शादी vs लव जिहाद, धर्म परिवर्तन पर 10 साल की सजा...जानें क्या है राजस्थान का धर्मांतरण विरोधी कानून?
Rajasthan Anti Conversion Bill: राजधानी जयपुर में 16वीं विधानसभा का तीसरा सत्र चल रहा है जहां कई अहम बिल और सूबे का बजट पेश होना है लेकिन सदन के बाहर पिछले काफी समय से चर्चा का केंद्र बना हुआ धर्मांतरण विरोधी बिल आज सदन की पटल पर पेश हो गया है. विधानसभा में सोमवार को हेल्थ मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने धर्मांतरण विरोधी बिल पेश किया.
अब इस बिल को बजट सत्र में बहस के बाद पारित करवाया जाएगा. हालांकि विधेयक के पारित होने की तारीख अभी निर्धारित नहीं की गई है. बता दें कि सरकार ने बिल के प्रावधानों में खुद की मर्जी से धर्म परिवर्तन करने पर भी कलेक्टर को सूचना देना रखा गया है और अपनी मर्जी से धर्म बदलने पर 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देनी होगी.
वहीं बिल में सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ प्रावधान बनाते हुए लव जिहाद को परिभाषित भी किया है. इसके अलावा अगर कोई धर्म बदलवाने के लिए शादी करता है तो उसे लव जिहाद माना जाएगा और अगर शादी का मकसद लव जिहाद होना साबित होता है तो ऐसी शादी को रद्द करने का प्रावधान भी रखा गया है.
मर्जी से धर्म बदला तो कलेक्टर को देनी होगी सूचना
बता दें कि बिल के प्रावधानों में लिखा गया है कि अगर कोई खुद की मर्जी से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे इसकी सूचना 60 दिन पहले कलेक्टर को देनी होगी. वहीं बिल में किसी को लालच देकर और डरा धमकाकर धर्म परिवर्तन करवाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान सरकार ने किया है.
लव जिहाद को लेकर कठोर कानून
वहीं इस बिल में लव जिहाद के खिलाफ भी प्रावधान रखा गया है जहां लव जिहाद को परिभाषित करने के अलावा अगर कोई धर्म बदलवाने के लिए शादी करता है तो वह लव जिहाद माना जाएगा. इसके साथ ही अगर लव जिहाद साबित होता है कि शादी का मकसद लव जिहाद है तो ऐसी शादी को रद्द करने का प्रावधान भी सरकार के पास होगा. मालूम हो कि भजनलाल सरकार ने बीते दिनों कैबिनेट बैठक में धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
2006 में लौट गया था ये बिल
मालूम हो कि तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने 2006 में धर्मांतरण बिल को लौटा दिया था जिसके बाद यह विधेयक 2008 में वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान फिर पारित करवाया गया था और उसको भी तब की केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नीति से अलग बताते हुए वापस भेजा.
दरअसल 2017 में जोधपुर में एक हिंदू लड़की के मुसलमान धर्म अपनाने का मामला सामने आया था जहां लड़की का परिवार हाईकोर्ट पहुंचा तो पता चला कि लड़की को 10 रुपये के स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर कराकर हिंदू लड़की आरिफा बनाया गया है. परिवार ने बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया.
इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि जब कोई इंसान अपना नाम बदलता है तो उसके लिए नियम कायदे हैं, तो फिर धर्म परिवर्तन करने के लिए कोई नियम क्यों नहीं है? अगर है तो क्या हैं? बताया जाए.
राज्य सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए बताया कि राजस्थान सरकार इस विधेयक के लिए राष्ट्रपति की मंज़ूरी लेने का प्रयास कर रही है जो 2008 से लंबित है.
बीजेपी विधायक ने पूछा था सवाल
वहीं इस साल विधानसभा सत्र में बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने सदन में सवाल पूछा कि क्या यह सही है कि प्रदेश में धोखाधड़ी, डरा धमकाकर या पैसे में लव जिहाद के माध्यम से धर्मान्तरण की घटनाऐं लगातार हो रही है? यदि हां, तो पिछले 3 सालों में इस प्रकार की कितनी घटनाऐं हुई?
इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रदेश में इस तरह का एक प्रकरण जिला अलवर के एनईबी थाने में प्रकरण संख्या 775/2022 धारा 295ए, 298 आईपीसी में दर्ज हुआ था जिसको अदम वकू झूठ में दिया जाकर 20 जनवरी 2023 को एफआर पेश की जा चुकी है.
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