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Pratigyeshwar Mahadev Khambhat: प्रतिज्ञेश्वर महादेव स्थित हैं जमीन से दो मंजिल नीचे, देते हैं निर्भयता का आशीर्वाद

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Pratigyeshwar Mahadev Khambhat (Image Credit: Rajasthan First)

Pratigyeshwar Mahadev Khambhat: कंकर कंकर में है शंकर। यह बात आम तौर पर भगवान शिव के लिए कही जाती है। शिव के भक्तों को यह बात सच भी लगती है। कहा जाता है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कोई शर्त नहीं है। सिर्फ भाव हो तो शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। प्रसन्न होकर भक्त जहां कहें, वो वहां बस जाते हैं।

भक्त गण शिवालयों में सालों से शिव (Pratigyeshwar Mahadev Khambhat) की सेवा-पूजा करते आ रहे हैं। भक्त उनकी भक्ति में सराबोर रहते हैं। मंदिरों के साथ जब अनुसंधान जुड़ जाता है तब मंदिर का महत्त्व और बढ़ जाता है। ऐसा ही एक महत्त्वपूर्ण मंदिर है प्रतिज्ञेश्वर महादेव, जो खंभात शहर में स्थित है। खंभात शहर की पतंगसी पोल में स्थित इस शिवालय का उल्लेख पुराणों में भी है।

जानें इस मंदिर की विशेषता

घनी आबादी और पुरानी शैली के घरों के बीच पंतगसी की पोल में स्थित है प्रतिज्ञेश्वर महादेव का मंदिर (Pratigyeshwar Mahadev Khambhat)। मामूली दिखने वाले इस शिवालय की विशेषता यह है कि यहां शिव जी भूगर्भ में स्थापित हैं। गली से मंदिर में प्रवेश करके दो मंजिल नीचे भूगर्भ में जाने पर शिव जी के दर्शन होते हैं। भक्त गण यहां आकर भाव पूर्वक महादेव की पूजा करके उनका ध्यान करते हैं। स्तुति गान करके प्रसन्न करते हैं।

प्रतिज्ञेश्वर महादेव का उल्लेख स्कंद पुराण में भी

प्रतिज्ञेश्वर महादेव (Pratigyeshwar Mahadev Khambhat) का उल्लेख स्कंद पुराण में भी है। इसकी एक कहानी भी है। बुजुर्गों के अनुसार शिव पुत्र कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध करने की प्रतिज्ञा ली थी। कार्तिकेय स्वामी ने प्रतिज्ञा पूर्ण तो कर ली, पर साथ ही पाप से मुक्त होने के लिए महादेव की आराधना भी की। ताड़कासुर के वध के बाद पाप से मुक्त होने के लिए कार्तिकेय स्वामी ने विश्वकर्मा भगवान से तीन शिवलिंग का निर्माण करवाया था जिसमें से एक प्रतिज्ञेश्वर की पश्चिम दिशा में स्थापना की। एक दंत कथा ऐसी भी है कि ताड़कासुर का नाता प्राचीन तारापुर के साथ था। प्राचीन तारापुर यानी आज का खंभात।

शिव दर्शन को आये एक श्रद्धालु रमेश राणा ने बताया, ''यहां का इतिहास बहुत पुराना है। गणपति के भाई कार्तिकेय स्वामी थे। उन्होंने ताड़कासुर का वध करने के लिए यहां प्रतिज्ञा ली थी। विश्वकर्मा भगवान ने यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की स्थापना की थी।''

एक और श्रद्धालु इला बहन कहती हैं, ''बताया जाता है कि प्रतिज्ञेश्वर महादेव (Pratigyeshwar Mahadev Khambhat) की स्थापना कार्तिकेय स्वामी ने खुद की थी। ये शिवलिंग कार्तिकेय स्वामी के समय का है। सालों से यहां लोगों की श्रद्धा है। यहां का पानी कहां जाता है किसी को भी पता नहीं है।''

लोगों का कहना है यह मंदिर है विशेष

सालों से यहां रहने वालों का कहना है  कि यह मंदिर विशेष है। मंदिर भूगर्भ में दो मंजिल नीचे बना है, फिर भी यहां कभी पानी नहीं भरा। अब तक ये पता नहीं चला कि मंदिर का पानी कहां जाता है।

श्रद्धालु स्मिता बहन बताती हैं, ''भक्त यहां दूध और पानी चढ़ाते है। ऐसा कोई भी महादेव का मंदिर खंभात में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। बहुत अच्छे महादेव हैं, आप श्रद्धा रखेंगे तो आपका जो भी दुख होगा वो महादेव दूर करेंगे।''

भक्तों का कहना है कि दुख पीड़ा हरने वाले प्रतिज्ञेश्वर महादेव (Pratigyeshwar Mahadev Khambhat) हैं जो उनके नाम के अनुसार भक्तों को जीवन में कठिन संकल्पों को सिद्ध करने का बल देते हैं। इसीलिए इस मंदिर में पूजा-पाठ का विशेष महत्त्व है। सावन के महीने में मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। शिव भक्तों का मानना है नित्य प्रतिज्ञेश्वर महादेव की सेवा पूजा करने से शिव जी निर्भयता का आशीर्वाद देते हैं।

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