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Campaign To Water For Animals : आवारा पशुओं के लिए छेड़ी मुहिम, बीमा सलाहकार से वाटर मैन बन गए हरीश !

Campaign To Water For Animals Dungarpur : डूंगरपुर। राजस्थान में भीषण गर्मी के बीच पानी को लेकर हंगामा मचा हुआ है। गली-गली प्रदर्शन कर लोग पेयजल मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं, मगर पेयजल की यह किल्लत सिर्फ इंसानों...
09:57 PM May 31, 2024 IST | Vivek Chaturvedi

Campaign To Water For Animals Dungarpur : डूंगरपुर। राजस्थान में भीषण गर्मी के बीच पानी को लेकर हंगामा मचा हुआ है। गली-गली प्रदर्शन कर लोग पेयजल मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं, मगर पेयजल की यह किल्लत सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है, मरुधरा की जमीं पर आवारा पशु भी पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे आवारा पशुओं का हलक तर करने के लिए हरीश मेहता ने मुहिम छेड़ी है। जिसके बाद उन्हें वाटर मैन कहा जाने लगा है।

भटकते पशुओं की प्यास बुझाने की मुहिम

डूंगरपुर में हरीश मेहता ने आवारा पशुओं को पानी उपलब्ध कराने की मुहिम शुरू की है। हरीश मेहता का कहना है कि इंसान तो मांग कर पानी पी सकता है। मगर आवारा जानवर कैसे अपनी प्यास बुझाए ? भीषण गर्मी में जब पशुओं को पानी के लिए भटकते देखा, तो आवारा पशुओं के लिए टंकी रखकर उसमें नियमित पानी भरकर उनकी प्यास बुझाने का प्रयास किया।

रंग लाई हरीश मेहता की मुहिम

हरीश मेहता का कहना है कि एक जगह तो आवारा पशुओं के लिए पानी का प्रबंध हो गया। मगर अन्य स्थानों पर भी पशुओं की प्यास बुझाई जा सके, इसके लिए जगह- जगह टंकी रखकर यह मुहिम शुरू की। अब हरीश मेहता की यह मुहिम रंग लाने लगी है। अब लोग इनकी मुहिम में सहयोग करने लगे हैं।

पशुओं के लिए लगवाईं 500 टंकियां

डूंगरपुर में हरीश मेहता अब तक करीब 500 जगह टंकियां रखवाकर आवारा पशुओं के लिए पेयजल का इंतजाम कर चुके हैं। हरीश मेहता पिछले 10 सालों से हर साल करीब 50 टंकियां रखवाते हैं। मेहता का कहना है कि इन टंकियों को ऐसी जगह रखवाया जाता है, जहां आसपास रहने वाले लोग इनमें पानी भर सकें।

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बीमा सलाहकार से वाटरमैन बने हरीश

डूंगरपुर के न्यू कॉलोनी के निवासी हरीश मेहता पेशे से बीमा सलाहकार हैं। मगर आवारा पशुओं का हलक तर करने की इस मुहिम के बाद उन्हें स्थानीय लोग वाटर मैन के नाम से पुकारने लगे हैं। मेहता का कहना है कि वो सिर्फ टंकी रखवाकर ही इतिश्री नहीं करते, बल्कि जहां टंकियां रखवाईं हैं, वहां जाकर देखते हैं कि इन्हें भरा जा रहा है या नहीं। अगर टंकी खाली मिलती हैं, तो उन्हें हटाकर दूसरी जगह रखवाते हैं।

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