दौसा में पायलट की जाजम पर जुटे 8 MP, 25 MLA...सियासी गलियारों में हलचल, क्या हैं छुपे सियासी मायने?
Sachin Pilot: किसानों के मसीहा और कांग्रेस की राजनीति के दिग्गज ने नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की मंगलवार को 24वीं पुण्यतिथि थी जहां दौसा के जीरोता में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भंडाना स्मृति स्थल पर पुष्प अर्पित करने के बाद जीरोता में बने राजेश पायलट के स्मारक के सामने आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी।
दरअसल पायलट हर साल अपने पिता की पुण्यतिथि और जयंती पर दौसा में कार्यक्रम करते हैं लेकिन मंगलवार को दौसा में पायलट के साथ हुई जुटान ने हर किसी को हैरान किया जहां सचिन पायलट के साथ प्रार्थना सभा में हाल में जीते कांग्रेस के सभी 8 सांसद, 20 से अधिक विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और सैकड़ों कांग्रेसी चेहरे पहुंचे। बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ऐसा पहली बार था जब कांग्रेस के नेता एक साथ एक मंच पर इस तरह दिखाई दिए।
#Dausa: "देश की जनता ने नतीजों में इस बार साफ संदेश दिया है कि दमन और भेदभाव की राजनीति नहीं चलेगी, केंद्र में #Modi सरकार का गठन हाल में हुआ है लेकिन समय बताएगा कि ये सरकार कितनी चलती है और क्या काम करती है" - Sachin Pilot#sachinpilot #modigoverment #DausaNews #INCRajasthan… pic.twitter.com/L7AKLkKSxR
— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) June 11, 2024
अब सचिन पायलट के साथ इस तरह से नेताओं की जुटान से सूबे के सियासी गलियारों में हलचल तेज है कि आखिर इसके क्या मायने हैं और क्या पायलट का राजस्थान में दबदबा वैसे ही बरकरार है? मालूम हो कि हाल में लोकसभा के नतीजे आए हैं जहां राजस्थान में कांग्रेस के 8 सांसद जीतकर आए हैं जिनमें 5 पायलट खेमे के बताए जाते हैं। वहीं पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ने जिस तरह से बीजेपी का सूपड़ा साफ किया है उसके बाद पायलट काफी मजबूत हुए हैं। आइए समझते हैं कि पायलट के मंच पर ये जुटान क्या कहती है?
8 सांसद, 25 विधायक और पहुंचे कई पूर्व मंत्री
दरअसल लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौके पर भण्डाना (दौसा) में आयोजित की गई सर्वधर्म प्रार्थना सभा में सचिन पायलट के साथ 8 मौजूदा सांसद, 25 विधायक और 36 पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक दिखाई दिए जहां इससे पहले चुनावी रैलियों में भी कांग्रेस नेताओं ने इस स्तर पर एक साथ मंच शेयर नहीं किया था। पायलट के साथ दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा, बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, झुंझुनूं सांसद बृजेंद्र सिंह ओला, भरतपुर सांसद संजना जाटव, चूरू सांसद राहुल कस्वां, सांसद कुलदीप इंदौरा और सांसद भजनलाल जाटव दिखाई दिए।
वहीं पूर्व मंत्री ममता भूपेश और पूर्व विधायक ओपी हुडला समेत कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी करणसिंह उचियारड़ा, अनिल चौपड़ा और दामोदर गुर्जर भी मौजूद रहे। इसके अलावा 25 विधायकों में हरीश चौधरी, वीरेन्द्र सिंह, सुरेश मोदी, नरेन्द्र बुढानिया, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, अमीन कागजी, रोहित बोहरा, रमिला खड़िया, ललित यादव, अभिमन्यु पूनिया समेत कई विधायक मौजूद रहे।
लोकसभा चुनाव में मजबूत हुए पायलट!
बता दें कि सचिन पायलट ने हाल में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान की लगभग हर सीट पर चुनाव प्रचार किया. इसके अलावा वह देश के कई राज्यों में लोकसभा सीटों पर गए और काफी सीटों पर उनकी डिमांड थी, आंकड़ों के मुताबिक पायलट ने इस बार 100 से अधिक चुनावी रैलियों को संबोधित किया.
इधर राजस्थान में कांग्रेस ने इस बार 8 सीटों पर जीत हासिल की है जिनमें पायलट खेमे से 5 सांसद जीतकर संसद पहुंचे हैं जहां उनके टिकट वितरण और चुनाव प्रचार में पायलट की अहम भूमिका मानी जाती है। दरअसल कांग्रेस लगातार 10 सालों से खाता भी नहीं खोल पा रही थी जहां इस बार 8 सांसद जीतकर आए हैं और सारे पायलट के साथ मौजूद रहे जिसका सूबे की सियासत में एक बड़ा संदेश गया है।
पायलट दे रहे सीधा संदेश!
बता दें कि पायलट का कैनवास राज्य से आगे राष्ट्रीय स्तर के नेता का है जहां वह नेशनल लेवल पर अक्सर केंद्र सरकार की घेराबंदी करते हुए दिखाई देते हैं। मंगलवार को दौसा में पायलट ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार को जनता, किसान और नौजवान ने एक स्पष्ट संदेश दिया है, देश में गठजोड़ की सरकार बनी है जहां किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और लोकसभा में एक खंडित जनादेश आया है।
इसके दूसरी ओर पायलट राज्य की सियासत में सक्रियता और इस जुटान से संदेश देना चाहते हैं कि वह सूबे की सियासत में कहीं नहीं जाने वाले हैं। मालूम हो कि पायलट कई बार कह चुके हैं कि वह राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे और मैं थासूं दूर कोनी उनका काफी चर्चित बयान रहा है। वहीं इस बार के लोकसभा चुनावों में जहां अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत की सीट जालौर में ही फंसे रहे तो पायलट ने पूरे सूबे में चक्कर लगाए जिसके बाद वैभव गहलोत चुनाव हार गए तो पायलट जिन सीटों पर गए वहां 5 लोगों ने जीत हासिल की है।
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