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9 साल की उम्र में हुआ था किडनैप...31 साल बाद अब लौटा घर, भीम सिंह की कहानी कलेजा चीर देगी!

Jaisalmer Bhim Singh: साल था 1993, जगह थी उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद शहर...एक 9 साल का बालक अपनी बहन के साथ बस्ता कंधे पर टांगे, हंसता-मुस्कुराता, उछलता-कूदता स्कूल से लौट रहा था, तभी उसका बीच सड़क से अपहरण कर लिया...
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Jaisalmer Bhim Singh: साल था 1993, जगह थी उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद शहर...एक 9 साल का बालक अपनी बहन के साथ बस्ता कंधे पर टांगे, हंसता-मुस्कुराता, उछलता-कूदता स्कूल से लौट रहा था, तभी उसका बीच सड़क से अपहरण कर लिया जाता है. बच्चे का नाम था भीम सिंह जिसका अपहरण होने के बाद परिवार से फिरौती मांगी गई लेकिन परिवार नहीं दे पाया और उसके बाद जैसे-जैसे दिन बीते परिवार वालों की भीम सिंह के लौटने की उम्मीद धुंधली पड़ती दिखी और किडनैप करने वाले भी गायब हो गए...

और इसके बाद कभी पता ही नहीं चला कि वह मासूम लड़का अचानक कहां गायब हो गया...लेकिन इस तकनीक और विज्ञान की भागती-दौड़ती दुनिया में कुदरत के चमत्कार को हमेशा नमस्कार है क्योंकि 9 साल का वो मासूम आज 31 साल बाद अचानक अपने घर लौट जाए तो कौन ही यकीन करेगा, लेकिन ऐसा हुआ है और इसी को शायद चमत्कार कहते हैं. आइए अब कहानी को परत-दर-परत खोलते हैं और बताते हैं आपको 40 साल के भीम सिंह की कहानी जिन्होंने एक ही जीवन में मानो दूसरी बार जन्म लिया हो.

दरअसल उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में साहिबाबाद के रहने वाले भीम सिंह (राजू) को 8 सितंबर, 1993 को अगवा किया गया था जिसके बाद परिजनों ने पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाई थी लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी भीम का कुछ पता नहीं चला और कुछ सालों में मामला शांत हो गया और पुलिस के साथ-साथ घरवाले भी भीम को भूल ही गए.

दरअसल भीम को अपहरण के बाद राजस्थान के जैसलमेर के एक सुदूर गांव में भेज दिया गया जहां उसे बंधुआ मजदूरी की काल कोठरी में धकेल दिया गया लेकिन आखिरकार 31 साल बाद भीम की जिंदगी में एक उम्मीद की रोशनी लौटी जब जैसलमेर में दिल्ली के एक व्यवसायी ने भीम को बंधुआ मजदूरी करते देखा और उससे जानकारी लेकर पुलिस के पास भेजा जहां से भीम अपने परिजनों के पास पहुंच गया.

अपहरण के बाद 31 साल की बंधुआ मजदूरी

बता दें कि सितंबर 1993 में अगवा किए जाने के बाद से भीम को जैसलमेर के एक पशु फार्म में लाया गया जहां उसे जंजीरों से बांधकर रखा गया और उसे गुलाम की तरह काम करने के लिए मजबूर किया गया. इस दौरान भीम का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं था. भीम को हर दिन पीटा जाता था और जबरदस्ती काम करवाया जाता था.

भीम ने बताया कि उसे केवल रोटी, दाल और चाय का ही स्वाद पता है क्योंकि उसे फार्म में ये ही मिलते थे और दिन ढलने पर भागने से रोकने के लिए उसे जंजीरों से बांध दिया जाता था.भीम ने बताया कि उसने कई बार वहां से भागने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा और वहां फार्म पर आने वाले लोगों को वह जब भी देखता था उन्हें अपने बारे में बताने की कोशिश करता था लेकिन अपहरणकर्ता उसे पागल करार दे देते थे.

फिर एक दिन आया कोई फरिशता....

