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Rajasthan: महाकुम्भ में राजस्थान के संत बने महामंडलेश्वर, 25 की उम्र में क्यों ले लिया संन्यास?

महाकुम्भ में राजस्थान के टोंक के संत बालकानंद महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। जूना अखाड़े ने इसकी घोषणा की।
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Tonk News Rajasthan: प्रयागराज महाकुम्भ में राजस्थान के एक संत को महामंडलेश्वर की पदवी मिली। यह संत टोंक जिले के अद्वैत आश्रम हरभांवता के स्वामी बालकानन्द हैं। (Tonk News Rajasthan) जो महाकुम्भ में महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद कल शनिवार को आश्रम पहुंचेंगे। महामंडलेश्वर के स्वागत के लिए हरभांवता आश्रम में भक्तों ने भव्य तैयारियां की हैं। स्वामी बालकानंद महाराज 25 की उम्र में ही संत बन गए।

महाकुम्भ में महामंडलेश्वर बने टोंक के संत

प्रयागराज महाकुंभ में टोंक जिले के निवाई के हरभांवता गांव स्थित अद्वैत आश्रम के सन्त स्वामी बालकानंद महाराज को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई। जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने इसकी घोषणा की। इस दौरान अखाड़े में धर्म ध्वज के नीचे संत बालकानंद महाराज को माला पहनाई गई। इसके बाद संत बालकानंद महाराज अमावस्या पर अखाड़े से संगम तट तक पहुंचे और अमृत स्नान किया।

महामंडलेश्वर के स्वागत की तैयारी

महामंडलेश्वर बालकानंद महाराज के महाकुंभ से लौटने पर भक्तों की ओर से उनके भव्य स्वागत की तैयारी की गई है।महामंडलेश्वर बनने के बाद अद्वैत आश्रम हरभांवता आने पर संत के स्वागत में बड़ा कार्यक्रम होगा। जिसमें राजस्थान के टोंक, सवाईमाधोपुर, जयपुर, दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनूं, भीलवाड़ा, अजमेर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, राजसमंद, उदयपुर सहित मध्यप्रदेश और दिल्ली से भी भक्त आएंगे।

25 की उम्र में ही बन गए संत

स्वामी बालकानंद महाराज 25 साल की उम्र में ही संत बन गए, अब 30 साल बाद उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी मिली है। स्वामी बालकानंद महाराज का जन्म सवाई माधोपुर जिले के मित्रपुरा तहसील के गुगड़ोद गांव में एक किसान परिवार में हुआ। उनकी माता का नाम नुरका देवी और पिता का नाम रामगोपाल है। महामंडलेश्वर बालकानंद महाराज की शुरू से ही धर्म में रूचि थी। भक्ति में आस्था देखते हुए 25 वर्ष की उम्र में संत बन गए। महामंडलेश्वर बालकानंद महाराज हरभांवता आश्रम के संत ब्रह्मलीन स्वामी सेवानंद महाराज के शिष्य है।

(टोंक से कमलेश कुमार महावर की रिपोर्ट)

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