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Father's Day: प्रोफेसर, सब-इंस्पेक्टर, IAS, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और मॉडल बेटियों के पिता राधेश्याम की कहानी, ट्रक चलाकर बेटियों को पढ़ाया

Happy Fathers Day: अपने बच्चों के लिए मां ममता का सागर है तो पिता मजबूती के पहाड़ सरीखे हैं. इस धरती पर ऊपर वाले की सबसे नायाब कलाकारियों को गिना जाएगा तो माता-पिता पहली पंक्ति में खड़े मिलेंगे जो अपनी...
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Happy Fathers Day: अपने बच्चों के लिए मां ममता का सागर है तो पिता मजबूती के पहाड़ सरीखे हैं. इस धरती पर ऊपर वाले की सबसे नायाब कलाकारियों को गिना जाएगा तो माता-पिता पहली पंक्ति में खड़े मिलेंगे जो अपनी जिंदगी का एक-एक पल बच्चों के लिए कुर्बान कर देते हैं। अक्सर हम कहानियों में, फिल्मों में और किवदंतियों में मां की ममता, मां के दुलार का जिक्र सुनते हैं लेकिन एक पिता का संघर्ष और बेटे-बेटियों की खुशियाों और कामयाबी के आगे किसी ओट में छुप जाता है। बेटे या बेटी के लिए मां अगर दोस्त है, एडवाइजर है तो पिता अभिमान है, गुरूर है। हालांकि किस्सों-कहानियों में हमें यह बताया गया है कि बेटा अगर मां का दुलारा है, मां का गौरव है तो अक्सर बेटियां पिता के सिर उठाकर जीने की वजह बन जाती है। आज फादर्स डे के मौके पर हम आपको एक पिता के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपनी मेहनत और दिन-रात की भागदौड़ के बाद अपनी 5 बेटियों की जिंदगी में सफलता की इबारत लिखी।

मशहूर शायर इफ़्तिख़ार आरिफ़ साहब ने एक बार लिखा कि - बेटियां बाप की आंखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती है, कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं...शायद इस पिता की आंखों में छुपे ख्वाब को भी इन पाचों बेटियों ने बखूबी देखा और पिता के संघर्ष और मेहनत का मान रखते हुए साबित कर दिया कि छोरियां कहीं से भी छोरों से कम नहीं है। आज पिता की आंखों की गौरवान्वित चमक, माथे पर अभिमान की वजह बेटियों का हासिल किया मुकाम बन गया है।

हम बात कर रहे हैं जयपुर के कोटपूतली के पास शुक्लावास गांव के रहने वाले राधेश्याम यादव की जिन्होंने कभी ट्रक चलाया कभी मजदूरी की लेकिन अपनी बेटियों को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाकर ही दम लिया। राधेश्याम यादव के संघर्ष की बदौलत ही आज उनकी पांच बेटियों में से कोई आईएएस हैं, कोई प्रोफेसर और सब-इंस्पेक्टर तो कोई सुपर मॉडल है।

पापा ने हमेशा सिखाया संघर्ष करना

राधेश्याम की बेटी और डीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर भावना यादव अपने पिता के संघर्ष को याद करते हुए अपने पिता को धन्यवाद देती हुई कहती हैं कि आज वह जिस मुकाम तक पहुंची है उसमें उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बता दें कि राधेश्याम यादव कोटपुतली शहर से 15 किमी दूर शुक्लवास गांव के रहने वाले हैं जिन्होंने कभी ट्रक चलाया तो कभी मजदूरी की और कभी डीजल बेचने की दुकान शुरू की और कभी खेतों में मजदूरी करने से भी नहीं चूके. वहीं राधेश्याम ने 5 बेटियां पैदा होने पर लोगों के ताने सुने लेकिन आज वह अपनी बेटियों की वजह से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं हैं क्योंकि उनके संघर्ष और मेहनत का परिणाम बेटियों ने खूब तालीम हासिल कर कामयाबी तक पहुंच कर पूरा किया और ताने मारने वाले भी अब इन बेटियों पर गर्व करते नजर आते हैं।

म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं क्या?

पिछड़े गांव से निकल कर राधेश्याम यादव की पांचों बेटियां ऊंचे मुकाम तक पहुंची। राधेश्याम कहते है कि लड़कियां बोझ नहीं वो दो घरों का नहीं पूरे देश का उद्धार करती हैं और जिस वक्त में लोग लड़कियों को पढ़ाना बेकार समझते थे तब भी मैंने मेरी बेटियों को गांव से भी 3 किलोमीटर दूर ढाणी में घर होने के बावजूद पढ़ने को प्रोत्साहित किया जिसका प्रतिफल मुझे आज मिल रहा है। उन्होंने बताया कि हमने घरपरिवार में हर किसी को जाति बन्धन से भी मुक्त किया और मेरी तीन बेटियों की शादी इंटरकास्ट हुई हैं।

सफलता के मुकाम पर पांचों बेटियां

राधेश्याम यादव के कुल 6 सन्तानें हैं जिनमें 5 बेटियां शामिल हैं। वहीं उनकी सभी बेटियां गांव से निकल कर ऊंचे पदों तक पहुंची हैं जहां सबसे बड़ी बेटी संजू यादव दिल्ली में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रही है। वहीं राधेश्याम की दूसरी नंबर की बेटी अनिता यादव अपनी बड़ी बहन संजू से भी एक कदम आगे निकलीं और पहले आरएएस व फिर आईएएस बन गई जो फिलहाल आगरा विकास प्राधिकरण में बतौर कमिश्नर कार्यरत हैं। इसके अलावा तीसरे नम्बर की बेटी आंचल यादव दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं और चौथी बेटी भावना यादव दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. इधर सबसे छोटी बेटी ने सभी से अलग करियर चुना और आज मॉडलिंग के क्षेत्र में अपना नाम कमा रही हैं।

गांव से निकल कर मॉडल बनी सबसे छोटी बेटी

बता दें कि राधेश्याम यादव की सबसे छोटी बेटी निशा यादव जो मॉडलिंग के क्षेत्र में नाम कमा रही है उनका कहना है कि उनका बचपन से ही ये ख्वाब था जो अब पूरा हो गया। निशा एमटीवी के शो 'इंडियाज नेक्स टॉप मॉडल 2018 की फर्स्ट रनरअप रह चुकी हैं और फैशन वीक पुल की मॉडल के रूप में भी काम किया है। निशा कहती है कि जब मैं छोटी थी तो मेरे पास स्कूल बैग नही होता था और मैं कट्टे में किताबें ले कर जाती थी। वह कहती है कि मैं सोचती हूं कि उस समय भले हमें शर्म आती थी लेकिन पापा की मेहनत बदौलत हम पढ़ाई पूरी कर पाए। आपको बता दें कि लेक्मे फैशन वीक के दौरान तत्कालीन मंत्री स्मृति ईरानी ने भी निशा की तारीफ करते हुए उनके साथ एक वीडियो भी साझा किया था।

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