तीसरा मोर्चा, भील प्रदेश और कांग्रेस-BJP को आंख....और क्या-क्या करने जा रहे BAP सांसद राजकुमार रोत?
BAP MP Rajkumar Roat: (मृदुल पुरोहित) । भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत इन दिनों सुर्खियों में है जहां बीते दिनों उन्होंने खुलकर भील प्रदेश की मांग उठाई थी तो हाल में वह रविंद्र सिंह भाटी और उम्मेदाराम बेनीवाल के साथ नजर आए थे. बताया जा रहा है कि रोत अब बाप का राजनीतिक दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं जहां चौरासी और सलूंबर से आगामी उपचुनावों में वह कांग्रेस से अलग होकर भी चुनाव लड़ने जा रहे है.
वहीं राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश की मांग को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज होने लगी है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने हाल ही में बाड़मेर, बालोतरा, सिरोही, जालौर और अन्य स्थानों पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। साथ ही पश्चिमी राजस्थान के जन प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा किया है। इससे यह चर्चाएं अब जोर पकड़ रही है कि जुलाई माह में मानगढ़ धाम से उठी भील प्रदेश की मांग के लिए सांसद रोत राजस्थान के अन्य जिलों से समर्थन जुटाने में जुटे हैं।
भाटी व बेनीवाल के साथ मंच साझा
हाल ही में बाड़मेर की यात्रा के दौरान सांसद रोत ने विश्व आदिवासी अधिकार दिवस के कार्यक्रम में शिव विधायक रविन्द्रसिंह भाटी, सांसद उम्मेदराम बेनीवाल, जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी आदि प्रमुख नेताओं के साथ मंच साझा किया था। उन्होंने पश्चिमी राजस्थान में निवासरत भील समूह के इस कार्यक्रम में अलग आदिवासी धर्म कोड, इतिहास, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार आदि पर चर्चा की थी। रोत ने बालोतरा, पचपदरा, समदड़ी, जालौर के सायला, पिण्डवाड़ा में भी आदिवासी नेताओं ताराराम भील, बीएपी के पदाधिकारी से मुलाकात की थी।
दायरा बढ़ाने की कोशिश
राजस्थान में बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ आदिवासी बहुल जिले हैं। उदयपुर, सिरोही, जालौर जिलों में भी आदिवासियों की अच्छी तादाद है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भारत आदिवासी पार्टी अब पश्चिमी राजस्थान के भील नेताओं सहित भारतीय जनता पार्टी के विरोधी दलों और नेताओं के साथ मिलकर भील प्रदेश की अपनी मांग का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए वह लोकसभा चुनाव में एक सांसद तथा बागीदौरा, धरियावद और आसपुर से विधायक के दम पर भील प्रदेश की मांग को और अधिक मजबूती देने के प्रयास में है।
जुलाई में उठी थी मानगढ़ से मांग
राजस्थान और गुजरात की सीमा पर शहादत स्थली मानगढ़ धाम पर आदिवासी परिवार की ओर से जुलाई के तीसरे सप्ताह में सांस्कृतिक महारैली में भील प्रदेश बनाने की हुंकार उठी। इसमें आदिवासी परिवार की राजनीतिक विंग के रूप में भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत, बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल सहित अन्य पदाधिकारियों ने राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग की।
राजनीतिक ताकत के साथ तेज हुई मांग
2018 में दक्षिणी राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी और सागवाड़ा सीट से जीत हासिल की और बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले में भी अपना वोटबैंक खड़ा किया। 2023 के विधानसभा चुनाव से आदिवासी परिवार से भारत आदिवासी पार्टी अस्तित्व में आई। बीएपी से चौरासी, आसपुर, धरियावद, सैलाना से विधायक चुने गए। लोकसभा चुनाव में पहली बार बीएपी का सांसद बना। जनाधार बढ़ाने के बाद भील प्रदेश की मांग पुरजोर तरीके से उठाई जा रही है।
यह जिले सम्मिलित करने की मांग
भील प्रदेश में राजस्थान से बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, कोटा, झालावाड़, बारां, सिरोही, बाड़मेर, जालौर, पाली, राजसमंद और चित्तौडगढ़ को सम्मिलित करने की मांग है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश के रतलाम, इंदौर, बुरहानपुर, गुना, शिवपुरी, खंडवा, धार, देवास, मंदसौर, नीमच,खरगोन, बड़वानी, गुजरात के दाहोद, बड़ोदरा, पंचमहल, अरवल्ली, महीसागर, सूरत, तापी, नवसारी, साबरकांठा, छोटा उदेपुर, नर्मदा, भरूच, बनासकांठा और वलसाड़ और महाराष्ट्र के धुले, ठाणे, पालघर, नासिक, जलगांव और नंदुरबार जिलों को मिलाने की मांग है।
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