HMPV in India: एचएमपीवी वायरस ने दी भारत में दस्तक, संक्रमित बच्चों की संख्या हुई चार
HMPV in India: एचएमपीवी वायरस इस समय समूचे विश्व में चिंता का विषय बना हुआ है। चीन में तबाही मचा रहे HMPV Virus ने अब भारत में भी दखल दे दी है। आज सुबह जहां भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research ) ने कर्नाटक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों का पता लगाया था वहीं अब दो और बच्चे इस वायरस के चपेट में आ गए हैं।
दो नए मामलों में एक मामला गुजरात से है, जबकि दूसरा कोलकाता से (Four Cases of HMPV in India) है। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने सोमवार को कहा कि राजस्थान के डूंगरपुर से सरवर आए 2 महीने के बच्चे में यह वायरस पाया गया है। बच्चे को सरवर से अहमदाबाद रेफर कर दिया गया है।
आज सुबह कर्नाटक में मिले थे दो संक्रमित बच्चे
देश भर में श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी के लिए आईसीएमआर के चल रहे प्रयासों से कर्नाटक में दो बच्चे संक्रमित पाए गए। बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में दो बच्चे इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। आठ महीने के एक लड़के और एक तीन महीने की लड़की में एचएमपीवी वायरस (HMPV in India) का पता चला है। इन दोनों बच्चों का अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं है।
बता दें कि दोनों संक्रमित बच्चों में ब्रोन्कोपमोनिया (bronchopneumonia) का इतिहास था। ब्रोन्कोपमोनिया एक प्रकार का निमोनिया है जिसमें फेफड़ों में ब्रांकाई और एल्वियोली (छोटी वायु थैली) दोनों की सूजन शामिल होती है। इसमें बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, तेजी से सांस लेना, पसीना आना और ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगना जैसे लक्षण शामिल होते हैं।
क्या कहना है ICMR का?
ICMR का कहना है कि एचएमपीवी भारत सहित वैश्विक स्तर पर पहले से ही प्रचलन में है, और विभिन्न देशों में एचएमपीवी से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme - IDSP) नेटवर्क के वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (SARI) के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है।
ICMR ने एक प्रेस विज्ञप्ति में माध्यम से बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी उपलब्ध निगरानी चैनलों के माध्यम से स्थिति की निगरानी कर रहा है। आईसीएमआर पूरे वर्ष एचएमपीवी (HMPV Virus In India) प्रचलन के रुझानों पर नज़र रखना जारी रखेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले से ही चीन में चल रहे उपायों की जानकारी देने के लिए स्थिति के बारे में समय पर अपडेट प्रदान कर रहा है।
ICMR के अनुसार, देश भर में आयोजित हालिया तैयारी अभ्यास से पता चला है कि भारत श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि को संभालने के लिए अच्छी तरह से तैयार है और जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप तुरंत तैनात किया जा सकता है।
क्या है HMPV वायरस?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV Virus) एक श्वसन वायरस है जो न्यूमोविरिडे परिवार से संबंधित है। इसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था। यह श्वसन सिंकाइटियल वायरस (RSV) के समान है और मुख्य रूप से श्वसन पथ को प्रभावित करता है। एचएमपीवी नाक बहना, खांसी और बुखार जैसे हल्के लक्षण पैदा कर सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में, यह ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है, खासकर शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों में।
कैसे फैलता है HMPV वायरस?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (How Human Metapneumovirus Spreads) किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है। ये बूंदें सीधे किसी अन्य व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकती हैं या सतहों और वस्तुओं को दूषित कर सकती हैं। वायरस कई घंटों तक सतहों पर जीवित रह सकता है, जिससे अप्रत्यक्ष संचरण संभव हो जाता है जब कोई दूषित सतह को छूता है और फिर अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूता है। निकट संपर्क, जैसे हाथ मिलाना या व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करना भी इसके प्रसार को सुविधाजनक बनाता है। भीड़-भाड़ वाली जगहों और बंद स्थानों में संचरण का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे रोकें HMPV को फैलने से?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (How to Stop Human Metapneumovirus) के प्रसार को रोकने के लिए, अच्छी स्वच्छता अपनाएं और निवारक उपाय करें। हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं, खासकर खांसने, छींकने या दूषित सतहों को छूने के बाद। साबुन उपलब्ध न होने पर अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। छींकते या खांसते समय अपने मुंह और नाक को टिश्यू या कोहनी से ढक लें और टिश्यू को तुरंत नष्ट कर दें। बीमार व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें और अस्वस्थ होने पर घर पर ही रहें। बार-बार छुई जाने वाली सतहों, जैसे दरवाज़े के हैंडल और काउंटरटॉप्स को नियमित रूप से कीटाणुरहित करें। संचरण जोखिम को कम करने के लिए इनडोर स्थानों में उचित वेंटिलेशन रखें और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में मास्क पहनें।
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