"मैडम आप फिर से मुख्यमंत्री बन जाओ..." वसुंधरा राजे से एक कार्यकर्ता की भावुक अपील...जानें फिर क्या आया जवाब?
Vasudhara Raje: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक दिलचस्प सवाल उठाया... "सीएम बनना मेरे हाथ में है क्या?" यह सवाल उन्होंने पाली में एक शादी समारोह के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत किए जाने पर किया। इस मौके पर एक कार्यकर्ता ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनने की सलाह दी, (Vasudhara Raje)जिसके जवाब में वसुंधरा राजे ने दोनों हाथों से इशारा करते हुए यह सवाल पूछा। वसुंधरा राजे का यह बयान सियासी गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गया है।
वसुंधरा राजे की सादड़ी यात्रा
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पाली जिले के बाली कस्बे के गांव बारवा पहुंची, जहां एक परिचित शिक्षक नरपत सिंह राजपुरोहित की बेटी का विवाह समारोह था। इस अवसर पर वसुंधरा राजे ने नव दंपती को आशीर्वाद दिया और समारोह में शिरकत की। विवाह समारोह में जाते समय उनका काफिला सादड़ी कस्बे में रुका, जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
दोबारा सीएम बनने की मांग
सादड़ी कस्बे के आखरिया चौक पर भाजपा मंडल अध्यक्ष गोविंद मीणा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का मजमा लगा था। इस मौके पर महिला कार्यकर्ताओं समेत भाजपा कार्यकर्ताओं ने फूलमालाओं से वसुंधरा राजे का स्वागत किया और चुनरी ओढ़ाई। इस दौरान सादड़ी भाजपा मंडल के मंत्री अनिल बोहरा ने वसुंधरा राजे से कहा कि वे दोबारा मुख्यमंत्री बनें। इस पर वसुंधरा राजे ने हंसते हुए कहा, "मेरे हाथ में है क्या?" और फिर दोबारा तेज आवाज में कहा, "मेरे हाथ में रखा है क्या?"।
जनता के बीच मेरी पहचान है
भाजपा कार्यकर्ता अनिल बोहरा ने बताया कि जब उन्होंने वसुंधरा राजे से यह निवेदन किया तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि वे हमेशा जनता के साथ हैं, और मुख्यमंत्री बनाने का फैसला राष्ट्रीय नेताओं के अधिकार क्षेत्र में है। वसुंधरा ने यह भी बताया कि उनका काम हमेशा जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के लिए था और उन्होंने कभी भी अपने कार्यकाल में प्रशासनिक फैसले जनता के भले के लिए लिए।
वसुंधरा राजे ने सादड़ी में पूर्व मंत्री अचलाराम मेघवाल से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। अचलाराम की सेहत खराब चल रही थी, जिसके बारे में जानकारी लेने वसुंधरा राजे उनके घर पहुंचीं। वसुंधरा की यात्रा का मार्ग उदयपुर से नाथद्वारा होते हुए सादड़ी और बाली (पाली) के बारवा तक था।
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