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'रघुकुल रीति सदा चलि आई, प्राण जाई पर वचन न जाई...' बाबा के साथ हुआ खेला! क्या देंगे मंत्री पद की कुर्बानी?

Rajasthan Minister Kirodilal Meena: राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल का सूखा समाप्त करते हुए जीरो से 8 सीटों पर जोरदार वापसी की है। वहीं कांग्रेस के सहयोगी दलों को 3 सीटें मिली है। हाल में 6...
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Rajasthan Minister Kirodilal Meena: राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल का सूखा समाप्त करते हुए जीरो से 8 सीटों पर जोरदार वापसी की है। वहीं कांग्रेस के सहयोगी दलों को 3 सीटें मिली है। हाल में 6 महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्ता में आई बीजेपी को झटका देते हुए सूबे की जनता ने इस बार बीजेपी की 25 सीटें जीतने की हैट्रिक का सपना तोड़ दिया। जातियों के समीकरण और प्रत्याशियों के चयन में उलझी बीजेपी से 11 सीटें छीन ली।

वहीं अब हिंदी पट्टी के राज्यों में सबसे बड़ा नुकसान राजस्थान में होने के आफ्टर इफेक्ट्स भी दिखाई देने लगे हैं जहां सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने नतीजे आते ही अपनी नाराजगी और जनता से किया वादा पूरा करने के संकेत दिए। दरअसल किरोड़ीलाल मीणा लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान ही अपनी कुर्सी छोड़ने के संकेत दे चुके हैं जहां उन्होंने दौसा के अलावा 7 सीटों का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर इनमें से एक भी सीट बीजेपी हारी तो वह अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।

इधर मंगलवार को नतीजे जारी होने के बाद बाबा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से X (टि्वटर) पर रामचरितमानस की एक चौपाई पोस्ट करते हुए लिखा- 'रघुकुल रीति सदा चलि आई...प्राण जाई पर वचन न जाई।' किरोड़ीलाल के इस रूख से माना गया कि वह जल्द ही अपना मंत्री पद छोड़ सकते हैं। हालांकि फिलहाल बाबा ने अपने इस्तीफे को लेकर कुछ साफ नहीं किया है.

7 सीटों की जिम्मेदारी...4 पर हारी बीजेपी

बता दें कि किरोड़ीलाल मीणा लगातार चुनाव प्रचार के दौरान अपने मंत्री पद की कुर्सी से इस्तीफा देने की बात कहते रहे हैं और अभी नतीजों से एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी ने उन्हें 7 सीटें सौंपी थी और उसमें से एक पर भी भाजपा हारी तो वह इस्तीफा दे देंगे।

दरअसल किरोड़ीलाल के मुताबिक ये 7 लोकसभा सीटें भरतपुर, धौलपुर-करौली, दौसा, अलवर, जयपुर ग्रामीण, टोंक-सवाईमाधोपुर और कोटा थी। वहीं इससे पहले उन्होंने बताया था कि अगर दौसा लोकसभा सीट भाजपा हार जाती है तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा। मालूम हो कि 12 अप्रैल को चुनाव अभियान के दौरान दौसा में पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो भी हुआ था।

अब इधर, मंगलवार को आए नतीजे में इन सात में से भरतपुर, दौसा, करौली-धौलपुर और टोंक-सवाई माधोपुर में कांग्रेस ने जीत हासिल की है जहां दौसा से मुरारी लाल मीणा, भरतपुर में संजना जाटव, टोंक-सवाई माधोपुर से हरीश मीणा, करौली-धौलपुर से धौलपुर से भजनलाल जाटव जीत गए हैं. वहीं कोटा से ओम बिरला, अलवर से बीजेपी के भूपेंद्र यादव और जयपुर ग्रामीण से बीजेपी के राव राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की है.

पायलट VS किरोड़ीलाल में छिड़ी जंग!

दरअसल मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने जिन 7 सीटों का नाम गिनाया था और वहां 4 पर हार मिली है वहां कांग्रेस की तरफ से प्रचार की कमान सचिन पायलट ने संभाली थी और सिर्फ दौसा सीट की बात करें तो वहां पायलट के करीबी मुरारी लाल मीणा चुनावी मैदान में थे जिसके बाद चुनाव पूरी तरह से पायलट और किरोड़ी के बीच हो गया जिसका नुकसान भी किरोड़ी को उठाना पड़ा।

मालूम हो कि पूर्वी राजस्थान और खासकर दौसा में पायलट का काफी प्रभाव है और वहां एससी-एसटी और गुर्जर मतदाता कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं ऐसे में ये बड़ा वोटबैंक बीजेपी से इस बार छिटक गया। पायलट के सामने आने से कई सीटों पर वहां के प्रत्याशी पीछे रह गए वो भी बीजेपी के हारने का एक बड़ा कारण रहा।

पूर्वी राजस्थान में खिसका SC-ST वोटबैंक

इसके अलावा पूर्वी राजस्थान कांग्रेस का सालों से गढ़ रहा है और वहां का वोटर हर चुनाव में अपना मूड बदलता रहता है जहां पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सिर जीत का सेहरा बंधा था और कांग्रेस अपने ही गढ़ में कमजोर पड़ गई थी। वहीं अब लोकसभा चुनावों में जनता ने कांग्रेस को फिर से संजीवनी दे दी है. वहीं पूर्वी इलाके से ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भरतपुर लोकसभा सीट से आते हैं वहां भी भाजपा हार गई है।

वहीं कांग्रेस ने जिन चार सीटों पर जीत हासिल की है वहां दो सीटें भरतपुर और करौली-धौलपुर SC आरक्षित हैं तो दौसा लोकसभा सीट ST आरक्षित है। इसके पीछे बताया जा रहा है कि बीजेपी के 400 पार के नारे और संविधान में बदलाव की अफवाह के चलते एससी-एसटी वोटबैंक इस बार खिसक गया। इधर कांग्रेस ने इस सीटों पर आरक्षण के मुद्दे को चुनावी सभाओं में जमकर भुनाया।

क्या बाबा छोड़ देंगे मंत्री की कुर्सी?

गौरतलब है कि किरोड़ीलाल मीणा को राजस्थान में सरकार बनने के बाद से ही सम्मानजनक मंत्रालय नहीं मिलने का मुद्दा उठता रहा है और समय-समय पर गरमाता भी रहा है। किरोड़ी के समर्थकों का भी कहना है कि उनको कद के मुताबिक पद नहीं मिला है। नाराजगी की यह चिंगारी लगातार जलती रही और लोकसभा चुनाव आ गए जहां किरोड़ीलाल ने दौसा की हार से अपनी कुर्सी को जोड़ लिया और हार पर नैतिक जिम्मेदारी का एक ग्राउंड तैयार किया।

अब माना जा रहा है कि किरोड़ीलाल मीणा आने वाले दिनों में अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं क्योंकि राजनीतिक विश्लेष्कों का कहना है कि वह अपनी बात के धनी रहे हैं और संघर्षों और खरी कहने वाले नेता रहे हैं जहां वह किसी भी तरह की दबाव की सियासत में बैचेन हो जाते हैं ऐसे में अब आने वाले दिन राजस्थान की राजनीति के लिए रोचक होने वाले हैं जहां देखना होगा कि किरोड़ीलाल मीणा क्या अगला कदम उठाते हैं?

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