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“14 करोड़ सरपंच को दिए...आपके घर का पैसा है क्या..?” कलेक्टर के सामने राहुल कस्वां ने BDO की लगाई क्लास

चूरू जिले की दिशा कमेटी की बैठक के दौरान सांसद राहुल कस्वां ने मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर कई सवाल खड़े किए.
11:39 AM Jan 18, 2025 IST | Rajesh Singhal

Churu MP Rahul Kaswan: राजस्थान की राजनीति में हमेशा से ही विकास योजनाओं और सरकारी फंड के आवंटन को लेकर विवाद और सियासी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहा है। हाल ही में चूरू जिले की दिशा कमेटी की बैठक के दौरान कुछ ऐसा ही मामला सामने आया, जहां चूरू सांसद राहुल कस्वां ने मनरेगा में भ्रष्टाचार और (Churu MP Rahul Kaswan)अनियमितताओं के आरोपों को लेकर बीडीओ (ब्लॉक विकास अधिकारी) की जमकर क्लास लगाई।

17 जनवरी को हुई इस बैठक में चूरू जिले में विभिन्न विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जा रही थी। लेकिन बैठक में तब सियासी गरमाहट आ गई, जब सांसद राहुल कस्वां ने तारानगर पंचायत समिति को फंड आवंटन के मुद्दे पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि अकेले तारानगर पंचायत समिति को 44 करोड़ रुपये का भारी-भरकम फंड दिया गया है, जबकि जिले की अन्य पंचायत समितियों को केवल 15 करोड़ रुपये का बजट मिला।

कस्वां ने इस आवंटन को पक्षपातपूर्ण बताते हुए यह भी आरोप लगाया कि मनरेगा के प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय श्रमिकों की बजाय बाहरी श्रमिकों को काम पर लगाया गया, जो नियमों के विपरीत है। इस मुद्दे को लेकर सांसद और अधिकारियों के बीच तीखी बहस हुई, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है।

2023 विधानसभा चुनाव से उपजा सियासी तनाव

2023 के विधानसभा चुनाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की हार ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी थी। तारानगर से चुनाव हारने के बाद राठौड़ ने खुलेआम चूरू सांसद राहुल कस्वां पर धोखा देने का आरोप लगाया। यह आरोप दोनों नेताओं के बीच पहले से मौजूद राजनीतिक खटास को और गहरा कर गया।

अब पंचायत समिति के फंड आवंटन को लेकर मनरेगा में उठे विवाद और वायरल वीडियो ने इस सियासी खाई को और बढ़ा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला दोनों नेताओं के गुटों में नए सियासी समीकरण खड़े कर सकता है।

मनरेगा फंड आवंटन: भ्रष्टाचार या राजनीतिक षड्यंत्र?

मनरेगा के फंड आवंटन में तारानगर पंचायत समिति को 44 करोड़ रुपये दिए जाने और अन्य पंचायत समितियों को मात्र 15 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करने का मामला राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। राहुल कस्वां ने इस असमान आवंटन को प्रशासनिक भ्रष्टाचार और राजनीतिक पक्षपात का नतीजा बताया। उन्होंने अधिकारियों पर मनरेगा के प्रावधानों की अनदेखी और बाहरी श्रमिकों को शामिल करने का गंभीर आरोप लगाते हुए व्यापक जांच की मांग की।

राठौड़-कस्वां की सियासी खींचतान का नया मोर्चा

तारानगर के इस मुद्दे ने राजेंद्र राठौड़ और राहुल कस्वां की राजनीतिक दुश्मनी को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। राठौड़ के चुनावी गढ़ तारानगर में भारी फंडिंग और इसके खिलाफ सांसद कस्वां का सख्त रुख, दोनों नेताओं के बीच सियासी जंग को और गहरा करता दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद सीधे तौर पर राठौड़ के प्रभाव को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

अमृत योजना में देरी.. किसका दोष?

सांसद राहुल कस्वां ने चूरू और सुजानगढ़ में सीवरेज और ड्रेनेज के लिए करोड़ों की अमृत योजना को लेकर अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। उनका आरोप था कि विभागीय लापरवाही और राजनीतिक दबाव के चलते कार्य की प्रगति रुक गई है। कस्वां का यह बयान सत्ताधारी दल पर दबाव बढ़ाने और जनता के बीच प्रशासन की विफलताओं को उजागर करने की सियासी चाल मानी जा रही है।

किसानों के मुद्दे पर केंद्र बनाम राज्य

गाजसर गैनाणी टूटने से किसानों को हुए नुकसान और मुआवजे में देरी को लेकर सांसद ने प्रशासन को फटकार लगाई। इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने राज्य सरकार की उदासीनता को कटघरे में खड़ा किया। कस्वां ने केंद्र सरकार की योजनाओं का हवाला देते हुए राज्य सरकार को नाकाम बताते हुए राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की।

जल जीवन मिशन पर सियासी बयानबाजी

कस्वां ने जल जीवन मिशन (JJM) के तहत गांवों में जल आपूर्ति के दावों को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि 68% गांवों में पानी पहुंचाने के दावे महज आंकड़ों का खेल हैं, जबकि जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। इस बयान से उन्होंने न केवल प्रशासन बल्कि राज्य सरकार पर भी निशाना साधा, जिससे यह मुद्दा आगामी चुनावों में राजनीतिक बहस का हिस्सा बन सकता है।

सियासी फायदा उठाने की कोशिश?

राजलदेसर में ओवरब्रिज निर्माण, सुजानगढ़ में फोरलेन कार्य और जिले में रेलवे अंडरब्रिज (RUB) की मांग को लेकर सांसद का केंद्र सरकार से आग्रह भी राजनीतिक संकेत देता है। यह मांगें क्षेत्र में विकास कार्यों के जरिए जनता के बीच अपनी छवि मजबूत करने की कस्वां की रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं।

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