Rajasthan: देवली-उनियारा सीट पर विधानसभा उप चुनाव, कांग्रेस के गढ़ में भाजपा को राजेंद्र गुर्जर पर ही क्यों भरोसा ?
Rajasthan By Election: टोंक। राजस्थान के सात विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव की चौसर बिछ रही है। भाजपा ने डूंगरपुर की चौरासी सीट को छोड़कर बाकी छह सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इनमें टोंक की देवली- उनियारा विधानसभा सीट भी शामिल हैं। (Rajasthan By Election) जहां भाजपा ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को एक बार फिर अपना प्रत्याशी बनाया है। राजेंद्र गुर्जर 2013 के चुनाव में यहां से भाजपा विधायक रहे हैं।
भाजपा के लिए मुश्किल है देवली-उनियारा सीट
राजस्थान के टोंक की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उप चुनाव के लिए 13 नवंबर को वोटिंग होगी। भाजपा ने यहां से राजेंद्र गुर्जर को उप चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। इस सीट का 2008 में परिसीमन हुआ था, यह भाजपा के लिए मुश्किल सीटों में रही है। क्योंकि परिसीमन के बाद चार चुनावों में भाजपा सिर्फ 2013 के चुनाव में ही जीत दर्ज कर पाई। बाकी 2008, 2018 और 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ही जीतता आया है। 2008 में कांग्रेस के रामनारायण जीते। जबकि दो बार कांग्रेस के हरीश मीना विधायक बने।
राजेंद्र गुर्जर पर फिर से भरोसा जताने की क्या वजह?
टोंक की देवली उनियारा सीट पर भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर पर एक बार फिर भरोसा जताया है। इसकी एक वजह यह भी है कि अभी तक चार चुनावों में से भाजपा को यहां 2013 में ही विजयश्री मिल पाई। 2013 में भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर को ही चुनाव मैदान में उतारा था। उनका मुकाबला कांग्रेस के रामनारायण मीना से हुआ। जिसमें राजेंद्र गुर्जर ने कांग्रेस के रामनारायण को करीब 29 हजार वोटों से हरा दिया था। इसके बाद 2023 के चुनाव में यहां गुर्जर चेहरे के तौर पर विजय बैंसला को टिकट दिया गया, मगर वह जीत हासिल नहीं कर पाए। संभवतया यही वजह है कि भाजपा ने उप चुनाव में एक बार फिर राजेंद्र गुर्जर पर भरोसा जताया है।
देवली उनियारा कांग्रेस की परंपरागत सीट !
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र वाले जिले की यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। यहां 2008 में कांग्रेस के रामनारायण मीना ने जीत दर्ज की। 2018 में कांग्रेस के हरीश मीना विजयी हुए। साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के हरीश मीना यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं। परिसीमन के बाद चार में से तीन चुनाव कांग्रेस के जीतने की वजह से इसे कांग्रेस की परंपरागत सीट समझा जाता है।
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