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Yam Ka Diya: धनतेरस की रात जलाते हैं यम का दिया, जानिए इसके पीछे की मान्यता

लोगों द्वारा स्वयं को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए यम की पूजा की जाती है। यह अवसर बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।
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Yam Ka Diya: धनतेरस पर यम का दिया जलाना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसका उद्देश्य असामयिक मृत्यु को दूर करना और दीर्घायु बने रहना है। "यम दीपम" के नाम से जानी जाने वाली इस परंपरा में घर के बाहर, अक्सर प्रवेश द्वार के पास या किसी पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाना (Yam Ka Diya) शामिल है, जो मृत्यु के देवता भगवान यम को समर्पित होती है। लोगों का मानना ​​है कि यह कार्य यम को प्रसन्न करता है और प्रियजनों की भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।

इस वर्ष यम दीपम जलाने का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष यम दीपम (Yam Ka Diya) मंगलवार, अक्टूबर 29 को मनाया जाएगा। यम दीपम के लिए शुभ समय संध्या काल में 17:51 से 19:05 बजे तक है। इसकी अवधि 01 घण्टा 14 मिनट तक है। धनत्रयोदशी या धनतेरस भी कल ही मनाया जाएगा।

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2024 को 12:01 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2024 को 14:45 बजे

Yam Ka Diya
क्यों शुरू हुआ यम का दिया जलाना?

लोगों द्वारा स्वयं को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए यम की पूजा (Yam Ka Diya) की जाती है। यह अवसर बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यम का दिया जलाने का प्रसंग राजा हिम के सोलह वर्षीय पुत्र की अत्यंत रोचक कहानी से जुड़ा है। कहानी के अनुसार, राजा हिम के पुत्र को यह श्राप था कि शादी के चौथे दिन उनकी मृत्यु सांप के काटने से हो जाएगी।

कहा जाता है कि शादी के चौथे दिन उनकी पत्नी ने उन्हें सोने नहीं दिया। पत्नी ने सोने और चांदी से बने अपने सभी आभूषण कमरे के प्रवेश द्वार पर रख दिए और पूरे स्थान पर छोटे-छोटे दीये जला दिए। फिर, उन्होंने गाना शुरू कर दिया और अपने पति को कहानियां सुनाना शुरू कर दिया। इसलिए, जब यम सर्प के रूप में आए, तो उनकी आंखें चमकदार आभूषणों से अंधी हो गईं। इसलिए, वह राजकुमार कक्ष में प्रवेश नहीं कर सके। वह गहनों के पहाड़ पर चढ़ गए और पूरी रात चुपचाप वहीं बैठकर गाने और कहानियां सुनते रहे और सुबह वहां से चले गए। इस प्रकार पत्नी ने अपने पति को मौत के मुंह से बचा लिया। तभी से धनतेरस के दिन यम दीपम जलाया जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है।

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