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"काम में फूर्तीले, हाथ में बरकत..." हाड़ौती के किसानों की पहली पसंद बने बिहारी मजदूर, धान की रोपाई के लिए उमड़ रहा हुजूम

Kota News: राजस्थान के हाड़ौती संभाग में बड़े पैमाने पर खरीफ सीजन में किसान धान की बुआई कर रहे हैं जहां प्रदेश के कई इलाकों में अलग-अलग धान को रोपा जा रहा है. वहीं इधर सूबे के हाड़ौती रीजन में...
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Kota News: राजस्थान के हाड़ौती संभाग में बड़े पैमाने पर खरीफ सीजन में किसान धान की बुआई कर रहे हैं जहां प्रदेश के कई इलाकों में अलग-अलग धान को रोपा जा रहा है. वहीं इधर सूबे के हाड़ौती रीजन में पानी और अच्छी बारिश के चलते फिलहाल किसान जून-जुलाई के महीने में धान की पौध और उसकी रोपाई में व्यस्त चल रहा है. किसानों द्वारा धान की रोपाई करना तो हर साल का सिलसिला है लेकिन इस बार खेतों में एक नई चीज गौर की जा रही है जहां कोटा संभाग के कोटा बूंदी, बारां और झालावाड़ जिलों के किसानों के साथ खेतों में बिहार राज्य के मजदूर खेती का काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं. हालांकि बिहार से मजदूर हर साल हाड़ौती आते हैं लेकिन अब मजदूरों की संख्या देखकर लग रहा है कि धान की रोपाई से लेकर कटाई तक किसानों का हाथ बंटाने वाले ये मजदूरी संभाग के धान उत्पादक किसानों की पहली पसंद बन गए हैं.

3 राज्यों के एग्रीकल्चर ट्यूर पर रहते हैं मजदूर

बिहार मूल के खेतीहर मजदूर तीन राज्यों के एग्रीकल्चर ट्यूर पर जून-जुलाई महीने में रहते हैं जहां सबसे पहले मजदूर बिहार से पंजाब पहुंचते हैं और करीब 15 दिन वहां पर धान रोपाई का काम करते हैं। इसके बाद वे यहां 15 दिन के लिए राजस्थान के हाड़ौती संभाग में आते हैं। यहां के बाद 15 दिन का प्रवास इन मजदूरों का पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में रहता है। खेतीहर मजदूर गुलाम रसूल ने कहा कि इस बार वह 10 जून को पंजाब पहुंचे थे। वहां उन्होंने धान रोपाई का काम किया। इसके बाद जून के अंत में कोटा पहुंचते हैं.

कोटा में काला तालाब गांव में मजदूर प्रवास करते हैं जहां इन दिनों 40 मजदूरों का ग्रुप है जो एक दिन में 40 बीघा खेत में धान की रोपाई कर देता है और यहां 15 दिन कंप्लीट होने के बाद यह लोग मध्यप्रदेश धान उत्पादन क्षेत्र में पहुंचेंगे और वहां धान की रोपाई करेंगे। मजदूरी करने वाले एक मजदूर गुलाम रसूल ने बताया कि 40 मजदूरों के ग्रुप में से 20 मजदूर अपने गांव चले जाएंगे और 20 मजदूर धान की गुड़ाई के लिए कचरा खरपतवार की सफाई के लिए वापस पंजाब, राजस्थान और मध्प्रदेश के ट्यूर पर चलेंगे.

बिहार के मजदूर होते हैं काम में फूर्तीले

दरअसल बिहार के मजदूर राजस्थान के हाड़ौती के किसानों के क्यों पसंदीदा बने हुए हैं, इसके पीछे कहानी कालातालाब निवासी धान उत्पादक किसान अब्दुल हमीद गौड़ बताते हैं, वह कहते हैं कि सालों से यहां बिहार से मजदूर धान रोपाई करने आ रहे हैं क्योंकि इस काम में यह बड़े फूर्तीले होते हैं जहां एक बिहार का मजदूर दिन भर में सवा बीघा खेत में धान की पौध की रोपाई कर देता है.

वहीं बिहार के मजदूर स्थानीय मजदूरों से दो से तीन गुना ज्यादा काम करते हैं और धान की पौध लगाने में दक्ष होते हैं. गौड़ बताते हैं कि इनके हाथ का लगा धान का पौधा जल्दी ग्रोथ करता है और उसका उत्पादन भी अच्छा होता है. इसके साथ ही कम समय में ज्यादा काम निकाल कर यह मजदूर देते हैं. धान उत्पादक किसान अब्दुल हमीद ने बताया कि अगर बिहार के मजदूर क्षेत्र में मजदूरी करने नहीं आए तो यहां के किसानों का धान ही समय पर नहीं लगे और उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान धान की फसल से होने की आशंका रहती है इसलिए वे लोग खुद ही बिहार के मजदूर के ग्रुप से संपर्क करते हैं और इन्हें यहां पर बुलाते हैं.

मजदूरों की मजबूरी क्या जो 3 राज्यों का करते हैं सफर

कालातालाब के खेत में धान रोपाई का काम कर रहे गुलाम रसूल ने कहा कि बिहार उनके गांव में बारिश के मौसम में सैलाब आता है। बाढ़ के कारण उनके घर और खेत बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में वे लोग काम की तलाश में पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश में धान उत्पादन वाले क्षेत्र में पहुंचते हैं। सालों से आ जा रहे हैं तो किसानों से उनके संपर्क है। वह यहां पर मई महीने में ही धान उत्पादक किसानों से पौध रोपाई का काम ले लेते हैं। फिर पंजाब, फिर राजस्थान आते हैं और मध्यप्रदेश जाते हैं, तो उन्हें या अच्छी खासी मजदूरी मिलती है। ग्रुप में आते हैं तो काम जल्दी निकलता है और उनके काम से किसान भी खुश हैं। इसलिए दोनों का तालमेल सालों से बना हुआ है.

करीब 10 हजार मजदूर कर रहे हाड़ौती में धान रोपाई

बता दें कि वर्तमान में काला तालाब गांव और आसपास करीब 500 मजदूर धान की रोपाई इन दिनों कर रहे हैं. वहीं कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों में करीब बिहार राज्य के 10 हजार मजदूर मजदूरी कर रहे हैं। कोटा जिले में लाडपुरा तहसील क्षेत्र में सबसे ज्यादा धान पैदा किया जाता है। इधर, बूंदी जिले में बड़ी संख्या में किसान धान की रोपाई करते हैं। इसके अलावा झालावाड़ जिले में पनवाड़ और बारां जिले में केलवाड़ा इलाके में किसान की पैदावार करते हैं। कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक इस बार विभाग का टारगेट हाड़ौती संभाग में करीब 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर का है और इस क्षेत्र में उम्मीद है कि इतने बड़े क्षेत्र में धान का रकबा इस बार रहेगा.

  • (कोटा से अर्जुन अरविंद की रिपोर्ट)

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