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"राहुल कस्वां का टिकट काटने से टूटे जाट वोटर्स..." देवीसिंह भाटी बोले- राजेंद्र राठौड़ ने खराब किया पूरा माहौल

Rajasthan Politics: राजस्थान में लोकसभा चुनावों में बीजेपी के मिशन-25 फेल होने के बाद जहां पार्टी की ओर से अब सीटवार मंथन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर नेताओं की ओर से आपसी छींटाकशी का दौर भी शुरू...
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Rajasthan Politics: राजस्थान में लोकसभा चुनावों में बीजेपी के मिशन-25 फेल होने के बाद जहां पार्टी की ओर से अब सीटवार मंथन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर नेताओं की ओर से आपसी छींटाकशी का दौर भी शुरू हो गया है। इसी कड़ी में बीकानेर से पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता देवीसिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए बड़ा बयान देते हुए राजेंद्र राठौड़ पर तीखा हमला बोला है। वहीं भाटी ने चुनावों में संगठन की वर्किंग को भी जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा भाटी ने वर्तमान भजनलाल सरकार को लेकर कहा कि ब्यूरोक्रेसी इतनी हावी है कि विधायक तक लाइन में खड़े रहते हैं। भाटी के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में खलबली मची हुई है।

"कस्वां का टिकट नहीं काटना था"

भाटी ने कहा कि लोकसभा चुनावों से पहले जिस तरह से राजेंद्र राठौड़ ने घेराबंदी करके और दबाव बनाकर लोगों का टिकट कटवाया वो सारे दूसरी पार्टियों में जाकर जीत गए। उन्होंने कहा कि चूरू से राहुल कस्वां को टिकट नहीं देना बहुत भारी पड़ा जिससे पूरे प्रदेश में नुकसान हुआ और जाट वोटर्स छिटक गए। भाटी ने कहा कि राठौड़ ने चुनावों में एक-दूसरे की काट करने की राजनीति खेली और टिकट वितरण भी गलत तरीके से किया गया. इसके अलावा बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी खड़े होने से काफी नुकसान हुआ।

"संगठन ने काम नहीं किया"

भाटी ने आगे कहा कि चुनावों में संगठन स्तर पर राजस्थान में कई खामियां दिखी और यूपी चुनाव के दौरान जो पन्ना प्रमुख का जो कांस्पेट था वह राजस्थान में नदारद दिखाई दिया। वहीं पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि संगठन ने भी अपना काम सही तरीके से नहीं किया और वोटर लिस्ट में किसके नाम जुड़े हैं कितने लोग नहीं आए यह सब ध्यान रखने वाला कोई नहीं था जिसमें अब समय रहते सुधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनावों में किसी ना किसी के दबाव में टिकटों को बदला गया जिसके कारण पार्टी को काफी नुकसान हुआ और कई जगह पर बीजेपी चेहरों को हार का सामना करना पड़ा।

"सरकार पर हावी है ब्यूरोक्रेसी"

वहीं भाटी ने आगे कहा कि प्रदेश में अफसरशाही इतनी हावी है कि मैंने सुना है कि जयपुर में विधायक मुख्य सचिव के कमरे के आगे लाइन में खड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि अफसरों के ऑफिस के आगे विधायक लाइन में खड़े रहेंगे तो निचले स्तर के कार्यकर्ताओं का क्या हाल होगा। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस राज में भी यही हाल था लेकिन उस समय ब्यूरोक्रेसी काबू में रही थी लेकिन जब से ये सरकारें बदलने का रिवाज शुरू हुआ है तब से ब्यूरोक्रेसी काबू में नहीं रही है।

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