विधानसभा से सड़क तक चर्चा में गोविंद डोटासरा...क्या है आक्रामक राजनीति के पीछे का सीक्रेट?
Govind Singh Dotasara: राजस्थान की विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच पिछले 5 दिन से आपसी खींचतान चल रही है जो मंगलवार को अपने चरम पर पहुंच गई है. सदन के बाहर पूरा विपक्ष धरने पर बैठा है और दोनों ही पक्षों की ओर से कौन पहले माफी मांगे इस बात पर पेंच फंसा हुआ है. मालूम हो कि पिछले शुक्रवार (21 फरवरी) को मंत्री अविनाश गहलोत की इंदिरा गांधी पर की गई एक टिप्पणी के बाद शुरू हुआ बवाल देखते ही देखते पक्ष-विपक्ष के बीच एक बड़े गतिरोध में बदल गया.
विपक्ष का कहना है कि मंत्री गहलोत पूर्व प्रधानमंत्री के लिए 'दादी' शब्द का प्रयोग करने के लिए माफी मांगे तो विधानसभा अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को पहले आसन के प्रति अपने व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए. इस पूरे घटनाक्रम में मंत्री के बयान और विपक्ष के विरोध के बीच यह पूरा मामला पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा पर केंद्रित हो गया है.
डोटासरा सूबे की सियासत में लगातार अपनी आक्रामक राजनीति के लिए सुर्खियों में रहते हैं. संघ और बीजेपी सरकार पर सीधे हमले और मुखर बयानबाजी को लेकर डोटासरा विरोधियों के अक्सर निशाने पर रहते हैं. विधानसभा में जो वर्तमान में गतिरोध चल रहा है वहां भी पूरा मामला पहले डोटासरा माफी मांगे इस पर केंद्रित हो गया है. आइए जानते हैं कि आखिर डोटासरा क्यों हमेशा अग्रेसिव पॉलिटिक्स करते हैं?
जाट समुदाय का शेखावाटी से बड़ा चेहरा
गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान में अपनी आक्रामक राजनीतिक शैली, जमीनी स्तर से जुड़ाव, खांटी देसी अंदाज और राजस्थान कांग्रेस में अपने प्रभावशाली नेतृत्व के कारण एक खास जगह बनाई है. डोटासरा जाट समुदाय से आते हैं, जो राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है. इस समुदाय का समर्थन उन्हें एक मजबूत आधार देता है खासकर शेखावाटी क्षेत्र में. जाट मतदाताओं को साधने की उनकी क्षमता ने उन्हें कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण नेता बनाया है खासकर तब जब यह समुदाय परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता था.
दरअसल 2020 में सचिन पायलट के बगावती तेवरों के बाद डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) का अध्यक्ष बनाया गया था. इस भूमिका में उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए जैसे नए मंडलों का गठन, कार्यकर्ताओं को जोड़ना और महिला मोर्चा को सक्रिय करना. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने उपचुनावों और निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे उनकी संगठनात्मक क्षमता की हाईकमान से काफी तारीफ हुई.
आक्रामक और बेबाक अंदाज
डोटासरा अपने तीखे बयानों और विपक्ष पर हमलावर रुख के लिए जाने जाते हैं. वे बीजेपी और केंद्र सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करते हैं जिससे वे जनता और कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा में रहते हैं. वहीं उनका ठेठ मारवाड़ी अंदाज और स्थानीय भाषा में बोलने की शैली उन्हें आम लोगों से जोड़ती है.
इसके अलावा डोटासरा का राजनीतिक सफर पंचायत चुनाव से शुरू हुआ, वे लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान रहे, फिर विधायक बने और अब तीन बार से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले नेता के रूप में उनकी छवि जनता को अपील करती है जहां वकील से लेकर शिक्षा मंत्री और PCC चीफ तक का उनका सफर रहा है.
बीजेपी के लिए पेश करते हैं चुनौती!
वहीं डोटासरा को बीजेपी के लिए एक मजबूत चुनौती के रूप में माना जाता है जहां उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीतीं जो पिछले दो चुनावों में जीरो थीं. बीजेपी नेताओं द्वारा उन पर व्यक्तिगत हमले और केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी (जैसे 2023 में ED की कार्रवाई) उनके सियासी कद के उभार को दिखाती है. इसके साथ ही डोटासरा कभी-कभी विवादों के कारण भी सुर्खियों में रहते हैं जैसे उनकी पुत्रवधू और रिश्तेदारों का RAS में चयन होने के बाद काफी सवाल उठे थे. वहीं पेपर लीक के मामलों में भी डोटासरा को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
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