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Congress On ONOE: कांग्रेस ने किया 'एक देश एक चुनाव' का विरोध, बताया अव्यवहारिक और अलोकतांत्रिक

Congress On ONOE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुमहत्वाकांक्षी प्रस्ताव 'एक देश एक चुनाव' को केंद्रीय मंत्रीमंडल से मंजूरी मिल गई है। लेकिन इसके साथ ही विपक्ष (Congress On ONOE) इस प्रस्ताव के विरोध में उतर आया है। कांग्रेस ने बुधवार...
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Congress On ONOE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुमहत्वाकांक्षी प्रस्ताव 'एक देश एक चुनाव' को केंद्रीय मंत्रीमंडल से मंजूरी मिल गई है। लेकिन इसके साथ ही विपक्ष (Congress On ONOE) इस प्रस्ताव के विरोध में उतर आया है। कांग्रेस ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि वह 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के प्रस्ताव का विरोध करती है।' कांग्रेस का तर्क है कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए जब भी आवश्यकता हो चुनाव कराए जाने चाहिए।

लोकतंत्र के लिए सही नहीं

इस विषय पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress On ONOE) ने कहा कि लोकतंत्र में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' काम नहीं कर सकता। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर बोलते हुए खड़गे कहा, 'हम इसके साथ नहीं हैं। लोकतंत्र में एक राष्ट्र, एक चुनाव काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित रहे तो जब भी आवश्यकता हो चुनाव कराए जाने चाहिए।'

अव्यवहारिक है प्रस्ताव

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल (Congress On ONOE) ने भी इस प्रस्ताव को व्यावहारिक नहीं बताया है। उन्होंने कहा, 'एक देश एक चुनाव इस देश में व्यावहारिक नहीं है। सरकार वर्तमान मुद्दों से ध्यान हटाना चाहते हैं।'

भाजपा का पलटवार

खड़गे की टिप्पणी पर भाजपा की तरफ से भी तीखा पलटवार आया है। एक सवाल का जवाब देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्ष आंतरिक दबाव महसूस करने की वजह से विरोध कर रहा है। वैष्णव ने कहा, "विपक्ष (एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर) आंतरिक दबाव महसूस कर सकता है, क्योंकि परामर्श प्रक्रिया के दौरान जवाब देने वाले 80 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने अपना सकारात्मक समर्थन दिया है, खासकर युवाओं ने, वे इसके बहुत पक्ष में हैं।"

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने इस साल की शुरुआत में एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार ने कहा कि 18,626 पृष्ठों वाली यह रिपोर्ट 2 सितंबर, 2023 को इसके गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों और 191 दिनों के शोध कार्य के साथ व्यापक परामर्श का परिणाम है।

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