भीम ने बताया कि के एक दिन उसके फार्म पर एक सिख व्यापारी जानवर खरीदने आया था और उसने मुझसे बात की और पूछा कि मैं कहां से हूं, जब मैंने उसे बताया तो वह मुझे अपने ट्रक में साथ ले गया और दिल्ली ले आया. इसके बाद उन्होंने मेरे बाल और दाढ़ी कटवाए. व्यापारी ने भीम से उसके घर के बारे में पूछा हालांकि भीम को अपने पते की जानकारी नहीं थी लेकिन भीम के बताए डिटेल्स के आधार पर व्यापारी कुछ नोट बनाकर भीम को दिए.

व्यापारी को एहसास हुआ कि भीम दिल्ली या नोएडा में कहीं से है तो उसने भीम को दिल्ली के एक रेलवे स्टेशन पर छोड़ा और गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन में बिठा दिया और कहा कि उतरते ही पुलिस के पास चले जाना. इसके बाद पिछले शनिवार, 23 नवंबर को भीम दोपहर को खोड़ा पुलिस स्टेशन में नीली स्याही से लिखी एक चिट्ठी लेकर पहुंचा.

पुलिस ने खंगाली 31 साल पुरानी फाइलें

भीम ने पुलिस थाने पहुंचकर बताया कि 1993 में उसका अपहरण हुआ था जिसके बाद पुलिस ने पुरानी केस की फाइलें खंगाली. भीम को अपने माता-पिता के नाम तो याद थे लेकिन वह कहां रहता था, यह नहीं पता था. इसके अलावा भीम ने अपहरण कैसे हुआ, किसके साथ हुआ ये पुलिस को बताया.

इस मामले में साहिबाबाद के एसीपी रजनीश उपाध्याय ने बताया कि भीम ने पुलिस को कहा कि वह नोएडा में कहीं से है और उसके माता-पिता और चार बहनें हैं और वह इकलौता बेटा है. इसके अलावा भीम ने तुलाराम और कुछ अन्य नामों का भी जिक्र किया. भीम द्वारा मिली जानकारी के आधार पर जब पुलिस ने पुरानी फाइलें खंगालीं तो उन्हें साहिबाबाद पुलिस स्टेशन में 8 सितंबर, 1993 को दर्ज एक एफआईआर मिली.

इसके बाद पुलिस ने 3 दिन में उसके परिवार को खोज निकाला और पता चला कि बिजली विभाग से सेवानिवृत्त तुलाराम के 9 साल के बेटे को एक ऑटो गैंग ने उस समय अगवा कर लिया था जब वह अपनी एक बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था.

गुलाब जामुन देखकर घबरा गया भीम!

अब वो घड़ी आ गई थी जब 31 साल बाद भीम अपने घर लौटने वाला था और सालों की कैद और यातना के बाद जब वह घर की देहली पर पहुंचा तो उसकी मां ने उसे तुरंत पहचान लिया और दौड़कर सीने से लगा लिया. भीम ने कहा कि मुझे भी मां को पहचानने में एक सेकंड भी नहीं लगा, मेरी मां का चेहरा नहीं बदला है, वह बस केवल बूढ़ी हो गई है. 31 साल बाद घर लौटे भीम सिंह को आखिरकार परिवार और प्यार मिल गया है लेकिन बाहरी दुनिया उसके लिए अब काफी अजीब है.

बीते गुरुवार की दोपहर को जब वह 9 साल का था तब के बाद से उसके साथ उनका पहला पूरा दिन था जहां उसके माता-पिता और बहन को भीम को खाना खिलाने में भी काफी दिक्कत हुई. भीम फल, गुलाब जामुन देखकर इतना घबरा गया कि उसने खाने से इनकार कर दिया. इस इनकार से आप 40 साल के भीम सिंह की मानसिक हालत का अंदाजा लगा सकते हैं कि वो किस दौर से गुजरा है. यह घटना दिखाती है कि बाल अपहरण और गुलामी आज भी भारत में कितनी बड़ी समस्या है जहां एक मासूम का पूरा जीवन जंजीरों में बर्बाद हो गया.

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