बढ़ने से नाव भी उसमें डूब गई और बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। पुल का निर्माण होने तक स्कूली बच्चों के लिए वैकल्पिक बस लगानी चाहिए ताकि पढ़ाई से वंचित नहीं हो। ग्रामवासी वार्डपंच घनश्याम बैरवा, संजय बैरवा, पप्पू लाल, किशनबिहारी, महावीर, रविशंकर, बाबूलाल, राजकुमार, रवि, राजेश मौजूद रहे।

2 बच्चे ट्यूब के सहारे जान हथेली पर लेकर स्कूल गए

सरपंच ने बताया कि पुल का 15 से 20 दिन का काम बचा हुआ है। निर्माण के लिए बजट की व्यवस्था पहले ही हो चुकी तो प्रशासनिक अधिकारी समय पर क्यों भुगतान नहीं कर रहे तीनों विभाग एक दूसरे पर डालते हैं गांव के लोग गुस्से में है, स्कूल नहीं जाने से बच्चे परेशान हैं। जिम्मेदार अधिकारी अगर समय पर ध्यान देते तो बच्चों के स्कूल की छुट्टियां नहीं होती। 2 बच्चे तो जान जोखिम में डालकर ट्यूब के सहारे नदी पार कर कर स्कूल गए। तेज बहाव में ट्यूब और नाव नहीं चलती, इससे डूबने का खतरा रहता है। नदी में मगरमच्छ भी हैं, ट्यूब में पैर लटका कर जाना पड़ता है, इससे खतरा ज्यादा है।

- (बून्दी से रियाजुल हुसैन की रिपोर्ट)

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