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Ranthambhore: टाइगर लापता है ! रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघ मिसिंग, मॉनिटरिंग रिपोर्ट में खुलासा

राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से 25 टाइगर के लापता होने का मामला आया है। अब इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई है।
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Ranthambore Tiger Reserve: राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघ-बाघिन लापता हो गए हैं। वन विभाग की मॉनिटरिंग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। (Ranthambore Tiger Reserve) इस खुलासे के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव प्रतिपालक ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है, जो बाघ-बाघिनों के लापता होने को लेकर जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी। इस कमेटी को रिपोर्ट बनाने के लिए दो महीने का समय दिया गया है...

रणथम्भौर से 25 टाइगर लापता

राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से चिंताजनक खबर आई है। वन विभाग की मॉनिटरिंग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से एक दो नहीं बल्कि पूरे 25 बाघ-बाघिन लापता हैं। इसकी जानकारी मिलने के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन्यजीव प्रतिपालक पी.के. उपाध्याय ने एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। जो अगले दो महीने में रणथम्भौर से गायब हुए बाघों को लेकर जांच कर रिपोर्ट देगी। इसके अलावा रणथम्भौर रिजर्व में जनवरी 2023 से जनवरी 2024 तक 11 बाघों की मौत हो चुकी है।

11  बाघ एक साल से लापता

प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय का कहना है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में पिछले काफी समय से टाइगर के मिसिंग होने की जानकारी मिल रही है। इनमें 11 बाघ ऐसे हैं, जो एक साल से ज्यादा समय से लापता हैं, कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। 14 बाघ एक साल से कम समय से मिसिंग हैं। इन मिसिंग बाघों की तलाश के लिए अब तक क्या किया गया, इसकी जांच के लिए अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव अध्यक्ष, वन संरक्षक ड़ॉ टी मोहनराज जयपुर और मानस सिंह उपवन संरक्षक भरतपुर की टीम बनाई है।

टाइगर के लापता होने की क्या वजह ?

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या के मुकाबले जगह कम पड़ रही है। ऐसे में टाइगर को टेरेटरी बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। ऐसी स्थिति में बाघों में आपसी संघर्ष होता है। जिसमें कमजोर बाघ रणथम्भौर से बाहर निकल जाते हैं या ताकतवर बाघ से संघर्ष में उनकी मौत हो जाती है। वन्यजीव प्रेमी रणथम्भौर में बाघों की मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल उठा रहे हैं, इनका कहना है कि यहां अधिकारी बाघों के संरक्षण से ज्यादा फोकस पर्यटन पर करते हैं।

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