Rajasthan Politics: क्या गुल खिला रहा है निर्दलीय विधायकों का गुट? एकजुटता का संदेश या होने जा रहा कोई बड़ा खेला!
Rajasthan Politics: देश के चुनाव आयोग ने 12 राज्यसभा सीटों पर चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है जहां राजस्थान की एक सीट पर भी नया राज्यसभा सदस्य चुना जाएगा. राज्यसभा में जाने के लिए अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों खेमों में हलचल शुरू हो गई है हालांकि कांग्रेसी पाले में कम सुगबुगाहट है लेकिन बीजेपी खेमे में कई बड़े नाम सियासी गलियारों में तैरने लगे हैं और जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग की भी चर्चा है जहां सूबे के दोनों राजनीतिक दल (Rajasthan Politics) के मुखिया फिलहाल दिल्ली के दौरे पर सियासी रणनीति बनाने में जुटे हैं.
इधर सूबे के सियासी गलियारों में एक फोटो वायरल हो रही है जिसकी खासी चर्चा है. हम बात कर रहे हैं निर्दलीय विधायकों की डिनर पॉलिटिक्स की जिसको लेकर कई तरह की कयासबाजी चल रही है. दरअसल राजस्थान के सियासी गलियारों में वायरल तस्वीर डीडवाना से निर्दलीय विधायक यूनुस खान की ओर से जयपुर के एक होटल में दी गई डिनर पार्टी की है जिसमें 2023 के चुनाव में जीतकर आए कई विधायक टेबल पर बैठे हैं. अब सियासत के जानकार इस फोटो को अपनी समझ के हिसाब से डिकोड करने में जुटे हैं.
यूनुस खान ने दी विधायकों को डिनर पार्टी
दरअसल डीडवाना से निर्दलीय विधायक यूनुस खान ने अपने जन्मदिन पर हाल में जयपुर के जय पैलेस होटल में एक डिनर पार्टी दी जहां शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी, बाड़मेर विधायक प्रियंका चौधरी, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, बयाना विधायक ऋतु बनावत और सांचौर विधायक जीवाराम चौधरी एक ही डिनर टेबल पर बैठे दिखाई दिए. बताया जा रहा है कि खान ने इन सभी को डिनर के लिए निमंत्रण भेजा था जहां डिनर के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई. अब निर्दलीय विधायकों को एक टेबल पर बैठा देखकर सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि ये विधायक एक साथ क्या चर्चा कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि हाल में खत्म हुए विधानसभा के बजट सत्र के दौरान निर्दलीय विधायकों को कई विभागों के मंत्रियों से उनके लगाए गए सवालों का संतुष्टिभरा जवाब नहीं मिला जिसके बाद विधायक एकजुट होकर अपनी भूमिका और अहमियत को दिखाना चाह रहे हैं. इसके अलावा माना जा रहा है कि आगामी राज्यसभा चुनाव और 6 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनावों पर भी डिनर टेबल पर चर्चा हो सकती है.
एकजुटता या कोई नई रणनीति?
बता दें कि इन निर्दलीय विधायकों में अधिकतर विधायक वसुंधरा गुट के माने जाते रहे हैं ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या उपचुनाव में कोई नया खेला भी हो सकता है. इसके अलावा राज्यसभा चुनावों में इन विधायकों का साथ हार जीत का फैसला ना करे लेकिन संदेश देने में काफी मददगार साबित हो सकता है. इससे पहले पिछली गहलोत सरकार में भी निर्दलीय विधायकों का बोलबाला था जहां अशोक गहलोत ने निर्दलीय विधायकों को बराबर तरजीह दी और उन्हें कई अहम पदों पर सेट भी किया. हालांकि अभी ऐसे कोई सियासी उठापटक वाले हालात नहीं है जिनको लेकर निर्दलीय विधायकों की कोई कवायद की जाए.
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