Udaipur: उदयपुर के एकलिंग महादेव..मेवाड़ राजवंश में इनके आशीर्वाद लिए बिना नहीं बनते महाराणा !
Eklingji Temple Udaipur: राजस्थान के मेवाड की गद्दी पर विश्वराज सिंह के राजतिलक के बाद छिड़ा विवाद एकलिंगजी के दर्शनों के बाद ठंडा पड़ता दिख रहा है। (Eklingji Temple Udaipur) मेवाड राजवंश की परंपरा के मुताबिक एकलिंगजी का आशीर्वाद मिलने के बाद ही महाराणा कार्यभार संभालते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि मेवाड का यह एकलिंग शिव मंदिर कितना पुराना है और मेवाड़ राजवंश में मंदिर से जुड़ी परंपरा क्या है?
एकलिंग महादेव के प्रतिनिधि महाराणा
उदयपुर में एकलिंगजी महादेव मंदिर प्रमुख धर्म स्थल है। मेवाड राजवंश में इस मंदिर का अहम स्थान है, मेवाड राजवंश में किसी भी शुभ काम से पहले एकलिंग महादेव के दर्शनों की परंपरा रही है। इतना ही नहीं मान्यता है कि यहां महाराणा उनके प्रतिनिधि के तौर पर ही शासन किया करते, इसीलिए उदयपुर के महाराणा को दीवानजी कहा जाता है। इसके अलावा किसी भी युद्ध पर जाने से पहले भी महाराणा एकलिंगजी का आशीर्वाद लिया जाता था।
कितना प्राचीन है एकलिंग शिव मंदिर?
एकलिंग महादेव के प्रति महाराणा प्रताप की भी गहरी आस्था बताई जाती थी। हालांकि मंदिर के निर्माण को लेकर लिखित प्रमाण नहीं मिलते। मगर बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। इसके बाद महाराणा रायमल ने मंदिर के वर्तमान स्वरुप को आकार दिया। इस मंदिर में शिवजी की काले संगमरमर से बनी हुई अद्भुत प्रतिमा है। जिसके प्रति मेवाड राजवंश के साथ स्थानीय लोगों की गहरी आस्था है।
विश्वराज सिंह ने लिया एकलिंगजी का आशीर्वाद
मेवाड़ की गद्दी पर अब विश्वराज सिंह का राजतिलक हुआ है। विश्वराज सिंह ने भी सदियों से चली आ रही मेवाड राजवंश की परंपरा के तहत आज एकलिंग महादेव मंदिर पहुंचकर एकलिंगजी का आशीर्वाद लिया। हालांकि इससे पहले परंपरा अनुसार विश्वराज सिंह को उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी माता के दर्शन भी करने थे। मगर संपत्ति विवाद के चलते विश्वराज सिंह धूणी माता के दर्शन नहीं कर पाए। लेकिन कड़ी सुरक्षा के बीच उन्होंने आज एकलिंग महादेव का आशीर्वाद लिया।
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