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Jagannath Rath Yatra 2024: श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का हुआ भव्य आयोजन, सैंकड़ों की संख्या में उमड़ा जनसैलाब

Jagannath Rath Yatra 2024: कोटपुतली। आज के दिन पूरे देश में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। मुख्य तौर पर देखा जाए तो पुरी, उड़ीसा में इसका काफी महत्व है। वहीं, देश और दुनिया के कई हिस्सों...
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Jagannath Rath Yatra 2024: कोटपुतली। आज के दिन पूरे देश में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। मुख्य तौर पर देखा जाए तो पुरी, उड़ीसा में इसका काफी महत्व है। वहीं, देश और दुनिया के कई हिस्सों में इसके भव्य आयोजन होते हैं। भगवान कृष्ण को ही जगन्नाथ स्वामी कहा जाता है इसलिए इस्कॉन के मंदिर जिस-जिस जगह पर हैं वहां पर भी इसे काफी अच्छे तरीके से मनाया जाता है।

रथयात्रा के इस पावन दिवस को राजस्थान के कोटपुतली में भी शानदार तरीके से आयोजित किया गया। भक्तों ने इस रथयात्रा में पहुंचकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए और रथयात्रा का आनंद लिया। श्रद्धालुओं के लिए यह काफी खास दिन होता है। इस दिन का इंतजार लोगों को सालभर रहता है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

यहां से हुई रथ की रवानगी

शहर के छोटा बाजार स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की रवानगी हुई। यात्रा को निकालने से पहले गणेश पूजन और मंगल आरती की गई। सुबह 9 बजे मंदिर से यात्रा रवाना हुई। रथ यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस मंदिर पहुंचेगी। गाजे-बाजे, आतिशबाजी और झांकियों से सजी यात्रा का शहर वासियों ने विभिन्न जगह स्वागत किया। (Jagannath Rath Yatra 2024)

शहर वासियों ने कई जगहों पर फूल बरसाए और श्रद्धालुओं का स्वागत किया। जहां से भी यह रथयात्रा निकली वहां से लोग इसमें शामिल होते गए। इस दौरान भगवान श्री जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए भक्तों की होड़ लगी रही। नगर परिक्रमा के बाद मंदिर पहुंचने पर भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाएगा और महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा। रथयात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए। पूरे आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का माहौल बना रहा।

उड़ीसा के जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व

हिंदू धर्म में जगन्नाथ यात्रा का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है। भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की तरफ जाते हैं।

यह भव्य और दिव्य आयोजन दस दिनों तक चलता है। ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस साल दो दिवसीय यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। बता दें कि आखिरी बार 1971 में दो दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था।

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जगन्नाथ रथयात्रा को जानें

भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है। साथ ही इस रथ पर लहराने वाले ध्वज को त्रिलोक्यमोहनी कहा जाता है। वहीं, इस रथ में 16 पहिए होते हैं और यह 13.5 मीटर ऊंचा होता है। इस रथ में पीले रंग के कपड़े का प्रयोग किया जाता है। विष्णु का वाहक गरूड़ इसकी रक्षा करता है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

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