Kolkata Doctor Sample: DNA जांच में महिला की संदिग्ध मौजूदगी, क्या मामले में शामिल था कोई और?
Kolkata Doctor Sample: पिछले साल कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर के शरीर से लिए गए नमूनों की जांच में एक महिला और दोषी संजय रॉय का डीएनए मिला है। केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई, जो इस मामले की सुनवाई कर रही स्थानीय अदालत को सौंपी गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि महिला का डीएनए "बहुत कम प्रतिशत" में पाया गया, जिससे यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या अपराध में किसी और महिला की भी भूमिका थी या यह पोस्टमॉर्टम के दौरान हुई संदूषण का नतीजा था।
डीएनए रिपोर्ट और कोर्ट का निष्कर्ष
172 पन्नों के कोर्ट आदेश के अनुसार, "निप्पल स्वाब से प्राप्त डीएनए विश्लेषण में आरोपी संजय रॉय का 100 प्रतिशत डीएनए प्रोफाइल मिला और स्वाभाविक रूप से पीड़िता का पूरा डीएनए प्रोफाइल भी मौजूद था। लेकिन इस स्वाब में एक और महिला का बहुत कम प्रतिशत डीएनए पाया गया।"
इस मामले में संजय रॉय, जो एक पूर्व नागरिक पुलिस स्वयंसेवक है, उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि यह जघन्य अपराध "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" श्रेणी में नहीं आता, जिसके लिए मृत्युदंड दिया जा सके।
संदूषण का संदेह
पीड़िता के परिवार और डॉक्टरों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि अपराध में संजय रॉय अकेला नहीं था। वहीं, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अदालत में कहा कि स्वाब के संदूषण की संभावना है। CFSL के एक वैज्ञानिक ने भी CBI के बयान का समर्थन किया।
पीड़िता के पिता के वकील ने आरोप लगाया कि संदूषण जानबूझकर किया गया ताकि मामले को जटिल बनाया जा सके और अन्य अपराधियों को बचाया जा सके। अदालत ने पाया कि पोस्टमॉर्टम के समय वीडियो में अन्य महिला शवों को भी पोस्टमॉर्टम कक्ष में फर्श पर पड़ा हुआ दिखाया गया था।
प्रोटोकॉल का उल्लंघन और बुनियादी ढांचे की कमी
कोर्ट ने वीडियो और सबूतों के आधार पर पाया कि पोस्टमॉर्टम के लिए उपयोग किए गए उपकरण जैसे चाकू और कैंची की उचित सफाई नहीं की गई थी। इसके अलावा, सहायक द्वारा दस्ताने और एप्रन भी नहीं बदले गए थे। कोर्ट ने कहा, "डॉक्टरों को अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ा, भले ही बुनियादी ढांचा पूरी तरह से अनुपयुक्त था। इससे पहले कि उन पर उंगली उठाई जाए, इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।"
आरोपी का बचाव और अदालत की प्रतिक्रिया
संजय रॉय ने अदालत में तर्क दिया कि पुलिस ने उसका डीएनए जानबूझकर लगाया। लेकिन अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि पीड़िता का शव जलाए जाने के बाद सलाइवा लगाने की कोई संभावना नहीं थी। वहीं, पीड़िता के परिवार और वकील ने मामले की फिर से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अपराध में किसी और महिला की भी संलिप्तता हो सकती है, जिसे जानबूझकर छिपाया गया।
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