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ना मिलेगी सब्जी, ना आएगा दूध वाला...सब कुछ रहेगा बंद, 29 जनवरी को क्यों बंद रहेंगे राजस्थान के 45 हजार गांव?

पिछले कई दिनों से गांव-गांव भ्रमण कर लोगों को जागृत करने का पहला चरण पूरा होने के साथ अब दूसरा चरण शुरु हो रहा है.
04:53 PM Jan 16, 2025 IST | Rajasthan First
पिछले कई दिनों से गांव-गांव भ्रमण कर लोगों को जागृत करने का पहला चरण पूरा होने के साथ अब दूसरा चरण शुरु हो रहा है.

Tonk News: राजस्थान के 45 हजार से ज्यादा गांव 29 जनवरी को बंद रहेंगे. इस दौरान गांव-गांव से ना तो दूध की सप्लाई होगी और ना ही एक दिन सरकारी सेवाओं का उपयोग ग्रामीण करेंगे. खेत को पानी-फसल को दाम सहित अन्य मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से गांव-गांव भ्रमण कर लोगों को जागृत करने का पहला चरण पूरा होने के साथ ही द्वितीय चरण की शुरुआत की गई है. इस जन जागरण अभियान के तहत किसानों को उनकी मांगों और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए गांव बंद आंदोलन प्रदेशभर में किया जाएगा.

दरअसल आंदोलन के जनजागरण अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत को लेकर जानकारी देते हुए किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष की रामपाल जाट ने 29 जनवरी को गांव बंद का आह्वान किया है जिसमें गांव के किसान, ग्रामीण गांव में रह कर आंदोलन करेंगे और ना तो बस, रेल अन्य साधनों या फिर सरकारी सेवाओं का उपयोग किया जाएगा. वहीं गांव के किसान या पशुपालक अपने उत्पाद भी शहरों में नही लेकर जाएंगे. राजस्थान के 45,537 गांव बंद के आवाहन को सफल बनाने के लिए किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आठ दिवसीय यात्रा में 20 जिलों का जागरण अभियान पूरा किया था.

इस जिलों में पूरा हुआ जनजागरण अभियान

बता दें कि भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, ब्यावर, अजमेर, दोसा, कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, अलवर एवं जयपुर जिले के किसान प्रतिनिधियों के साथ संपर्क हुआ. वहीं द्वितीय चरण की शुरुआत टोंक जिले से हुई जो बून्दी, कोंटा,बारां, झालावाड़, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, झूंझूंनू, सीकर, चुरु, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बिकानेर,नागौर का होगा जहां ग्रामीणों को अभियान से जुड़ने के लिए अपील की जाएगी.

गांव का व्यक्ति गांव में-गांव का उत्पाद गांव में

अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने वाले टोंक जिले से किसान महापंचायत के युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर चौधरी, करौली जिले से प्रदेश मंत्री बत्तीलाल बैरवा ने बताया कि पहली बार गांव का व्यक्ति गांव में-गांव का उत्पाद गांव में, सत्य-शांति-अहिंसा के मार्ग को पुष्ट करने वाला व गांव की शक्ति का पुनर्जागरण जैसी प्रतिक्रियाओं ने इस गांव बंद आंदोलन को अभिनव एवं अनूठे प्रयोग के रूप में निरुपित किया है.

स्वैच्छिक होने के कारण किसी भी प्रकार की टकराहट की संभावना नहीं होने से द्वेष रहित इस अभियान को देशवासियों के स्वभाव के अनुकूल बताया. अभी तक किसानों को लड़ाई के लिए कमाई छोड़नी पड़ती थी लेकिन इस अभियान में कमाई छोड़ने की आवश्यकता नहीं है. गांव का व्यक्ति गांव में रहते हुए कमाई के साथ लड़ाई कर सकता है. इस अभियान को स्वत: स्फूर्त बनाने की दिशा में इसकी जानकारी ग्राम स्तर पर अधिकाधिक व्यक्तियों तक पहुंचने के लिए जागरूक प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया.

खेत को पानी-फसल को दाम

वहीं किसान महापंचायत के अनुसार अभियान का उद्घोष ‘खेत को पानी - फसल को दाम’ है. इसी उद्घोष के अनुसार सिंधु जल समझौते की पालना नहीं होने से पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने, माही परियोजना के पानी के लिए वर्ष 1966 में हुए समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा जिले में नर्मदा का पानी वर्ष 2006 में पहुंचने के उपरांत माही परियोजना का संपूर्ण पानी राजस्थान में उपयोग हेतु सार्थक पहल करने, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का एमओयू, एमओए को सार्वजनिक करने औऱ पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना का निर्माण करने, यमुना जैसी नदियों सहित सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के सुझाव भी प्राप्त हुए हैं.

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