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बर्बादी के रास्ते ले जा रहे ऑनलाइन गेम! पैसे की बर्बादी, मनोरोग और ना जाने क्या-क्या झेल रहे युवा...लेकिन बचें कैसे?

Youth Online Game Addiction: आजकल थोड़े समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच में कई युवा ऑनलाइन गेमिंग शिकार होकर अपना समय व धन बर्बाद कर रहे हैं. शहरों ,कस्बों के साथ गांवों में ऑनलाइन गेम का जुनून इस कदर...
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Youth Online Game Addiction: आजकल थोड़े समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच में कई युवा ऑनलाइन गेमिंग शिकार होकर अपना समय व धन बर्बाद कर रहे हैं. शहरों ,कस्बों के साथ गांवों में ऑनलाइन गेम का जुनून इस कदर छाया हुआ है कि युवा करोड़पति बनने के सपना देख रहा है और मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलकर समय और पैसा बर्बाद कर रहा है। रातों रात अमीर बनने की लालसा के चलते युवाओं में मोबाइल फोन के जरिए ऑनलाइन गेमिंग की प्रवृत्ति एक बीमारी बनती जा रही है. बिना मेहनत किए, शॉर्ट कट रास्ते से करोड़पति बनने की चाहत आज के दौर के युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग के जरिए जुए की लत लगा रही है.

लग्जरी लाइफ स्टाइल, स्टाइलिश बाइक, महंगे मोबाइल पाने की हसरत भी युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग के जाल में धकेल रही है. हालांकि जुआ भारत में गैर-कानूनी है लेकिन पैसे के लिए ऑनलाइन गेमिंग एक ग्रे एरिया बना हुआ है. युवाओं के परिवारों की शिकायत है कि ऑनलाइन लूडो, फ्री फायर, रमी, रूलेट, ब्लैक जैक और इंडियन फ्लैश जैसे इंटरनेट जुआ और ऑनलाइन गेमिंग ने लाखों बच्चों और युवाओं को फंसाया हुआ है.

वहीं ऑनलाइन गेमिंग की लत से दूर युवा मानते हैं कि डिजिटाइजेशन के इस दौर में युवा वर्ग ऑनलाइन गेमिंग के जिस दलदल में फंसता जा रहा है उससे निकलना बहुत मुश्किल है. युवा पीढ़ी के लिए यह खतरनाक बीमारी बन गई है, ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कैसे युवा भविष्य खराब करने वाली इस बीमारी से बच सकते हैं..

किशोरों और युवाओं में बढ़ रही है ऑनलाइन गेमिंग की लत

युवाओं को जुए की लत लगाने वाले ऑनलाइन गेम पर रोक व स्थाई समाधान नहीं होने से ऐसे खेल वित्तीय जोखिम के साथ मानसिक बीमारी के कारण बनने लगे हैं. लाखों युवाओं को इस खेल की लत लग गई और वर्षों की मेहनत की कमाई बर्बाद में लगे है। इससे युवा में तनाव व चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र जालोया के मुताबिक ज्यादा समय में सिर्फ मोबाइल चलाकर पैसों की जुगाड़ में वर्तमान में युवा कई रोगों से जकड़ता जा रहा है.

उनका कहना है कि किशोरों और युवाओं में ऑनलाइन गेमिंग की लत पड़ जाती है तो ये बीमारी बन जाती है जिसे चिकित्सा विज्ञान में गेंमिंग डिसऑर्डर या पैथोलॉजिकल गेंमिंग कहते हैं. पैथोलॉजिकल गेंमिंग ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर के तहत होने वाली बीमारी है। परिजनों को समय रहते पीड़ित युवाओं पर ध्यान देना चाहिए अन्यथा गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। पैथोलॉजिकल गेंमिंग के शिकार युवा जब ऑनलाइन गेमिंग मे सब कुछ गंवा बैठते है तो उन्हें एहसास होता है लेकिन इस स्थिति में अपनी लत के चलते वे ऑनलाइन गेमिंग को छोड़ भी नहीं पाते.

डॉक्टर सुरेंद्र जालोया बताते हैं कि गेंमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज उनके पास इलाज के लिए आ रहे हैं । अभिभावकों को भी इस तरह की बीमारी के शिकार बच्चों से अच्छा व्यवहार रखना चाहिए, क्योंकि डांट फटकार इसका इलाज नहीं है, बल्कि इस मनोविकार से दूर करने के लिए लगातार काउंसलिंग की और सहारे की जरूरत है.

भारत में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स

बता दें किभारत में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स हैं जहां देश का युवा मेहनत और बुद्धि का कम उपयोग कर के शॉर्टकट तरीके से अधिक पैसा बनाने के लिए ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों में धड़ल्ले से शामिल हो रहे हैं। कई ऑनलाइन गेम साइट गेम का आयोजन कर रही है इस ऑनलाइन गेम साइट के लिए कानूनी आयु सीमा 18 साल है लेकिन फर्जी आईडी और आयु सीमा की जांच के लिए ऐसा कोई प्राधिकरण नहीं है.

हमारे देश में ऑनलाइन जुआ के खेल को खेलने वाले बहुत से युवकों के पैसे के नुकसान या कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या कर लेने के भी कई मामले सामने आए हैं. लोगों के इस तरह की गतिविधियों की ओर रुख करने का एक और मुख्य कारण यह है कि कई चर्चित हस्तियां जो आम लोगों के लिए वास्तविक रोल मॉडल हैं इन ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों का जोरों-शोरों से प्रचार कर रही है और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को अपना पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित कर रही है.

मॉनिटरिंग और सही जानकारी ही उपाय

कुचामन सिटी पुलिस उपाधीक्षक अरविंद विश्नोई के मुताबिक आज के दौर में सबके हाथ में इंटरनेट और मोबाइल है जिसमें तमाम ऑनलाइन गेमिंग एप भी चलते हैं जिसे दूसरे प्रांत या देश से संचालित किया जाता है. इससे लोगों को रोकना पुलिस के लिए काफी मुश्किल काम है। हां, अगर कोई शिकायत करता है कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है तो उस पर साइबर अपराध और अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है.

बिश्नोई का यह भी कहना है कि इस तरह की लत से बचाने के लिए, माता-पिता को अपने बच्चों पर पूरी तरह से मॉनिटरिंग करनी चाहिए। पुलिस उपाधीक्षक अरविंद विश्नोई ने ऑनलाइन गेम खेलने वाले युवाओं के नाम एक संदेश दिया है जिसके मुताबिक कहीं ऐसा ना हो कि एप की प्रोग्रामिंग के तहत ये ऑनलाइन गेम आपकी सिर्फ जेब ही ढीली करते रहे। अगर आप लगातार हार रहे हैं तो सावधान व सतर्क हो जाएं। ठगी के शिकार होने से बचें.

वहीं युवा पीढ़ी को इस ऑनलाइन जुए की लत से बचाने के लिए देश के फिल्म स्टारों क्रिकेट और अन्य खेलों की सेलिब्रिटीज को ऑनलाइन गैंबलिंग वाले ऐप और वेबसाइट की साइट का प्रचार ना करके इसके दुष्प्रभाव वाले संदेश जारी करने चाहिए.

  • (नागौर से शबीक अहमद उस्मानी की रिपोर्ट)

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