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राजस्थान के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी की होगी विदाई! जानें आलाकमान के मन में क्या चल रहा है?

Rajasthan Politics: राजस्थान में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी खेमे की 11 सीटें चली जाने के बाद राजस्थान भाजपा में एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की चर्चा चल पड़ी है। वहीं राजस्थान में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री...
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Rajasthan Politics: राजस्थान में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी खेमे की 11 सीटें चली जाने के बाद राजस्थान भाजपा में एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की चर्चा चल पड़ी है। वहीं राजस्थान में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग और तमाम समीकरणों को देखते हुए अब बीजेपी के राजस्थान मुखिया सीपी जोशी की विदाई की अटकलें लगाई जा रही है।

चुनावी नतीजों के बाद से ही सियासी गलियारों में ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि सीपी जोशी की जगह राजस्थान में कोई नया अध्यक्ष लाया जा सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी समीकरण हैं जो यह कहते हैं कि राजस्थान भाजपा में फिलहाल तत्काल किसी तरह का परिवर्तन नहीं होगा। आइए आपको बताते हैं कि क्यों बीजेपी अध्यक्ष को बदले जाने की चर्चाएं हो रही है और आखिर क्यों बीजेपी आलाकमान फिलहाल सीपी जोशी को बदलने के मूड में नहीं है।

क्यों बदला जा सकता है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष?

सोशल इंजीनियरिंग- फिलहाल प्रदेश में सत्ता और संगठन दोनों के मुखिया ब्राम्हण हैं जहां भजनलाल शर्मा सत्ता के शीर्ष पर हैं तो सीपी जोशी संगठन के मुखिया। सीपी जोशी को पार्टी ने करीब सवा साल पहले प्रदेश भाजपा की डोर सौंपी थी लेकिन प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने पर भजनलाल शर्मा को सीएम चुने जाने के साथ ही जोशी की मुश्किलें बढ़ गई तभी से यह तय माना जा रहा था कि अब प्रदेश भाजपा की कमान किसी और के हाथों में होगी।

लोकसभा चुनाव की हार- राजस्थान में भाजपा ने 2014 और 2019 में कांग्रेस का सफाया कर दिया लेकिन इस बार कांग्रेस 11 सीटें छीनने में कामयाब रही जिसमें 9 सीटें तो वह है जहां विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा वोट हासिल किए थे। ऐसे में विधानसभा चुनाव में ही इन सीटों पर कमजोर स्थिति का पता चलने के बावजूद पार्टी कोई कारगर रणनीति नहीं बना सकी।

संगठन की कमजोरी- वहीं विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय यदि संगठन को मिलता है तो लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी भी बनेगी। फर्क यह है कि विधानसभा चुनाव में नैया पार लगने के वक्त संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मौजूद थे लेकिन चंद्रशेखर की राजस्थान से विदाई के बाद सारी जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की थी पर जोशी खुद अपने चुनाव क्षेत्र चित्तौड़ से बाहर नहीं निकल पाए।

अगर इन कारणों के चलते सीपी जोशी को हटाया जाता है तो ये सवाल उठता है कि भाजपा आलाकामान फिर किस बात का इंतजार कर रहा है। बता दें कि वर्तमाना में राजस्थान में संगठन का नेतृत्व परिवर्तन करने में पार्टी के सामने कई चुनौतियां भी है जिसके चलते ही माना जा रहा है कि सीपी जोशी को कुछ और वक्त मिल सकता है।

- हार के लिए अकेले जोशी की नहीं जिम्मेदारी

यदि लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर हार के लिए जिम्मेदारी तय की जाती है तो अकेले अध्यक्ष ही इसकी जद में नहीं आएंगे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में भी भाजपा हारी है। इसके अलावा वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ के चुरु, किरोड़ीलाल मीणा के दौसा सहित कई मंत्रियों के इलाके से पार्टी को शिकस्त मिली है। किरोड़ी तो पहले ही इस्तीफे की बात कह कर पार्टी को संकट में डाल चुके हैं। पार्टी को डर है कि चुनाव नतीजे के तत्काल बाद अध्यक्ष बदलने से गलत संदेश जाएगा। यदि लोकसभा चुनाव के नतीजे ही आधार बनते हैं तो यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र में भी पार्टी को नुकसान हुआ है। बदलाव का दबाव वहां भी बनेगा।

- राजस्थान में फिलहाल नहीं कोई चुनाव

राजस्थान में पहले सीएम-डिप्टी सीएम और फिर केंद्र में मंत्री चुनते समय जातीय संतुलन का पूरा ध्यान रखा गया। हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई। मोदी सरकार में तो भौगोलिक संतुलन का भी ध्यान रखा गया, पूर्व से भूपेंद्र यादव, पश्चिम से गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर से अर्जुनराम मेघवाल, मध्य से भागीरथ चौधरी को जगह मिली लेकिन दक्षिणी हिस्से से मेवाड़ से किसी को मौका नहीं मिला है। जोशी की विदाई के साथ इस पर भी सवाल उठेंगे। वैसे भी विधानसभा चुनाव पहले ही हो चुके हैं ऐसे में अब पार्टी पर सत्ता और संगठन की कमाने एक ही वर्ग में होने को लेकर कोई दबाव नहीं है।

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