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कोटा मंडी में व्यापारियों की हड़ताल का बुरा असर! 7 हजार मजदूरों पर छाया रोजी-रोटी का संकट

कोटा में व्यापारियों के हड़ताल पर जाने से कोटा मंडी के करीब 7 हजार से अधिक मजदूरों के सामने मजदूरी का संकट पैदा हो गया है.
05:18 PM Feb 27, 2025 IST | Rajasthan First
कोटा में व्यापारियों के हड़ताल पर जाने से कोटा मंडी के करीब 7 हजार से अधिक मजदूरों के सामने मजदूरी का संकट पैदा हो गया है.

Kota News: हाड़ौती के कोटा में मंडियों से कृषक कल्याण टैक्स हटाने की मांग को लेकर व्यापारिक वर्ग सरकार के खिलाफ हड़ताल पर हैं. 23 फरवरी के बाद से चल रही व्यापारियों की हड़ताल का बुरा असर रोजगार पर पड़ रहा है. मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में कोटा में तो अब बिहारी मजदूर पलायन करने लगे हैं. दरअसल आढत व्यापारी कोरोना काल में सरकार ने लगाए कृषक कल्याण टैक्स को हटाने की मांग करते हुए मंडी में व्यापार ठप्प करके हड़ताल पर चल रहे हैं.

इस कारण पूरी मंडी में जिंस खरीद फरोख्त का व्यापार चौपट है, कोई जींस नहीं बिक रही है। ऐसे में पल्लेदार हम्मालों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। मौजूदा दौर में कोटा भामाशाह मंडी में 7000 के आसपास मजदूर मजदूरी करते हैं। जिनके सामने रोजगार का संकट आन खड़ा हो गया है। व्यापारियों की हड़ताल खत्म हो तो मंडी में कामकाज चले और मजदूरों को मजदूरी मिले। लेकिन कब यह हड़ताल टूटेगी मजदूरों को कुछ पता नहीं है.

रोज कमाते हैं...रोज खाते हैं!

पल्लेदार मजदूर के संगठन के अध्यक्ष मुकेश वैष्णव ने कहा कि मंडी में 5000 से ज्यादा की संख्या में पल्लेदार मजदूर मौजूद है। साथ ही 2000 से ज्यादा की संख्या में महिला मजदूर श्रमिक है। जो इस मंडी में मजदूरी करते हैं। रोज पैसा कमाते हैं रोज अपना घर चलाते हैं। ऐसे में 24 फरवरी से मजदूरों को कोई कामकाज नहीं मिल पा रहा है।

ऐसे में उनके घर चलाना मुश्किल हो रहा है। मजदूरों की मांग है कि व्यापारी और सरकार जो भी फैसला करें वह जल्द करें। क्योंकि उनकी लड़ाई से मजदूरों का नुकसान हो रहा है। बिहार निवासी सुनील मालामार ने कहा कि मजदूरी नहीं मिलने के अभाव में कहीं मजदूर भामाशाह मंडी से अपने घर लौट रहे हैं। पलायन करने लगे हैं। रोजाना 10 मजदूर अपने घर बिहार जा रहे हैं।

काम नहीं तो मंडी में खेल रहे हैं क्रिकेट

मजदूरों के पास कामकाज नहीं है। हड़ताल के चलते खाली बैठे मजदूर मंडी परिसर में क्रिकेट खेल रहे हैं। बाकी मजदूर मजदूरी के इंतजार में सुस्ता रहे हैं। मजदूरों का कहना है की हड़ताल टूटे तो उन्हें कामकाज मिले क्योंकि मजदूरी के अभाव में घर चलाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। कोई काम हाथ में नहीं होने के कारण वह मंडी परिसर के अंदर क्रिकेट खेल रहे हैं।

-(कोटा से अर्जुन अरविंद की रिपोर्ट)

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