मेवाड़ यूनिवर्सिटी के छात्र ने किया कमाल, किसानों के लिए बनाई एक नायाब मशीन...एक साथ करती है ये काम
Jhalawar News: आपने सुना होगा कि जहा चाह होती है वहां राह निकल जाती है. राजस्थान में झालावाड़ ज़िले के गोविंदपुरा गांव में एक किसान के बेटे ने इसी कहावत को चरितार्थ किया है जहां किसान पुत्र ने किसानों के लिए एक उपयोगी उपकरण बनाकर कमाल कर दिया है. जानकारी के मुताबिक किसान पुत्र ने फसलों को कीटनाशक के प्रभाव से बचाने के लिए घरेलू जुगाड़ और घरेलू कृषि उपकरणों की मदद से एक ऐसी मशीन तैयार की है जिसकी मदद से किसान निराई, बीज बुवाई और छिड़काव समेत कई काम एक साथ कर सकते है.
वहीं इस मशीन की खास बात यह है कि इसका संचालन पेट्रोल और डीजल से नहीं बल्कि सौर ऊर्जा और बिजली (हाइब्रिड मशीन) से किया जाता है. बता दें कि राजस्थान में मेवाड़ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले रामधन लोधा ने ये कमाल करके दिखाया है जो वर्तमान में बीसीए फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट है. लोधा ने जो मशीन बनाई है वो रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कर फसलों से खरपतवार को भी आसानी से निकालने का काम करती है.
बिना पेट्रोल-डीजल के चलती है मशीन
मशीन बनाने वाले रामधन लोधा ने कहा कि उनकी मशीन वो सब काम करेगी जो एक किसान के लिए जरूरी होते हैं. बता दें कि इस मशीन से किसान निराई, बीज बुवाई और छिड़काव समेत कई काम एक साथ कर सकते हैं. वहीं इसकी खास बात यह है कि यह मशीन पेट्रोल और डीजल से नहीं चलती बल्कि सौर ऊर्जा और बिजली (हाइब्रिड मशीन) से संचालित की जाती है. इसके अलावा यह मशीन बिना रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल किए बिना खरपतवार को भी निकाल देती है.
रामधन लोधा मूल रूप से झालावाड़ के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें इस तरह की मशीन बनाने का आइडिया बचपन में ही मिल गया था जहां उनकी प्रेरणा उनके पिता हैं. लोधा ने बताया कि जब वह अपने पिता को किसी भी फसल की बुवाई करते देखते थे और उन्हें काफी पैसे खरपतवार निकालने और अन्य किसानी कार्यों में खर्च करते हुए देखते थे तो उन्हें लगता था कि उन्हें इस क्षेत्र में अपने पिता व अन्य किसानों के लिए कुछ करना चाहिए.
लोधा ने बनाई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पहचान
दरअसल रामधन एक किसान परिवार से आता है जहां उन्होंने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले टेक्निकल फेस्ट में भी अपनी पहचान बनाई है. बीकानेर में आयोजित 55वीं राज्य स्तरीय विज्ञान, पुणे में आयोजित 50वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी और गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी 2022-23 में भी रामधन की मशीन को काफी सराहा गया था. इसके अलावा बेंगलुरु में स्केलर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित की गई ‘द इंडियन सिलिकॉन वैली चैलेंज’ प्रतियोगिता में 18,000 से ज्यादा अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों के प्रोजेक्ट शामिल किए गए थे जहां रामधन की कृषि मशीन टॉप-10 में जगह बनाने में कामयाब हुई थी.
बता दें कि इस मशीन का पेटेंट कराने और विकसित करने के लिए रामधान को 1 लाख रुपये की धनराशि भी मिली थी. गौरतलब है कि झालावाड ज़िले की झालरापाटन तहसील की गोविंदपुरा पंचायत का रहने वाला रामधन लोधा बचपन से ही मेघावी छात्र रहा है और स्कूल में पढ़ते समय भी वह विज्ञान मेलों और प्रतियोगिताओं में उत्साह से भाग लेते थे.
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