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Barmer News: आजादी के बाद पहली बार बॉर्डर के गांव में नल से पहुंचा जल, ऊंट पर सवार होकर पहुंचे थे कर्मचारी

Barmer News: बाड़मेर। राजस्‍थान के रेगिस्तान के दूसरे बड़े जिले बाड़मेर के भारत पाकिस्तान सड़क पर बसे गडरा रोड उपखंड का ढगारी गांव स्थित है। जहां डेजर्ट नेशनल पार्क (Barmer) के कारण ना तो पक्की सड़क है और ना ही...
10:10 AM Jun 09, 2024 IST | Prashant Dixit

Barmer News: बाड़मेर। राजस्‍थान के रेगिस्तान के दूसरे बड़े जिले बाड़मेर के भारत पाकिस्तान सड़क पर बसे गडरा रोड उपखंड का ढगारी गांव स्थित है। जहां डेजर्ट नेशनल पार्क (Barmer) के कारण ना तो पक्की सड़क है और ना ही बिजली का कोई स्थाई (Barmer) समाधान हुआ है। इस गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाओं (Barmer) के लिए आजादी के 77 साल बाद भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

अकाल और सूखे के चलते पलायन

ढगारी गांव पूर्ण रूप से अनुसूचित जाति के लोगों का गांव है। इस तकरीबन 150 घरों की आबादी वाले गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय बरसात पर आधारित कृषि है। इस गांवे में अकाल और सूखे के चलते पलायन आम बात है। जल जीवन मिशन के लिए देश के सर्वाधिक चुनौती वाले इलाकों में से एक ढगारी गांव में पानी का पहुंचना सपने से काम नहीं है। गांव के लोगों अनुसार जब बचपन में किताबों में "न" से नल पढ़ाया जाता था। तब समझ नहीं आता था कि नल होता क्या है, क्योंकि गांव के लोगों ने कभी नल देखा ही नहीं था।

ढगारी में योजना की शुरुआत 2023

यहां खारे और उच्च क्लोराइड की मात्रा वाले भूजल पर निर्भर गांव में जल जीवन मिशन की शुरुआत में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्मिकों और अधिकारियों ने ऊंटों पर बैठकर के ग्रामीणों के बीच संवाद किया था। गांव वालों ने ही पाइपलाइन के लिए न केवल रास्ते बताएं बल्कि पानी के लिए उच्च जलाशय और पंप हाउस का किस जगह निर्माण सही रहेगा भी बताया था। जलप्रदाय योजना ढगारी की शुरुआत 2023 को पाइप लाइन की शुरुआत की गई। मैसेज बी सारण कोटडा को 62.31 लाख की योजना का जिम्मा दिया गया।

जीवनदायक पानी की मंगल आरती

यहां 150 घरों के लिए पंप हाउस, स्वच्छ जलाशय, चारदीवारी, मुख्य पाइप, लाइन वितरण पाइपलाइन, कार्यशील हर घर नल कनेक्शन का कार्य मई 2024 में पूरा हो गया है। जब मई के दूसरे सप्ताह में इस गांव के हर घर नल से जल पहुंचा तो यहां की महिलाओं ने न केवल मंगल गीत गए, बल्कि साथ ही जीवनदायक पानी की मंगल आरती भी उतारी थी। किसी भी शुभ अवसर पर गया जाने वाला "बधावा' गीत गया गया और नल को माला पहनकर स्वागत किया गया। बाड़मेर की ढगारी में पानी पहुंचने से पहले होने वाले निर्माण के लिए सामग्री पहुंचाना ही सबसे बड़ी समस्या थी।

पशुओं के लिए खोली का निर्माण

यहां पक्की सड़क के नहीं होने के चलते निर्माण सामग्री को पहुंचने में भारी समस्या से आई। भूजल के अत्यधिक रासायनिक और खारा होने के चलते निर्माण कार्य के लिए पानी को 40 किलोमीटर दूर गिराब गांव से टैंकरों के जरिए मंगवाया गया था। हर दिन श्रमिकों को लाना और वापस पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था। यहां के हजारों पशुओं के लिए पशु खोली का निर्माण भी जरूरी था। इसलिए उसे भी इस निर्माण कार्य में शामिल किया गया। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग बाड़मेर के अधीक्षण अभियंता विपिन जैन के मुताबिक गांव में चुनौती पूर्ण हालात थे।

मेहनत से पहुंचा हर घर में नल से जल

विभाग ने चुनौतियों को ही अपनी ताकत बनकर काम किया और विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, पानी की कमी, पक्की सड़क का अभाव, संसाधनों की कमी पर कड़ी मेहनत, सामूहिक प्रयास, ग्रामीणों से लगातार संवाद के जरिए कार्य को निरंतर किया जा पाया था। 6 से 8 महीने के अंदर भारत-पाकिस्तान की सड़क पर बसें एक रेतीले गांव ढगारी में हर घर में नल से जल पहुंचा, तो वह जल जो अब तक आंखों और सपनों में ही था।

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